Wednesday 9 September 2015

तीसरी काउंसिलिंग को नहीं आयुष मान्यता का इंतजार


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-बीएएमएस व बीयूएमएस को अब तक नहीं मिली मान्यता
-बीएचएमएस के साथ भरी जाएंगी एमबीबीएस की बची सीटें
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : सीपीएमटी की तीसरी काउंसिलिंग के लिए चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय आयुष पाठ्यक्रमों, बीएएमएस व बीयूएमएस की मान्यता का इंतजार नहीं करेगा। इसी माह बीएचएमएस के साथ एमबीबीएस की बची सीटों की काउंसिलिंग कराई जाएगी।
प्रदेश में सरकारी कालेजों की एमबीबीएस, बीडीएस, बीएचएमएस, बीएएमएस व बीयूएमएस सीटें संयुक्त मेडिकल प्रवेश परीक्षा (सीपीएमटी) के माध्यम से भरी जाती हैं। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय सीपीएमटी की दो दौर की काउंसिलिंग पूरी कर चुका है। इन दोनों दौर में सिर्फ एमबीबीएस व बीडीएस की सीटें ही भरी गयी हैं। होम्योपैथी कालेजों को मान्यता मिल जाने के बाद भी बीएचएमएस की काउंसिलिंग नहीं करायी गयी क्योंकि महानिदेशालय बीएचएमएस की काउंसिलिंग बीएएमएस व बीयूएमएस की काउंसिलिंग के साथ कराना चाहता था। दो दौर की सीपीएमटी काउंसिलिंग के इंतजार के बाद अब तक प्रदेश के आयुर्वेदिक व यूनानी कालेजों को केंद्रीय भारतीय चिकित्सा परिषद यानी सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) से मान्यता नहीं मिली है। इस कारण आयुर्वेदिक व यूनानी कालेजों का शैक्षिक सत्र तो पिछड़ ही रहा है, होम्योपैथी कालेजों का सत्र भी बेपटरी होने का खतरा मंडरा रहा है।
अब चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय ने बीएचएमएस की काउंसिलिंग के लिए आयुर्वेदिक व यूनानी पाठ्यक्रमों की मान्यता का इंतजार न करने का फैसला किया है। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी के मुताबिक सीपीएमटी की तीसरी काउंसिलिंग सितंबर के दूसरे पखवाड़े में होगी। यदि तब तक बीएएमएस व बीयूएमएस पाठ्यक्रमों को सीसीआइएम की मान्यता मिल जाती है, तो उन्हें भी शामिल कर लिया जाए। मान्यता न मिलने की स्थिति में भी काउंसिलिंग नहीं टलेगी और बीएचएमएस के साथ एमबीबीएस व बीडीएस की बची सीटों को भरा जाएगा। तब तक अखिल भारतीय कोटे से उत्तर प्रदेश के मेडिकल कालेजों में भरी जाने वाली सीटों की स्थिति भी स्पष्ट हो जाती है। प्रदेश के हर सरकारी मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की 15 प्रतिशत सीटें अखिल भारतीय कोटे से एआइपीएमटी के माध्यम से भरी जाती हैं। तमाम विद्यार्थी एआइपीएमटी से सीट आवंटित हो जाने के बाद भी प्रवेश नहीं लेते हैं। ऐसी सीटें वापस प्रदेश कोटे में आ जाती हैं, जिन्हें सीपीएमटी के माध्यम से भरा जाता है। आयुर्वेद निदेशक डॉ.सुरेश चन्द्रा का कहना है कि इस समय कालेजों की सुनवाई सीसीआइएम में चल रही है। सीपीएमटी की तीसरी काउंसिलिंग से पहले मान्यता की कोशिश हो रही है ताकि अच्छी रैंक के विद्यार्थी मिल सकें।

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