Wednesday 2 September 2015

सरकार को चूना लगाने में पीछे नहीं वन व निर्माण निगम

-तेंदू पत्ता पर 201.52 करोड़ कम रायल्टी का हुआ भुगतान
-निर्माण निगम के ठेकेदारों को करोड़ों का अनुचित लाभ
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
प्रशासनिक अराजकता व भ्रष्टाचार के माध्यम से सरकार को चूना लगाने में उत्तर प्रदेश वन निगम व उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम भी पीछे नहीं रहे। भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट में यह तथ्य सामने आया है।
रिपोर्ट के अनुसार रायल्टी की गणना के लिए लकड़ी के वास्तवित उत्पादन के स्थान पर अनुमानित उत्पादन को आधार मानने के परिणामस्वरूप 6.21 करोड़ की रायल्टी की कम वसूली हुई। छह प्रभागों में लकड़ी का वास्तविक उत्पादन अपेक्षित उत्पादन से 15,920 घन मीटर कम रहा, जिसके कारण 15.81 करोड़ राजस्व की हानि हुई। तेंदूपत्ता संग्र्रहणकर्ताओं को संग्र्रहण के एक से सात माह बाद भुगतान किया गया। कर्वी एवं रेनुकूट प्रभागों में वर्ष 2009-10 से 2013-14 से संबंधित 13,467 मानक बोरों के लिए 91.34 लाख रुपये के संग्र्रहण शुल्क का भुगतान अब तक नहीं किया गया। तेंदू पत्ता के लिए मानक निर्धारित नहीं करने से दो वर्ष में 2.15 करोड़ की हानि हुई। निगम तेंदू पत्ता के संपूर्ण भंडार को निस्तारित करने में असफल रहा, जिससे 4.49 करोड़ की हानि हुई। वन निगम ने वर्ष 2010-11 से 2013-14 की अवधि के दौरान राज्य सरकार को तेंदू पत्ता पर 201.52 करोड़ की रायल्टी का कम भुगतान किया।
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड ने लागत सूचकांक के गलत प्रयोग के कारण उपठेकेदार को 11.84 करोड़ का अधिक भुगतान किया। निगम ने ठेकेदारों को अनुचित लाभ दिया, जिससे 17.51 करोड़ का नुकसान हुआ। भविष्य निधि के लिए नियोक्ता अंशदान कर्मचारी भविष्य निधि योजना के अनुसार सीमित करने में विफल रहने पर 21.93 करोड़ का अधिक अंशदान देना पड़ा।
जल निगम भी पीछे नहीं: सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक वित्तीय अराजकता में उत्तर प्रदेश जल निगम भी पीछे नहीं रहा। निगम ने जमा की गयी बोली में परिवर्तन करने की अनुमति दे दी। इसके बाद सेवा कर व प्रवेश कर की प्रतिपूर्ति से ठेकेदार को 2.92 करोड़ रुपये का अनुचित लाभ दिया।

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