Wednesday 2 September 2015

खर्च ही नहीं हुए सेहत सुधार के 3244 करोड़

चालू वित्त वर्ष में स्वास्थ्य मिशन पर खर्च होंगे 7314 करोड़
केंद्र ने इस वर्ष के लिए भी मंजूर किए 4060 करोड़ रुपये
डॉ.संजीव, लखनऊ
प्रदेश की सेहत सुधारने के लिए केंद्र सरकार से मिले 3244 करोड़ रुपये प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग खर्च ही नहीं कर सका। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने इस वर्ष के लिए 4060 करोड़ रुपये मंजूर करने के साथ ही पिछले वर्ष मिली धनराशि समयबद्ध ढंग से खर्च कर स्वास्थ्य विभाग के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने को कहा है। मौजूदा वित्तीय वर्ष में काम की रफ्तार बढ़ाकर 7314 करोड़ रुपये से सेहत की मजबूती का अभियान चलेगा।
जानकारी के मुताबिक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत केंद्र सरकार स्वास्थ्य विभाग के आधारभूत ढांचे को मजबूत करने के लिए राज्यों को आर्थिक मदद देती है। इसी के तहत वित्तीय वर्ष 2014-15 में 4000 करोड़ रुपये से अधिक की योजनाएं मंजूर की गयी थीं। इसमें से 3244 करोड़ रुपये तो वित्तीय वर्ष समाप्त होने के साढ़े चार महीने बाद भी खर्च नहीं हो पाए हैं। इसके बावजूद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की उत्तर प्रदेश इकाई ने वित्तीय वर्ष 2015-16 के लिए विस्तृत प्रस्ताव केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को भेजा था। इनमें नए स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण, आशा कार्यकर्ताओं के स्तर तक स्वास्थ्य महकमे की मजबूती, हर जच्चा-बच्चा को अपने नेटवर्क में शामिल करने जैसी योजनाएं शामिल हैं। केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी के साथ 4060 करोड़ रुपये की राशि को भी मंजूरी दे दी है। पिछले वित्तीय वर्ष में जारी हो चुका 3244 करोड़ रुपया पहले से ही उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के पास है। इस तरह से चालू वित्तीय वर्ष में राज्य में स्वास्थ्य विभाग के ढांचागत सुधार से लेकर अन्य मदों में 7314 करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगे। इसमें से प्रदेश सरकार को अपने अंशदान के रूप में 766 करोड़ रुपये देने होंगे।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत सर्वाधिक जोर जच्चा-बच्चा की सुरक्षा व शिशु मृत्यु दर घटाने पर है। बीते वित्तीय वर्ष में राज्य में सौ शैय्याओं वाले 50 जच्चा-बच्चा अस्पताल बनाने के साथ शहरी मलिन बस्तियों में स्वास्थ्य केंद्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। निर्माण कार्य समय से न होने के कारण यह राशि भी खर्च नहीं हो पाई। अब इन सभी स्वास्थ्य केंद्रों का निर्माण समयबद्ध ढंग से कराने के लिए स्वास्थ्य मिशन के अपर निदेशक व वरिष्ठ आइएएस अधिकारी अभिषेक प्रकाश को सीधी जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वे स्वयं हर अस्पताल के निर्माण की मॉनीटरिंग कर रहे हैं। शासन की कोशिश है कि अगले कुछ महीनों में समयबद्ध ढंग से अस्पतालों की शुरुआत हो सके। इनके लिए पद सृजन आदि को शासन स्तर पर सैद्धांतिक मजबूरी मिल चुकी है। इसके अलावा समय पर मरीजों को अस्पताल पहुंचाने और इलाज में कोई विलंब न होने देने के लिए आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं मजबूत करने पर भी जोर है। इस राशि से ट्रामा सेंटर व एम्बुलेंस सेवा मजबूत करने पर भी जोर दिया जाएगा।
विलंब से मंजूरी के कारण बचा धन
धन खर्च न हो पाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को समय पर पूरे प्रस्ताव व कार्ययोजना भेज दी गयी थी। इसके बावजूद वर्ष 2014-15 में 22 अक्टूबर 2014 को धनराशि मंजूर की गयी। इसके बाद तमाम प्रक्रियागत अड़चनों के बाद काम शुरू हो सका। इस वर्ष भी 17 अगस्त को प्रस्तावों को औपचारिक मंजूरी मिली है। अधिकारियों का कहना है कि इस वर्ष कामकाज में रफ्तार आएगी, क्योंकि पूरी प्रक्रिया तेजी से चल रही है।

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