Wednesday 2 September 2015

अब अपनी गुणवत्ता से रिझाएंगे ये सरकारी अस्पताल


-चालीस जिला अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता वाला बनाने की तैयारी
-लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, हाथरस, बरेली और इलाहाबाद से शुरुआत
डॉ.संजीव, लखनऊ
सरकारी अस्पतालों में मरीजों की कमी भले ही न हो, पर उनकी अव्यवस्था मरीजों व तीमारदारों को परेशान करके रख देती है। अब सरकारी अस्पतालों को भी उच्च गुणवत्ता के साथ चाक चौबंद करने की तैयारी है, ताकि वे अपनी गुणवत्ता से भी मरीजों को रिझा सकें। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग राज्य के 40 अस्पतालों का गुणवत्ता प्रमाणन सुनिश्चित करने जा रहा है। छह जिलों के महिला अस्पतालों से इसकी शुरुआत हो रही है।
सूबे के सरकारी अस्पतालों में अराजकता व मरीजों की देखरेख में लापरवाही जैसी शिकायतों से परेशान स्वास्थ्य विभाग अब इस छवि से मुक्ति पाने की पहल कर रहा है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत राज्य के चालीस जिला अस्पतालों को राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन प्रमाणपत्र (नेशनल क्वालिटी एश्योरेंस सर्टिफिकेशन) प्राप्त करने की तैयारी है। स्वास्थ्य मिशन के निदेशक अमित घोष के मुताबिक पहले चरण में लखनऊ, वाराणसी, मेरठ, हाथरस, बरेली व इलाहाबाद के जिला महिला चिकित्सालयों को गुणवत्ता की दृष्टि से उत्कृष्ट स्थितियों तक पहुंचाने की तैयारी है। लखनऊ के अवंती बाई अस्पताल के गुणवत्ता प्रमाणपत्र के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को आवेदन भी किया जा चुका है।
इन छह अस्पतालों को गुणवत्ता प्रमाणपत्र दिलाने के बाद समयबद्ध ढंग से शेष 34 अस्पतालों का चयन कर उन्हें उच्च गुणवत्ता का प्रमाणपत्र दिलाने की पहल होगी। इसके तहत उपचार के 12 क्षेत्रों पर पूरा फोकस किया जाता है। इसके लिए भारत सरकार के मानकों के अनुरूप व्यवस्थाएं भी सुनिश्चित की जाती हैं। सबसे ऊपर लेबर रूम (प्रसूति कक्ष), नवजात शिशु उपचार इकाई व ऑपरेशन थियेटर की व्यवस्थाओं को संवारा जाता है। इसके अलावा चिकित्सकों की उपस्थिति, बाह्यï रोगी विभाग, वार्ड, दवाओं की उपलब्धता, जांच प्रयोगशालाओं व संक्रमण से निपटने के स्तरीय इंतजाम सुनिश्चित करने पर जोर दिया जाता है। इन अस्पतालों में मरीजों की संख्या के अनुपात में चिकित्सकों के साथ प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मियों की उपलब्धता भी सुनिश्चित की जाएगी। हर चिकित्सक को प्रतिदिन चालीस से पचास मरीज देखने होंगे। मरीज बढऩे पर तदनुरूप चिकित्सकों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी। एक बार प्रमाणपत्र मिलने के बाद हर वर्ष सर्वेक्षण भी होगा, ताकि उन्नत मानक बरकरार रह सकें।
हर जिले के लिए पांच अलग पद
गुणवत्ता प्रक्रिया के अनुपालन के लिए स्वास्थ्य मिशन ने हर जिले के लिए पांच अलग पदों पर भर्ती की मांग की है। इनमें एक गुणवत्ता प्रबंधक का पद भी शामिल है। इसके अलावा चार चिकित्सकीय पद हैं, जिनकी जिम्मेदारी गुणवत्ता को बनाए रखना और मरीजों की पूरी चिंता करने की होगी। इसके अलावा इन अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग के विभिन्न कार्यक्रमों व योजनाओं के सतत नियोजन व अनुरक्षण पर भी पूरा जोर दिया जाएगा।
तब सब आएंगे इलाज कराने
सरकारी अस्पतालों की छवि तोडऩे की कोशिश के रूप में हम गुणवत्ता प्रमाणपत्र लेने की पहल कर रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में आज भी भीड़ होती है और भारी संख्या में लोग आते हैं। गुणवत्ता सुनिश्चित होने के कारण लोग कहीं और नहीं जाएंगे। उसके बाद सभी इलाज के लिए सरकारी अस्पतालों में ही आएंगे। -अमित घोष, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश


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