Thursday 3 September 2015

मेधावी छोड़ गए यूपी के मेडिकल कालेज


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-अब यहां डॉक्टर नहीं बनेंगे ढाई सौ से अधिक टॉप रैंकर्स
-लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद और मेरठ सर्वाधिक प्रभावित
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार लगातार नए मेडिकल कालेज तो खोल रही है, किन्तु पुराने कालेजों की प्रतिष्ठा बहाल नहीं कर पा रही है। यही कारण है कि राज्य के मेधावी छात्र यूपी के मेडिकल कालेज ही छोड़ गए हैं। ढाई सौ से अधिक टॉप रैंकर्स अब यहां नहीं पढ़ेंगे। इससे लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद व मेरठ मेडिकल कालेज सर्वाधिक प्रभावित होंगे।
प्रदेश में राजधानी लखनऊ स्थित किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी सहित 13 सरकारी चिकित्सा शिक्षा संस्थान हैं। इन संस्थानों में एमबीबीएस में प्रवेश के लिए 26 से 31 अगस्त तक काउंसिलिंग हुई। इस काउंसिलिंग ने राज्य की चिकित्सा शिक्षा व्यवस्था पर ही सवाल खड़े कर दिये हैं। काउंसिलिंग के आंकड़ों पर गौर करें तो राज्य के मेडिकल कालेजों से ढाई सौ से अधिक टॉप रैंकर्स यूपी छोड़ गए हैं। अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा (एआइपीएमटी) का परीक्षा परिणाम आने के बाद प्रदेश के इन मेधावियों ने यहां पढऩे के स्थान पर दिल्ली या देश के अन्य प्रतिष्ठित मेडिकल कालेजों में पढऩा ज्यादा मुनासिब समझा।
काउंसिलिंग के पहले दिन 26 अगस्त को ही 97 विद्यार्थियों ने प्रदेश के कालेज छोड़ कर कम रैंक वालों के लिए सीटें खाली कर दी थीं। यही नहीं, 26 को 40 छात्र-छात्राओं ने पहली काउंसिलिंग में आवंटित अपने कालेज छोड़ कर किसी अन्य बड़े कालेज में प्रवेश लेना ठीक समझा। 27 अगस्त को 90 छात्र-छात्राओं ने प्रदेश छोडऩे व 84 ने कालेज बदलने का फैसला किया। 28 अगस्त को 37 छात्र-छात्राओं ने प्रदेश छोड़ा व 36 ने कालेज बदले। यह सिलसिला 31 अगस्त तक जारी रहा। इस पूरी प्रक्रिया से सर्वाधिक प्रभावित लखनऊ, कानपुर, इलाहाबाद व मेरठ हुए हैं। केजीएमयू लखनऊ के 69 छात्र-छात्राएं यहां से चले गए हैं तो मेरठ के 58, कानपुर के 50 और इलाहाबाद के 40 विद्यार्थियों ने कालेज छोडऩे का फैसला किया। सैफई के 16, आगरा के 13, आजमगढ़ व कन्नौज के 9-9, जालौन के 7, अम्बेडकर नगर के 5, झांसी व गोरखपुर के 4-4 और सहारनपुर के तीन छात्रों ने कालेज छोडऩे का फैसला किया। इन स्थितियों के पीछे कालेजों में शिक्षकों की कमी और पढ़ाई का माहौल न होने को मूल कारण माना जा रहा है। सरकार पूरे प्रदेश में लगातार मेडिकल कालेज तो खोल रही है किन्तु अधिकांश कालेजों की मान्यता ही जुगाड़ व संविदा के शिक्षकों के सहारे मिल पा रही है।
फिर भी खाली रह गयीं 17 सीटें
सीपीएमटी की दूसरी काउंसिलिंग के बाद भी मेडिकल कालेजों में 17 सीटें खाली रह गयी हैं। ये सभी सीटें अनुसूचित जाति संवर्ग की हैं। अनुसूचित जाति संवर्ग में विकलांग कोटे की दस व स्वतंत्रता सेनानी कोटे की सात एमबीबीएस सीटें अभी भी नहीं भरी हैं। इन्हें अब तीसरी काउंसिलिंग में बीएचएमएस, बीएएमएस व बीयूएमएस के साथ भरा जाएगा। तीसरी काउंसिलिंग सितंबर में ही होने की उम्मीद है।

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