Wednesday 2 September 2015

तो रद करने के लिए हो रहे हैं स्वास्थ्य विभाग में तबादले!

-हटाए गए एक जगह टिके दस साल से पुराने डॉक्टर
-अब स्थानांतरण रुकवाने की मशक्कत, चौतरफा दबाव
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
इलाहाबाद में लम्बे समय से तैनात एक चिकित्सक का तबादला 27 जून को हमीरपुर किया गया। एक महीना बीतते बीतते सीएमओ ने ही लिखकर दे दिया कि उन्हें उक्त डॉक्टर की जरूरत है। 30 जुलाई को उनका तबादला निरस्त हो गया। यह वाक्या तो एक बानगी भर है। स्वास्थ्य मंत्री के निर्देश पर पूरे राज्य में एक ही स्थान पर दस साल या उससे अधिक समय से डटे डॉक्टर हटा तो दिये गए किन्तु अब भारी संख्या में हुए चिकित्सकों के तबादले के बाद अब उन्हें रोकने-रुकवाने का उपक्रम चल रहा है। अधिकारी भी इसके लिए चौतरफा दबाव की बात स्वीकार कर रहे हैं।
लगातार एक ही जगह रहने के कारण बढ़ रही प्राइवेट प्रैक्टिस की शिकायतों के मद्देनजर स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने एक जिले या एक अस्पताल में दस साल से अधिक समय बिता चुके डॉक्टरों के तबादले करने के निर्देश दिये थे। जून माह में भारी संख्या में तबादले किये भी गए किन्तु एक महीना बीतते इनमें से तमाम को परिवर्तित करने या निरस्त करने का सिलसिला भी शुरू हो गया है। कुछ बानगी देखें तो मेरठ से एक वरिष्ठ चिकित्सक का तबादला 30 जून को पुलिस चिकित्सालय सहारनपुर किया गया। परिस्थितियां बदलीं और 31 जुलाई को उक्त डॉक्टर दुबारा मेरठ पहुंच गए। इसी तरह एक महिला चिकित्सक 30 जून को फिरोजाबाद से कासगंज भेजी गयीं किन्तु 31 जुलाई को उन्हें वापस फिरोजाबाद भेज दिया गया। 27 जून को महिला चिकित्सालय इलाहाबाद से जौनपुर भेजी गयी एक चिकित्सक ने 30 जुलाई को अपना तबादला रुकवाने में सफलता पा ली। लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल के दो डॉक्टर 23 व 29 जून को कानपुर व चित्रकूट भेजे गए किन्तु दोनों ने वहां काम नहीं संभाला और वापस लखनऊ आ गए। हां एक ने 23 जुलाई को संयुक्त चिकित्सालय ठाकुरगंज में तो दूसरे ने 30 जुलाई को सिविल अस्पताल में तबादला करा लिया।
इन तबादलों को वापस कराने के लिए कागजी लिखापढ़ी में अलग-अलग तर्क दिये जा रहे हैं। इलाहाबाद के एक डॉक्टर के लिए सीएमओ ने लिख दिया कि कोई दूसरा एमडी डॉक्टर न होने के कारण उन्हें रोका जाए। शासन स्तर पर भी तमाम एमडी डॉक्टर होने के बावजूद उन्हें ही रोक दिया गया। कुछ डॉक्टरों ने पति या पत्नी के मूल जनपद में होने का हवाला दिया, तो संबंधित पति या पत्नी को भी उसी जनपद में भेजने के बजाय तबादला रोक दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि तबादले रुकवाने के लिए अधिकारियों से लेकर नेताओं तक दबाव बनवाया जा रहा है। ऐसे में कई बार न चाहते हुए भी तबादला आदेशों में परिवर्तन करना पड़ रहा है। इस संबंध में स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.विजयलक्ष्मी का कहना है कि दस साल से अधिक समय से एक ही जगह रुके सभी डॉक्टरों के तबादले कर दिये गए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि परिस्थितिजन्य कारणों से कुछ तबादले रोके गए हैं। इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन का कहना है कि सिर्फ एक तबादला अदालत के आदेश पर रोका गया था। यदि इससे अधिक तबादले रोके गए हैं या बदले गए हैं तो वे जांच कराएंगे।

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