Thursday 17 September 2015

संक्रामक रोगों की जल्द पहचान में जुटेंगे मेडिकल कालेज


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-सामाजिक कार्यों व शोध गतिविधियों में वृद्धि की पहल
-इंसेफ्लाइटिस पर नियंत्रण को गोरखपुर में विशेष इंतजाम
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : संक्रामक रोगों की जल्दी पहचान में मेडिकल कालेजों की भूमिका सुनिश्चित करने की पहल शासन स्तर पर की जा रही है। इसके लिए सभी कालेजों के सोशल एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन विभागों को सक्रिय किया जाएगा। इंसेफ्लाइटिस पर नियंत्रण को गोरखपुर मेडिकल कालेज में विशेष इंतजाम किए गए हैं।
चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रदेश के प्रमुख सचिव अनूप चंद्र पाण्डेय ने बताया कि हर मेडिकल कालेज में सामाजिक कार्यों से जुड़ाव के लिए सोशल एंड प्रिवेंटिव मेडिसिन विभागों की स्थापना की गयी थी। ग्र्रामीण अंचलों में इन विभागों के नोडल सेंटर भी हैं किन्तु अब प्रभावी नहीं हैं। इन सभी को प्रभावी रूप से सक्रिय किया जाएगा। सभी मेडिकल कालेजों में ग्र्रामीण स्तर तक जुड़ाव बढ़ाकर संक्रामक रोगों का अध्ययन हो, उन पर शोध बढ़ें तो निश्चित रूप से रोगों पर नियंत्रण अधिक प्रभावी होगा। इसके लिए सभी मेडिकल कालेज प्राचार्य स्वयं भी शोध गतिविधियों पर नजर रखेंगे। हर कालेज में नियमित रूप से कितने शोध हो रहे हैं, कितने विषयों पर काम चल रहा है, आदि ब्यौरा भी वार्षिक प्रतिवेदन का हिस्सा बनेगा।
मंगलवार को गोरखपुर मेडिकल कालेज का निरीक्षण कर लौटे प्रमुख सचिव ने बताया कि वहां इंसेफ्लाइटिस पर नियंत्रण के विशेष इंतजाम किए जाएंगे। किसी भी हालत में पुनर्संक्रमण की स्थिति न पैदा हो, यह सुनिश्चित करने को कहा गया है। जापानी इंसेफ्लाइटिस या दिमागी बुखार का मरीज आने पर उसका पूरा इलाज नि:शुल्क होगा। दवाओं के लिए अतिरिक्त तीन करोड़ रुपए जारी कर दिए गए हैं। डॉक्टरों, नर्सों से लेकर पैरामेडिकल स्टाफ तक सभी पद हर हाल में दो माह के भीतर भर लिये जाएंगे। वहां 56 वेंटीलेटर्स चल रहे हैं किन्तु बिजली जाने की स्थिति में उनके बंद होने का खतरा था। इससे निपटने के लिए 250 केवीए जेनरेटर खरीदने को 22.32 लाख रुपये स्वीकृत कर दिए गए हैं। वहां पहुंचने वाले मरीजों के तीमारदारों को रुकने के लिए एयरपोर्ट एथॉरिटी ऑफ इंडिया की मदद से रैन बसेरा बनेगा। इसके लिए शासन से अनापत्ति प्रमाणपत्र भी जारी कर दिया गया है।

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