Wednesday 9 September 2015

बढ़ेंगी एमडी-एमएस की 171 सीटें

-प्रमुख सचिव के साथ मेडिकल कालेज प्राचार्यों की बैठक
-ढिलाई पर दो को चेतावनी, चौबीस घंटे होंगी सभी जाचें
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने की मुहिम भी शुरू की जा रही है। इसके लिए परास्नातक चिकित्सा शिक्षा (एमडी-एमएस) की 171 सीटें बढ़ाई जाएंगी। मंगलवार को मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों के साथ बैठक में प्रमुख सचिव ने सख्ती से इस बाबत सक्रियता के निर्देश दिए।
प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) अनूप चंद्र पाण्डेय ने कार्यभार संभालने के बाद सभी मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों के साथ पहली बैठक बुलाई थी। पूरे दिन दो हिस्सों में चली इस बैठक में इलाज और पढ़ाई में समन्वय बनाने पर जोर दिया गया। कहा गया कि विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से निपटने के लिए सरकारी क्षेत्र में विशेषज्ञ चिकित्सा शिक्षा को भी बढ़ावा दिया जाना चाहिए। इसके लिए एमडी व एमएस सहित परास्नातक पाठ्यक्रमों की 171 सीटें बढ़ाने का फैसला हुआ। प्रमुख सचिव ने कहा कि आगरा में 49, मेरठ में 40, कानपुर में 38, इलाहाबाद में 24 और गोरखपुुर व झांसी मेडिकल कालेजों में 10-10 परास्नातक सीटें तुरंत बढ़ाई जा सकती हैं। इस दिशा में कोई लापरवाही नहीं होनी चाहिए और तुरंत भारतीय चिकित्सा परिषद (एमसीआइ) में आवेदन किया जाना चाहिए। दो मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों को इस बाबत लापरवाही के लिए चेतावनी भी दी गयी। उन्होंने मेडिकल कालेजों से संबद्ध अस्पतालों में चौबीस घंटे इलाज के साथ सीटी स्कैन, एमआरआइ, एक्सरे, अल्ट्रासाउंड व सभी पैथोलॉजी परीक्षण भी सुनिश्चित किये जाने चाहिए। बैठक में चिकित्सा शिक्षा का वाट्सएप ग्र्रुप बनाकर सभी प्राचार्यों व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को जोडऩे का फैसला किया गया, ताकि कोई समस्या होने पर सामूहिक चिंतन भी हो सके। इसकी कमान चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी को सौंपी गयी।
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बजट का रोना न रोएं
प्रमुख सचिव ने प्राचार्यों से साफ कहा कि वे किसी भी समस्या के लिए बजट का रोना न रोएं। वे समस्या का समाधान सुनिश्चित करें, धनाभाव कतई नहीं होने दिया जाएगा। लिफ्ट, जेनरेटर आदि का सुगम संचालन हो। उनके लिए ऑपरेटर तैनात किए जाएं। ऑपरेशन थियेटर से लेकर कक्षाओं तक एक भी उपकरण खराब नहीं होना चाहिए। उसे समयबद्ध ढंग से ठीक कराया जाए।
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मानक समय तय करें
प्रमुख सचिव ने कहा कि हर काम के लिए मानक समय निर्धारित किया जाना चाहिए। मरीज के अस्पताल पहुंचने के बाद इलाज शुरू होने से लेकर वार्ड में शिफ्ट होने आदि के लिए भी समय तय किया जाए। निर्माण कार्यों के लिए भी समयबद्ध कार्यक्रम तय किया जाए।
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बांदा-बदायूं पर रहा जोर
बैठक में बांदा व बदायूं मेडिकल कालेजों को हर हाल में शैक्षिक सत्र 2016-17 से शुरू करने पर जोर दिया गया। प्रमुख सचिव ने कहा कि बांदा में तो काफी काम हो चुका है, बदायूं में भी काम की रफ्तार बढ़ाई जाए। दोनों कालेजों के लिए पदों का सृजन कर भर्ती प्रक्रिया समय पर पूरी कर ली जाए, ताकि एमसीआइ की मान्यता में कोई संकट न आए।

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