Wednesday 2 September 2015

इंतजार में बीएएमएस-बीयूएमएस का सपना


-सीपीएमटी की दूसरी काउंसिलिंग में भी नहीं हो सके शामिल
-सत्र में विलंब, अच्छी रैंक के विद्यार्थी मिलना भी होगा मुश्किल
डॉ.संजीव, लखनऊ
एलोपैथी के अलावा अन्य पाठ्यक्रमों को बढ़ावा देने के तमाम दावों के बावजूद उत्तर प्रदेश के बीएएमएस व बीयूएमएस कालेजों को अब तक मान्यता नहीं मिली है। इस कारण सीपीएमटी की दूसरी काउंसिलिंग में भी इन पाठ्यक्रमों को शामिल नहीं किया जा सका है। इससे इन कालेजों के सत्र में तो विलंब होगा ही, अच्छी रैंक के विद्यार्थी मिलना भी मुश्किल होगा।
राज्य में लखनऊ, पीलीभीत, बांदा, झांसी, बरेली, मुजफ्फरनगर, इलाहाबाद व वाराणसी के आयुर्वेद कालेजों में बीएएमएस की 320 सीटों और लखनऊ व इलाहाबाद के यूनानी कालेजों में बीयूएमएस की 80 सीटों के लिए सीपीएमटी के माध्यम से प्रवेश होते हैं। इन कालेजों को बीएएमएस व बीयूएमएस के लिए सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) से मान्यता मिलती है। सीसीआइएम की टीम हर वर्ष इन कालेजों का दौरा कर वहां शिक्षकों व अन्य संसाधनों का विश्लेषण उस वर्ष के लिए बीएएमएस व बीयूएमएस की मान्यता देती है। इस वर्ष अब तक सीसीआइएम की ओर से राज्य के किसी कालेज को मान्यता नहीं मिली है। इस कारण कालेज प्रबंधन में असमंजस की स्थिति भी बनी हुई है।
सीपीएमटी की पहली काउंसिलिंग में इन कालेजों को सीसीआइएम की मान्यता न मिलने के कारण नहीं शामिल किया गया था। तब कहा गया था कि सीपीएमटी की दूसरी काउंसिलिंग में इन कालेजों को शामिल कर लिया जाएगा। जब एआइपीएमटी की परीक्षा दुबारा होने के कारण सीपीएमटी काउंसिलिंग में विलंब हुआ तो माना गया था कि दूसरी काउंसिलिंग तक इन कालेजों को सीसीआइएम की मान्यता मिल ही जाएगी। इस बीच 26 अगस्त से सीपीएमटी की दूसरी काउंसिलिंग भी शुरू हो गयी किन्तु इन कालेजों को सीसीआइएम की मान्यता नहीं मिलने के कारण बीएएमएस व बीयूएमएस पाठ्यक्रमों में प्रवेश को काउंसिलिंग में शामिल नहीं किया जा सका। अब आयुर्वेद व यूनानी कालेजों के शिक्षक खासे निराश हैं। उनका कहना है कि तीसरी काउंसिलिंग तक छात्र-छात्राएं निराश होकर बीडीएस में प्रवेश का फैसला ले लेते हैं। इसके विपरीत शुरुआत में काउंसिलिंग होते समय देखा गया है कि तमाम छात्र-छात्राएं बीडीएस के ऊपर बीएएमएस को महत्व देते हैं। सीसीआइएम की मान्यता में विलंब से इतना तो तय है कि इन कालेजों को अच्छी रैंक के विद्यार्थी नहीं मिलेंगे और उन्हें जो विद्यार्थी मिलेंगे, उनसे ही संतोष करना पड़ेगा।
बीडीएस पर भारी बीएएमएस
बीते कुछ वर्षों से बीएएमएस को लेकर परीक्षार्थियों का उत्साह बढ़ा था। ऐसा ट्रेंड दिखता था कि निजी कालेजों से महंगा बीडीएस करने के स्थान पर विद्यार्थी सरकारी कालेज से बीएएमएस करना चाहते हैं। ऐसे में मान्यता का संकट योग्य विद्यार्थियों के सपनों को इंतजार करा रहा है। तमाम अभिभावक रिस्क नहीं लेना चाहते और प्रवेश करा देते हैं। मान्यता मिलते ही हम काउंसिलिंग के लिए तैयार हैं। -डॉ.वीएन त्रिपाठी, चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक
जल्द मान्यता की उम्मीद
मैं स्वयं दिल्ली जाकर सीसीआइएम में अपना पक्ष रखकर आया हूं। उम्मीद है कि सितंबर के पहले सप्ताह तक हर हाल में सभी कालेजों को मान्यता मिल जाएगी और सीपीएमटी की तीसरी काउंसिलिंग में इन कालेजों को शामिल किया जा सकेगा। इस विलंब से हमें कुछ अच्छे विद्यार्थियों से हाथ धोना पड़ सकता है किन्तु हम स्थितियों को संभाल लेंगे। -डॉ.सुरेश चन्द्रा, आयुर्वेद निदेशक, उत्तर प्रदेश

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