Thursday 17 September 2015

आंकड़ों में खेल किया तो नपेंगे सीएमओ


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-गोंडा, सीतापुर व फर्रुखाबाद में तुरंत हो आशा की भर्ती
-हौसला साझेदारी में निजी अस्पतालों को सीधे भुगतान
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं को जमीनी स्तर तक सार्थक रूप में उतारने के लिए सही आंकड़े सामने आने जरूरी हैं। इसके बावजूद तमाम मुख्य चिकित्सा अधिकारी लापरवाही करते हुए आंकड़ों में गड़बड़ी कर रहे हैं या करवा रहे हैं। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने बुधवार को साफ कहा कि अब यदि आंकड़ों में खेल किया गया तो संबंधित सीएमओ के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
शीर्ष वरीयता वाले 25 जिलों में स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की समीक्षा करते हुए प्रमुख सचिव ने कहा कि तमाम जिलों में समय से आंकड़े नहीं भर कर लॉक नहीं किए जा रहे हैं। इससे मनमाने ढंग से बदलाव भी होता है। वार्षिक आंकड़े भी नहीं ठीक से भेजे जा रहे हैं। अब यह स्थिति नहीं सामने आनी चाहिए। आंकड़ों की जांच के लिए समितियां बनाकर समय पर वे भेज दिए जाने चाहिए। गोंडा, सीतापुर व फर्रुखाबाद के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से आशा कार्यकर्ताओं के रिक्त पदों पर भर्ती तुरंत करने को कहा गया। हौसला साझीदारी योजना में निजी क्षेत्र को मान्यता देने में ढिलाई न करने के निर्देश दिए गए। तय हुआ कि अब निजी अस्पतालों को भुगतान सिफ्सा के माध्यम से सीधे ऑनलाइन प्रणाली से हो जाएगा। ऑक्सीटोसिन का दुरुपयोग रोकने के साथ इसकी उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए गए। कहा गया कि अन्य महत्वपूर्ण दवाएं भी हर हाल में उपलब्ध रहें। बैठक में राष्ट्र्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक अमित घोष, तकनीकी सहयोग इकाई के मुखिया विकास गोथलवाल, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.विजयलक्ष्मी आदि की उपस्थिति रही।
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शहरी स्वास्थ्य केंद्रों पर जोर
प्रमुख सचिव ने राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन (एनयूएचएम) के कामकाज की समीक्षा में शहरी स्वास्थ्य केंद्रों को समयबद्ध ढंग से चालू करने पर जोर दिया। बीते माह जिन साठ शहरी स्वास्थ्य केंद्रों का उद्घाटन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किया था, उनके कामकाज की भी समीक्षा की गयी। उन्होंने कहा कि दवाओं की उपलब्धता हर हाल में सुनिश्चित की जाए। बीस शहरी स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों से लेकर अन्य कर्मचारियों की जरूरत शासन को भेजी जाए, ताकि पद सृजन कर उन्हें समयबद्ध ढंग से चालू कराया जा सके।
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ब्लड बैंक न करें ढिलाई
प्रमुख सचिव ने 39 सरकारी ब्लड बैंकों की समीक्षा करते हुए कहा कि किसी भी मरीज के इलाज में ब्लड बैंकों के स्तर पर कोई ढिलाई नहीं होनी चाहिए। डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर उन्हें प्लेटलेट्स की जरूरत होगी। ऐसे में ब्लड बैंक्स में ब्लड कम्पोनेंट सेपेरेशन यूनिट भी ठीक से काम करें, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। ब्लड बैंकों में पेशेवर रक्तदाताओं से कतई खून न लिया जाए और उसके स्थान पर रक्तदान को बढ़ावा दिया जाए। इसके लिए विशेष अभियान भी चलाया जाना चाहिए।

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