Wednesday 2 September 2015

मनमानी व भ्रष्टाचार का केंद्र बने विकास प्राधिकरण

--सीएजी की रिपोर्ट--
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
सूबे के विकास की बागडोर संभाले विभिन्न विकास प्राधिकरण मनमानी व भ्रष्टाचार का केंद्र बने हैं। अधिकारी व कर्मचारी अपने लाभ के लिए प्राधिकरणों का जबर्दस्त नुकसान कर रहे हैं। सोमवार को विधानसभा में पेश भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में ऐसे तमाम मामले सामने आए, जिनमें कानपुर, लखनऊ, आगरा व गाजियाबाद विकास प्राधिकरणों की वित्तीय अराजकता सामने आयी है। हालात ये हैं कि ये प्राधिकरण इन मामलों में सीएजी के समक्ष जवाब भी प्रेषित नहीं कर सके हैं।
स्कूल का फायदा, केडीए को चूना
कानपुर विकास प्राधिकरण ने गड़बडिय़ां करने में शासनादेशों को ठेंगा दिखाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। दिसंबर 2001 में जारी शासनादेश के अनुसार विकास शुल्क का आरोपण, परियोजना के सम्पूर्ण आच्छादित क्षेत्रफल पर तत्समय प्रभावी दर से किया जाना था। सीएजी की एक रिपोर्ट के मुताबिक महाराणा प्रताप एजूकेशन सेंटर के आच्छादित क्षेत्रफल 76,112 वर्गमीटर के स्थान पर निर्मित क्षेत्रफल 8,923 वर्गमीटर पर ही किास शुल्क की वसूली की गयी। मार्च 2012 में हुई इस वसूली में केडीए को 5.01 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। प्राधिकरण ने इस मसले पर सीएजी के सवालों के जवाब भी नहीं दिये।
रेलवे की जमीन पर घरों का नक्शा
रिपोर्ट में कानपुर विकास प्राधिकरण के एक और कारनामे का खुलासा हुआ है। झकरकटी के भूखंड संख्या 84/250 के रेलवे की संपत्ति होने के बावजूद वहां समूह आवास के लिए नक्शा पास कर दिया गया। इसी तरह बिना भूउपयोग परिवर्तन कराए ईश्वरीगंज व बैकुंठपुर के कई भूखंडों का नक्शा पास कर दिया गया। इसके अलावा नक्शे पास करने में तमाम अनियमितताओं का जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। इसमें छह नक्शे तो भवन उपविधि के विपरीत पास कर दिये गए जिससे 7.75 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। नक्शे पास कराने के लिए 9.17 करोड़ रुपये का उपकर वसूल तो किया गया किन्तु उसमें से 5.19 करोड़ रुपये जमा नहीं किये गए।
गरीबों के लिए नहीं बने आवास
दिसंबर 2011 में जारी शासनादेश के अनुसार कुल अनुमोदित आवासीय इकाइयों के दस प्रतिशत आवास दुर्बल व अल्प आय वर्ग के लिए बनाए जाने थे। सीएजी ने सात प्रकरणों डिविनिटी हाउसिंग, हरिओम अग्र्रवाल एंड अदर्स, सुखधाम इन्फ्रा, हरीगनेश प्रा.लि., एमजी इन्फ्रा, तसलीम अशरफ व दुलारी देवी के समूह आवास के मानचित्र उक्त प्रावधान को सुनिश्चित किये बिना स्वीकृत कर दिये।  इसी तरह महावीर सहकारी आवास समिति ने 103 इकाइयों के स्थान पर 24 इकाइयों का प्रावधान किया, फिर केडीए ने उक्त नक्शा पास कर दिया। इस मामले में भी प्राधिकरण ने सीएजी को कोई जवाब नहीं दिया।
कृषि दर पर आवासीय भूखंड
सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि आवासीय भूखंड का कृषि दर पर अनियमित विक्रय कर प्राधिकरण को 4.55 करोड़ का चूना लगाया गया। बैरी अकबरपुर बांगर में 4,615 वर्ग मीटर के एक भूखंड को रोहित रियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को 10 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर की आवासीय दर के स्थान पर कृषि भूमि के लिए लागू 1200 रुपये प्रति वर्ग मीटर की सर्किल दर पर दे दिया गया। केडीए ने इस टिप्पणी को स्वीकार करते हुए तर्क दिया कि अतिक्रमण रोकने के लिए भूखंड बेचा गया।

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