Wednesday 2 September 2015

...तो साढ़े पांच सौ के काम आया एक जाति प्रमाणपत्र

-समाज कल्याण विभाग का पांच जिलों का विशेष ऑडिट
-शुल्क प्रतिपूर्ति में पकड़े फर्जी आय व जाति प्रमाण पत्र
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
समाज कल्याण विभाग के शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले में फर्जी आय व जाति प्रमाण पत्र के मामले भी सामने आए हैं। महालेखाकार की ओर से पांच जिलों के विशेष ऑडिट में पता चला कि एक ही जाति प्रमाण पत्र साढ़े पांच सौ अभ्यर्थियों के काम आया, वहीं एक ही आय प्रमाण पत्र का प्रयोग 255 अभ्यर्थियों ने किया।
मुख्य सचिव की पहल पर महालेखाकार ने वर्ष 2010-11 से वर्ष 2013-14 तक छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति योजना के लिए गाजियाबाद, कानपुर नगर, बाराबंकी, देवरिया व बांदा का विशेष ऑडिट किया। इसमें तमाम चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि देवरिया में 23 आय प्रमाण पत्रों का प्रयोग 994 छात्रों ने किया। इनमें से एक प्रमाण पत्र का प्रयोग से 10 से 290 बार तक हुआ। इसी तरह कानपुर नगर में 36 आय प्रमाण पत्रों का प्रयोग 1242 छात्रों ने 10 से 236 बार तक किया। गाजियाबाद में 14 आय प्रमाण पत्रों का प्रयोग 255 छात्रों ने 11 से 44 बार तक किया। देवरिया में 44 जाति प्रमाण पत्रों का प्रयोग 2158 छात्रों ने 10 से 550 बार तक किया। इससे स्पष्ट है कि इन छात्र-छात्राओं ने फर्जी जाति व आय प्रमाण पत्रों का प्रयोग किया किन्तु संस्थानों से लेकर समाज कल्याण, पिछड़ा वर्ग कल्याण व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग तक किसी भी अधिकारी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। मुख्य सचिव आलोक रंजन ने सभी दोषी अधिकारियों व संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिये हैं।
बिहार निवासी को मिला धन
ऑडिट रिपोर्ट में पता चला कि किसी भी जनपद में छात्रों का प्रवेश मेरिट पर हुआ या मैनेजमेंट कोटा में, इसकी जानकारी उपलब्ध नहीं थी। देवरिया में बिहार के एक छात्र को वर्ष 2012-13 में शुल्क प्रतिपूर्ति का भुगतान कर दिया गया। राजस्व परिषद की वेबसाइट पर उपलब्ध आय प्रमाण पत्र से आकस्मिक मिलान पर ऐसे 34 प्रकरण सामने आए जिनमें एकरूपता नहीं थी।
59 के आवेदन, 77 मांगपत्र भेजे
देवरिया के विश्वनाथ राय कांकड़ महाविद्यालय ने वर्ष 2013-14 में 59 छात्रों के आवेदन पत्र अग्र्रसारित किये थे, किन्तु जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने 77 छात्रों के मांगपत्र अग्र्रसारित कर दिये। वर्ष 2011-12 में बाराबंकी के ऐसे 40 विद्यार्थियों को 5.61 लाख तथा गाजियाबाद में 598 विद्यार्थियों को 10.80 लाख रुपये का भुगतान कर दिया गया, जिनका मांग पत्र में उल्लेख ही नहीं था।
पिता एक, बच्चे अलग वर्ग में
ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2013-14 में इन पांच जिलों में ही 240 ऐसे मामले प्रकाश में आए, जहां एक ही पिता के दो बच्चों को अलग-अलग वर्गों में भुगतान कर दिया गया। वर्ष 2010 से 2014 तक 4,787 पाठ्यक्रमों में एक ही संस्था द्वारा अलग वर्ग के छात्रों के लिए अलग-अलग शुल्क दिखाकर उसका भुगतान भी प्राप्त कर लिया गया।

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