Wednesday 2 September 2015

16 सीएमओ के वेतन रुके, ढूंढ़े जाएंगे गायब डॉक्टर

-हर जिले में पोषण पुनर्वास केंद्र व नवजात शिशु उपचार इकाई
-काली सूची में डाले जाएंगे सबसे खराब पांच दवा आपूर्तिकर्ता
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
जननी सुरक्षा योजना के लाभार्थियों व आशा कार्यकर्ताओं के भुगतान में लापरवाही करने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारियों के खिलाफ शासन का सख्त रुख बरकरार है। ऐसे 16 सीएमओ का वेतन रोकने के साथ स्वास्थ्य केंद्रों से गायब डॉक्टरों को ढूंढऩे के निर्देश भी दिये गए हैं।
प्रदेश के सभी जिलों के मुख्य चिकित्सा अधिकारियों की बैठक शनिवार को राजधानी में हुई। बीते माह आशा कार्यकर्ताओं का पारिश्रमिक भुगतान न होने पर 56 जिलों के सीएमओ का वेतन रोका गया था। पता चला कि 16 जिलों में अभी भी भुगतान नहीं हुए हैं। कई जिलों में जननी सुरक्षा योजना के लाभार्थियों को भी भुगतान नहीं किया गया है। इस पर इन 16 जिलों के सीएमओ का वेतन रोकने के आदेश दिये गए। कुछ सीएमओ ने एक सप्ताह के भीतर भुगतान कर देने की बात कही तो उनसे कहा गया कि पहले भुगतान कर दो, तब वेतन की बात करना। कहा गया कि सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों की उपस्थिति सुनिश्चित कराएं। जो डॉक्टर गायब हैं, या सर्जरी आदि नहीं कर रहे हैं, उन्हें ढूंढ़ा जाए। उनके खिलाफ नोटिस जारी करने के साथ कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
बैठक में बताया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से प्रदेश के लिए 6310 करोड़ रुपये की योजना मंजूर हुई है। इस राशि से चिकित्सा सेवाओं का उन्नयन किया जाएगा। हर जिले में पोषण पुनर्वास केंद्र खुलेंगे। साथ हर जिला महिला अस्पताल व संयुक्त अस्पताल में बीमार नवजात शिशुओं के इलाज के लिए 'सिक न्यू बॉर्न केयर यूनिट की स्थापना होगी। अस्पतालों में दवाओं की कमी न पडऩे देने पर भी जोर दिया गया। कहा गया कि हर सीएमओ अपने स्तर पर दवाओं की चिंता करें। सितम्बर में दवा विक्रेताओं के साथ एक बार फिर बैठक होगी। तय हुआ कि दवाओं की आपूर्ति में सबसे ढीले पांच आपूर्तिकर्ताओं को विधिक नोटिस जारी कर काली सूची में डाला जाए। जिला अस्पतालों के अधीक्षकों ने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों द्वारा समय पर धन न देने की शिकायत की तो निर्देश दिये गए कि धन जारी होने के दस दिन के भीतर ट्रांसफर हो जाना चाहिए। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक अमित घोष, स्वास्थ्य विभाग की टेक्निकल सपोर्ट यूनिट के प्रभारी विकास गोथलवाल, स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.विजयलक्ष्मी, परिवार कल्याण महानिदेशक डॉ.रेनू जलोटे आदि ने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों से कामकाज का ब्योरा लिया।
मिट्टी में न मिलाएं पूरी मेहनत
बैठक में स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन भी पहुंचे। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टरों की लापरवाही से जनता के बीच छवि खराब होती है। शाहजहांपुर व श्रावस्ती जैसी घटनाएं शासन व अच्छा काम करने वाले चिकित्सकों की पूरी मेहनत पर पानी फेर देती हैं। पूरी मेहनत को मिट्टी में मिलाने वाले डॉक्टरों को किसी भी हाल में नहीं छोड़ा जाएगा।

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