Wednesday 16 September 2015

फीस तय न होने से निजी चिकित्सा संस्थानों में मनमानी


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-रुक गयी शासन स्तर पर शुरू हुई फीस निर्धारण प्रक्रिया
-निजी मेडिकल व डेंटल कालेजों ने नहीं भेजा पूरा ब्योरा
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : शासन की मंशा के बावजूद निजी मेडिकल, डेंटल व आयुर्वेदिक कालेजों का फीस निर्धारण अब तक नहीं हो सका है। इस कारण निजी चिकित्सा संस्थान मनमानी फीस लेकर प्रवेश कर रहे हैं।
प्रदेश में निजी क्षेत्र के 14 मेडिकल कालेज, 25 डेंटल कालेज व 14 आयुर्वेदिक कालेज संचालित हो रहे हैं। इनमें मनमानी फीस वसूली की शिकायतें लंबे समय से मिलती रही हैं। इस पर अंकुश की तमाम कोशिशें विफल होने पर इस वर्ष प्रदेश सरकार ने निजी चिकित्सा संस्थानों की फीस तय करने का फैसला किया था। इसके लिए प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) ने पहल कर मेडिकल व डेंटल कालेजों के लिए चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक व आयुर्वेदिक कालेजों के लिए आयुर्वेद निदेशक के माध्यम से फीस निर्धारण की प्रक्रिया भी शुरू कर दी थी। सभी कालेजों से चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा प्रमाणित उनके आय-व्यय का लेखा-जोखा भी मांगा गया था, ताकि उसके हिसाब से फीस निर्धारित की जा सके। इस बाबत कई बार बैठकों के बाद भी सभी निजी कालेजों ने अपना ब्यौरा नहीं सौंपा। बमुश्किल एक दर्जन कालेजों ने अपना लेखा-जोखा सौंपा, जिसमें से आधा दर्जन के लिए एमबीबीएस व बीडीएस की फीस ढाई से साढ़े सात लाख के बीच निर्धारित की गई। अन्य संस्थानों की फीस अब तक लंबित है। आयुर्वेदिक कालेजों की फीस निर्धारण के लिए तो शुरुआती बैठकों के बाद बैठक तक नहीं हो सकी है। इस बीच सभी कालेजों में प्रवेश प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है। कालेज मनमानी वसूली कर प्रवेश ले रहे हैं और चिकित्सा शिक्षा विभाग उन्हें रोक नहीं पा रहा है। इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी ने कहा कि जल्द ही फीस निर्धारित की जाएगी। इस बीच यदि किसी कालेज द्वारा वसूली या अराजकता की शिकायत मिली, तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जरूर की जाएगी।
53 कालेज, 250 करोड़ फीस
प्रदेश के 53 निजी कालेजों में एमबीबीएस की 1500, बीडीएस की 2500 व बीएएमएस की 1000 सीटें हैं। इन पांच हजार सीटों पर कालेज संचालक मनमानी वसूली करते हैं। मौजूदा समय में बीएएमएस के लिए औसतन तीन लाख रुपये प्रति वर्ष, बीडीएस के लिए औसतन पांच लाख रुपये प्रतिवर्ष और एमबीबीएस के लिए औसतन दस लाख रुपये प्रतिवर्ष तक निजी कालेजों द्वारा वसूले जा रहे हैं। इस तरह 53 कालेजों में औसतन 250 करोड़ रुपये फीस हर साल वसूली जाती है।
11 साल बाद शुरू हुई प्रक्रिया
निजी कालेजों में फीस निर्धारण की यह प्रक्रिया बमुश्किल 11साल बाद शुरू हो सकी है। इससे पहले वर्ष 2004 में फीस निर्धारण किया गया था। तब तय हुआ था कि हर तीन साल में निजी कालेजों की फीस पुन: निर्धारित की जाएगी। शासन स्तर पर निजी कालेजों की पकड़ ही थी कि फीस का पुनर्निधारण नहीं हुआ और कालेज मनमाने ढंग से वसूली करते रहे। इस बार भी यह सिलसिला शुरू होने के बाद बार-बार रुकने के कारण तमाम सवाल उठ रहे हैं।  

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