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-राज्य में खुलेंगे 18 प्रशिक्षण केंद्र, एमसीआइ से मिलेगी अनुमति
-पुरुषों ने महिलाओं को सौंप रखा है नसबंदी कराने का जिम्मा
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डॉ.संजीव, लखनऊ
पुरुष प्रधान समाज में नसबंदी कराने का जिम्मा भी पुरुषों ने महिलाओं को ही सौंपा हुआ है। तमाम कोशिशों के बाद भी पुरुष नसबंदी तुलनात्मक रूप से नहीं बढ़ पायी तो अब इसे बढ़ाने के लिए सरकारी सेवा से जुडऩे वाले एमबीबीएस उत्तीर्ण चिकित्सकों को पुरुष नसबंदी का अनिवार्य प्रशिक्षण देने की तैयारी है।
प्रदेश में पुरुष नसबंदी बढ़ाने के लिए राज्य सरकार अधिक चिकित्सकों को हुनरमंद बनाने की तैयारी में है। अभी तक पुरुष नसबंदी के लिए सर्जन होना जरूरी था। प्रदेश के सिर्फ चार सरकारी मेडिकल कालेजों में ही नसबंदी का प्रशिक्षण दिया जाता है। अब इसे विस्तार देने की तैयारी है। बीते दिनों केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मंजूरी के बाद अब हर सरकारी डॉक्टर के लिए नसबंदी करने का प्रशिक्षण अनिवार्य किया जा रहा है। नियमित ही नहीं, संविदा पर सरकारी नौकरी का हिस्सा बनने वाले एमबीबीएस डॉक्टरों के लिए नसबंदी करना सीखना अनिवार्य होगा। सर्जरी की प्रक्रिया होने के कारण एमबीबीएस उत्तीर्ण को यह पाठ्यक्रम कराने के लिए एमसीआइ की अनुमति भी ली जाएगी। इसके लिए प्रदेश के सभी 18 मंडल मुख्यालयों पर पुरुष नसबंदी प्रशिक्षण केंद्र भी खोले जाएंगे। इनमें से आठ का संचालन स्वास्थ्य विभाग की तकनीकी सहयोग इकाई (टीएसयू) और दस का संचालन सिफ्सा के हाथ में होगा। प्रदेश सरकार की किसी भी योजना का हिस्सा बनने के साथ संबंधित एमबीबीएस डॉक्टर को इन प्रशिक्षण केंद्रों में जाकर पुरुष नसबंदी करना सीखना होगा, उसके बाद ही वे सरकारी नौकरी ज्वाइन कर सकेंगे। ये प्रशिक्षण केंद्र इस वर्ष के अंत तक खोलने का लक्ष्य है। मंडल मुख्यालयों पर ये केंद्र खुलने के बाद जिला स्तर पर भी विस्तार किया जा सकेगा।
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पुरुष पांच फीसद भी नहीं
प्रदेश में नसबंदी के बीते पांच वर्षों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। इनसे पता चलता है कि नसबंदी कराने वालों में पुरुषों की संख्या पांच फीसद भी नहीं है। इस दौरान वर्ष 2010-11 में सर्वाधिक 4,04,104 महिलाओं ने नसबंदी कराई थी, जबकि इस वर्ष पुरुषों की संख्या ढाई फीसद के आसपास महज 9,046 थी। वर्ष 2011-12 में सर्वाधिक 11,801 पुरुषों ने नसबंदी कराई, किन्तु 3,22,002 महिलाओं की तुलना में यह संख्या भी चार फीसद से कम रही। वर्ष 2012-13 में तो 3,03,996 महिलाओं की तुलना में सिर्फ 6,539 पुरुषों ने ही नसबंदी कराई। अब तक यही सिलसिला कायम है और इस मौजूदा वित्तीय वर्ष के शुरुआती पांच महीनों, अप्रैल से अगस्त के बीच में जहां 21,693 महिलाएं नसबंदी करा चुकी हैं, वहीं इसके लिए आगे आने वाले पुरुषों की संख्या महज 1,497 ही है।
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