Wednesday 30 September 2015

घर में ही जमे डॉक्टर साहब


-जिद्दी डॉक्टर, लाचार प्रशासन-
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-नियमों की धज्जियां उड़ाकर करा लेते हैं तैनाती
-दस से पंद्रह वर्ष से गृह जिले में डटे हैं डॉक्टर
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डॉ.संजीव, लखनऊ : डॉ.ज्योत्सना कुमारी कानपुर के डफरिन अस्पताल में एक मार्च 2001 को तैनात हुई थीं। कानपुर उनका गृह जिला भी है और जहां पे तैनाती तो हो ही नहीं सकती। इसके बावजूद 14 साल होने को आए, उनके तबादले की तरफ किसी का ध्यान तक नहीं गया।
यह स्थिति महज डॉ.ज्योत्सना कुमारी की नहीं। भारी संख्या में डॉक्टर अपने गृह जिले में ही जमे हैं। लखनऊ की मूल निवासी डॉ.पूनम सिंह की पहली नियुक्ति 17 मार्च 2005 को महाराजगंज में हुई थी। वहां लगभग चार माह काटने के बाद उनका तबादला लखनऊ हो गया। उन्होंने 28 जुलाई 2005 को लखनऊ के पीएसी अस्पताल में ज्वाइन किया और पहले मेडिकल अफसर, फिर कंसल्टेंट के रूप में काम करने के बाद चार नवंबर 2011 को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इटौंजा और फिर 26 जून 2013 को टीबी हास्पिटल ठाकुरगंज में तैनात हुईं। फिर उनका तबादला लोकनायक राजनारायण अस्पताल में हो गया। लखनऊ के मूल निवासी डॉ.नरेंद्र कुमार त्रिपाठी 11 वर्षों से लखनऊ में ही तैनात हैं। यूं, उन्होंने पूरी नौकरी राजधानी के आसपास ही की है। 27 फरवरी 1999 को सीतापुर से कॅरियर शुरू करने वाले डॉ.त्रिपाठी चार माह बाद एक जुलाई 2001 को बाराबंकी आ गए और फिर चार जुलाई 2004 से लखनऊ में ही हैं। बलरामपुर अस्पताल, इटौंजा व चिनहट स्वास्थ्य केंद्रों में काम करते हुए वे इस समय लोकबंधु राजनारायण अस्पताल में तैनात हैं। इसी तरह लखनऊ गृह जिला होने के बावजूद डॉ.अनामिका गुप्ता छह वर्ष, डॉ.रितेश द्विवेदी पांच वर्ष, डॉ.मनीष शुक्ला, डॉ.अखिलेश कुमार व डॉ.रामचंद्र गुप्ता तीन वर्ष से लखनऊ में तैनात हैं। सीतापुर गृह जिला होने के बावजूद डॉ.अमित वाजपेयी तीन वर्ष व डॉ.आफताब इकबाल बेग दो वर्ष से तैनात हैं।
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पड़ोसी जिला ही सही
कानपुर के 37वीं वाहिनी पीएसी अस्पताल में में 31 जनवरी 2003 से तैनात डॉ.अरविंद अवस्थी मूल रूप से उन्नाव के रहने वाले हैं। वह बीते साढ़े बारह वर्ष से पड़ोस के कानपुर में तैनात हैं। इससे पहले के दो साल भी उन्होंने पड़ोस के जिले रायबरेली में काटे थे।
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डिग्री दूसरी, काम तीसरा
बड़े शहरों में रहने के लिए चिकित्सकीय अराजकता भी सिर चढ़कर बोल रही है। स्वास्थ्य विभाग के अभिलेखों में डॉ.कुमकुम शर्मा की डिग्री के रूप में एमडी (मेडिसिन) दर्ज है। इस तरह उनकी नियुक्ति फिजीशियन के रूप में होनी चाहिए। इसके विपरीत वह छह अगस्त 1991 से 24 अगस्त 2001 तक दस साल लखनऊ में रेडियोलॉजिस्ट रहीं और फिर 25 अगस्त 2001 को कानपुर के डफरिन अस्पताल में बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में तैनात हो गयीं। पिछले 15 वर्षों से वह कानपुर में ही जमी हैं।
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गृह जिले में नियुक्ति गलत
गृह जिले में नियुक्ति किसी भी हालत में नहीं होनी चाहिए। हाल ही में 15 लोगों की ऐसी सूची आई थी, जिनकी नियुक्ति भूलवश हो गयी थी। उन सबको गृह जिले से हटा दिया गया था। एक बार फिर सबकी समीक्षा कराकर गलत नियुक्त चिकित्सकों को हटाया जाएगा।
-डॉ.विजयलक्ष्मी, स्वास्थ्य महानिदेशक, उत्तर प्रदेश

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