Friday 4 September 2015

पिछड़ों की चिंता में फायदे का आकलन


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-पिछड़ा वर्ग आयोग ने सभी जिलाधिकारियों से मांगा जवाब
-सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में भेजी प्रश्नावली
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग बीते कुछ वर्षों में पिछड़ों को मिली सुविधाओं का आकलन कर रहा है। इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को विभिन्न सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के बारे में विस्तृत प्रश्नावली भेजकर जवाब मांगे गए हैं।
पिछड़ा वर्ग की राजनीति में सभी दल उनकी चिन्ता करने का दावा करते रहे हैं। बीते कुछ चुनावों से भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच पिछड़ों का हमदर्द साबित करने की होड़ सी लगी है। शासन स्तर पर यह सक्रियता एक बार फिर बढ़ सी गयी है। उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग आयोग ने पिछड़ों को अब तक हुए फायदे का आकलन करने की रणनीति बनाई है। आयोग अध्यक्ष राम आसरे विश्वकर्मा ने सभी जिलाधिकारियों को विस्तृत प्रश्नावली भेज कर पिछड़ों को मिली सुविधाओं और चलायी जा रही सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के अमल व पिछड़े वर्ग की वास्तविक हिस्सेदारी आदि का ब्यौरा मांगा है।
इस बाबत भेजी गयी प्रश्नावली में सभी विभागों में पिछड़े वर्ग के आरक्षण की स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। इसमें स्वीकृत पदों के सापेक्ष संवर्गवार भरे गए पदों की संख्या के साथ उनका पूरा प्रतिशत भी पूछा गया है। लोहिया, कांशीराम और इंदिरा आवास योजनाओं में पिछड़े वर्ग को आवंटित आवासों के साथ समाजवादी व विधवा पेंशन योजनाओं में पिछड़े वर्ग के लाभार्थियों के प्रतिशत की जानकारी भी मांगी गयी है। हर जिले में खाद्य व रसद की कुल आवंटित दुकानों और मंडी परिषद द्वारा कुल आवंटित दुकानों की संख्या के सापेक्ष पिछड़े वर्ग को आवंटित दुकानों की संख्या तो मांगी ही गयी है, कृषि, तालाब, कुम्हारी कला, मत्स्य पालन व आवास के लिए आवंटित पट्टों में पिछड़ों की भागीदारी का ब्यौरा भी मांगा गया है।
युवाओं से जुड़े सवाल अलग
इस पूरी प्रश्नावली में युवाओं से जुड़े सवालों को बिल्कुल अलग कर दिया गया है। इसमें जनपद में बनाए गए छात्रावासों की संख्या, छात्रावासों में रहने वाले अन्य पिछड़े वर्ग के लाभार्थियों की संख्या के साथ ही शादी, बीमारी आदि में अन्य पिछड़े वर्ग के लाभार्थियों की पूरी जानकारी भी मांगी गयी है। आयोग की चिंता पिछड़े वर्ग के लिए संचालित कोचिंग संस्थानों व उनमें पढऩे वाले छात्रों के साथ ओ लेवल प्रशिक्षण में पिछड़ों की हिस्सेदारी को लेकर तो है ही, दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति में पिछड़ों को मिल रहे फायदे का आकलन करने की बात भी कही गयी है।
बनेगी रणनीति, होंगे दावे
इस पूरी कवायद के बाद पिछड़ों के हित में मौजूदा सरकार व मौजूदा आयोग के कामकाज को रेखांकित किया जाएगा। इससे न सिर्फ भविष्य की रणनीति बनाई जा सकेगी बल्कि मौजूदा सरकार के सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग हितैषी होने के दावे भी किए जाएंगे। जहां चूक मिलेगी, उसे सुधारने की बात भी कही गयी है। 

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