Wednesday 2 September 2015

निजी मदद बढ़ाकर सुधारेंगे जच्चा-बच्चा की सेहत

-सीजेरियन प्रसव के लिए अब निजी अस्पतालों को देंगे 8000 रुपये
-हुई पांच गुना से ज्यादा वृद्धि, पहले दिये जाते थे महज 1500 रुपये
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
दूरदराज गांवों या शहर के दूरस्थ किनारों में रहने वाली गर्भवती महिला की हालत बिगडऩे पर सीजेरियन प्रसव के लिए निजी अस्पताल जाने की स्थिति में उसे अब लौटना नहीं पड़ेगा। सरकार निजी क्षेत्र को दी जाने वाली राशि में पांच गुना से अधिक वृद्धि कर रही है, ताकि जच्चा-बच्चा की सेहत ठीक रह सके।
जानकारी के मुताबिक ग्र्रामीण अंचलों से लेकर शहरों के किनारे वाले दूरवर्ती इलाकों में अब भी ऐसे सरकारी अस्पताल नहीं हैं, जहां ऑपरेशन से प्रसव (सीजेरियन) की सुविधा हो। महिलाओं के जिला अस्पतालों में विशेषज्ञ स्त्री एवं प्रसूति रोग चिकित्सक होते हैं, किन्तु कई बार वहां तक प्रसूता के पहुंचते-पहुंचते उसकी हालत खराब हो चुकी है। आशा, एएनएम या नर्स के स्तर पर प्राथमिक जांच से यदि यह पता चलता है कि सामान्य प्रसव नहीं हो सकता और सीजेरियन ही एकमात्र उपाय है, वहां एम्बुलेंस से मरीज को जिला अस्पताल भेजा जाता है। यदि नर्स या एएनएम मरीज को लेकर निजी अस्पतालों में जाएं तो कई बार वहां से मरीजों को लौटा दिया जाता है। इसके पीछे शासन की ओर से सीजेरियन प्रसव के बदले मिलने वाली धनराशि का महज 1500 रुपये होना बड़ा कारण बताया जाता है। चिकित्सक इसे बहुत कम मानते हैं। यही कारण है कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने अपनी नयी स्वीकृतियों में निजी अस्पताल में सीजेरियन प्रसव के लिए आठ हजार रुपये देने को मंजूरी दे दी है। अभी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले परिवारों की महिलाओं के मामले में यह राशि स्वीकृत की जाएगी। दूसरे चरण में इसे अन्य प्रसूताओं के मामले में विस्तार करने पर विचार होगा।
(इनसेट-1)
जरूरत पर बुलाएंगे प्राइवेट डॉक्टर
स्वास्थ्य विभाग अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से लेकर ग्र्राम पंचायत स्तर तक निजी डॉक्टरों की सहभागिता बढ़ाने जा रहा है। इसके लिए किसी भी मरीज की हालत बिगडऩे पर यदि उसे अस्पताल ले जाने में अधिक खतरे की संभावना हो तो प्राइवेट डॉक्टर को मरीज तक पहुंचाने की व्यवस्था की जाएगी। जिन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सर्जन या स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ और एनेस्थीशिया विशेषज्ञ नहीं है, वहां प्राइवेट डॉक्टर्स के पैनल से डॉक्टर बुलाए जाएंगे। एक दौरे के लिए एनेस्थीशिया विशेषज्ञ को 2500 रुपये और सर्जन या स्त्री-प्रसूति रोग विशेषज्ञ को 4000 रुपये दिये जाएंगे। ग्र्रामीण क्षेत्र में जाने पर 1000 रुपये अतिरिक्त दिये जाएंगे।
निजी अस्पतालों संग साझेदारी
स्वास्थ्य विभाग राज्य के निजी अस्पतालों के साथ साझेदारी कर उन्हें हौसला अभियान से जोडऩे की तैयारी कर रहा है। अभी बरेली, लखनऊ व कानपुर के कुछ अस्पताल इससे जुड़े हैं। अब पूरे प्रदेश के सभी जिलों के अस्पताल इससे जोड़े जाएंगे। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की टीम जाकर अस्पतालों का चयन करेगी, फिर उन्हें स्वास्थ्य विभाग की गतिविधियों से जुडऩे के लिए मान्यता प्रदान की जाएगी।
सुधरेगा इलाज, बचेगी जान
चिकित्सकों की अनुपलब्धता या किसी अन्य कारण से जच्चा-बच्चा की सेहत खतरे में नहीं आनी चाहिए। इसी भाव से निजी क्षेत्र को इस अभियान से जोड़ा जा रहा है। उसी के अनुरूप उन्हें मिलने वाली राशि भी बढ़ाई गयी है। इससे न सिर्फ इलाज का स्तर सुधरेगा, बल्कि तमाम प्रसूताओं व उनके नवजात शिशुओं की जान बचाना भी संभव होगा। -अमित घोष, निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उत्तर प्रदेश

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