Monday 31 August 2015

पेंशनर की मृत्यु, रकम फिर भी खाते में


कोषागार निदेशालय का आकलन, पांच हजार करोड़ डूबे
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-मृत्यु के बाद परिजन नहीं देते सूचना, लेते रहते धन
-भूमि राजस्व की तरह ब्याज सहित वसूली के आदेश
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डॉ.संजीव, लखनऊ:
है तो यह भी वित्तीय जालसाजी लेकिन फर्क तरह की। कोषागार निदेशालय ने पेंशनर की मौत के बाद परिजनों द्वारा उनके खाते से पेंशन लेते रहने का मामला पकड़ा है। ये वे लोग हैं जो फैमिली पेंशन नहीं लेते। आकलन के मुताबिक दस सालों में पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम डूब चुकी है। अब ब्याज सहित वसूली के आदेश दिये गए और दो सौ करोड़ रुपये वसूले भी जा चुके हैं।
प्रदेश में इस समय लगभग दस लाख पेंशनर हैं। इन सभी को पेंशन बैंक खातों के माध्यम से भेजी जाती है। जिन पेंशनरों की मृत्यु की सूचना मिलती है, उनकी पेंशन रोक दी जाती है। वर्ष में एक बार पेंशनर द्वारा अपना जीवित प्रमाण पत्र खुद कोषागार जाकर देने का नियम है। एक बार जीवन प्रमाण पत्र मिलने के बाद अगले वर्ष तक पेंशन खाते में जाती रहती है। इस बीच यदि पेंशनर की मृत्यु हो जाती है तो उसके परिजनों की जिम्मेदारी है कि वे तत्काल इसकी सूचना बैंक व कोषागार को दें, ताकि उनकी पेंशन बंद की जा सके पर ऐसा नहीं हो रहा। बहुत से परिजनों ने पेंशनर की मृत्यु की जानकारी नहीं दी जबकि इसके विपरीत वे संयुक्त खाते, चेक या एटीएम आदि का लाभ उठाकर पेंशन निकालते रहे।
कोषागार निदेशक के मुताबिक औसतन पचास हजार पेंशनरों की मृत्यु हर वर्ष होती है। इन्हें आठ हजार से अस्सी हजार रुपये तक पेंशन दी जाती है। 15 हजार रुपये औसत पेंशन मानकर बिना सूचना के छह माह पेंशन जारी करने को आधार बनाकर जोड़ा गया तो हर वर्ष औसतन 900 करोड़ रुपये कोषागार के खाते से मृत पेंशनरों के नाम जा रहे हैं। खातों में पेंशन जाने की योजना वर्ष 2005 में शुरू की गयी थी, इस तरह बीते दस वर्षों में कम से कम 5000 करोड़ रुपये के पेंशन घपले का आकलन किया गया है और यह राशि अधिक भी हो सकती है।
अब क्या होगा 
कोषागार निदेशक लोरिक यादव ने कोषाधिकारियों को पत्र लिखकर जीवन प्रमाण पत्र न जमा करने वाले पेंशनरों की सूची तैयार कर तहसीलदारों के माध्यम से उनके सत्यापन को कहा है। इसके बाद बैंकों से उनके आहरण की जानकारी लेकर रकम ब्याज सहित वारिसानों से वसूली जाएगी। यह वसूली भूमि राजस्व वसूली की तरह होगी। इसके लिए रिकवरी सर्टिफिकेट (आरसी) भी जारी की जाएगी। अभी एक साल बाद जीवन प्रमाण पत्र न जमा करने पर पेंशन तो रोक ही दी जाती है, अब उसके तीन माह बाद संबंधित खाते से धन निकासी रोकने के निर्देश भी दिये गए हैं।
54 प्रतिशत संतानें देतीं धोखा
प्रमुख सचिव (वित्त) राहुल भटनागर द्वारा मंडलायुक्तों व जिलाधिकारियों को भेजे गए पत्र में साफ कहा गया है कि 54 प्रतिशत पेंशनरों की मृत्यु की सूचना उनके वारिसानों द्वारा नहीं दी जाती है। इस कारण उनकी मृत्यु के बाद भी कई महीनों तक पेंशन उनके खाते में जाती रहती है। पेंशनर के उत्तराधिकारी एटीएम कार्ड या चेक के माध्यम से अवैध रूप से इस धनराशि का आहरण कर लेते हैं।
200 करोड़ वसूले गए
प्रथमदृष्ट्या लगभग पांच हजार करोड़ रुपये के घपले की उम्मीद है। यह राशि बढ़ भी सकती है। फिलहाल कोषाधिकारियोंको सतर्क कर अपने मृत माता-पिता की पेंशन हड़पने वालों से वसूली के आदेश दिये गए हैं। अब तक 200 करोड़ रुपये वसूले भी जा चुके हैं।
-लोरिक यादव, निदेशक कोषागार

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