-विश्व स्तनपान सप्ताह-
-महिलाओं को जागरूक करने के लिए चलेगा विशेष अभियान
-दो साल तक पिलाएं दूध, छह माह तक पानी से भी रखें दूर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध मिले तो उसे नवजीवन मिलता है। एक से आठ अगस्त तक चलने वाले विश्व स्तनपान सप्ताह में इस बाबत जागरूकता के साथ जानकारी दी जाएगी कि स्तनपान से महिलाओं को भी लाभ होता है। इससे उनका वजन घटता है और तमाम बीमारियां दूर भागती हैं।
महिलाओं को स्तनपान के प्रति जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य महकमा पूरे प्रदेश में विशेष अभियान चलाएगा। स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन स्वयं प्रमुख सचिव अरविंद कुमार व महानिदेशक डॉ.विजयलक्ष्मी के साथ सि पूरे अभियान पर नजर रख रहे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात चिकित्सकों से लेकर एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तक, सभी को सक्रिय करने की बात कही गयी है। माताओं को बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत कराने के लाभ बताए जाएंगे। उन्हें प्रेरित किया जाएगा कि छह माह तक घुट्टी, शहद आदि तो दूर, पानी भी न पिलाएं। बच्चे के छह माह का होने के बाद ऊपरी पूरक आहार की शुरुआत तो कर दें किन्तु कम से कम दो वर्ष तक स्तनपान कराएं। कामकाजी माताएं भी अपने बच्चे को स्तनपान कराने के प्रति विशेष ध्यान रखें। शहरी मलिन बस्तियों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को स्तनपान कराये जाने के लाभ के साथ ही माताओं को स्वयं की साफ-सफाई पर भी ध्यान देने के लिए जागरूक किया जाएगा।
नहीं पनपने देता रोग
नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती। मां के दूध में मौजूद लेक्टोफोर्मिन बच्चे की आंत में लौह तत्वों को समाप्त कर देता है, जिससे शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। मां के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। इस तरह बच्चा मां का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है।
मां को भी होता है लाभ
स्तनपान मां के लिए गर्भावस्था के दौरान बढ़े वजऩ को घटाने में सहायक होता है। ब्रेस्ट कैंसर या ओवेरियन कैंसर से बचाने और डिप्रेशन से राहत दिलाने में भी स्तनपान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इससे तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव से मुक्ति मिलती है। स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक भी है।
बच्चे की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि
-स्तनपान से मजबूत हुए भावनात्मक रिश्ते के परिणामस्वरूप ऐसे शिशु की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।
-मां का दूध सुपाच्य होता है। स्तनपान करने वाले बच्चों में पेट की गड़बडिय़ों की आशंका नहीं होती।
-मां का दूध नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है, जिससे दमा व नाक की बीमारियां नहीं होतीं।
-बच्चे बाद में मोटे नहीं होते, क्योंकि उन्हें शुरू से जरूरत से ज्यादा खाने की आदत नहीं पड़तीं।
-स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है।
-महिलाओं को जागरूक करने के लिए चलेगा विशेष अभियान
-दो साल तक पिलाएं दूध, छह माह तक पानी से भी रखें दूर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
बच्चे को जन्म के एक घंटे के भीतर मां का दूध मिले तो उसे नवजीवन मिलता है। एक से आठ अगस्त तक चलने वाले विश्व स्तनपान सप्ताह में इस बाबत जागरूकता के साथ जानकारी दी जाएगी कि स्तनपान से महिलाओं को भी लाभ होता है। इससे उनका वजन घटता है और तमाम बीमारियां दूर भागती हैं।
महिलाओं को स्तनपान के प्रति जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य महकमा पूरे प्रदेश में विशेष अभियान चलाएगा। स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन स्वयं प्रमुख सचिव अरविंद कुमार व महानिदेशक डॉ.विजयलक्ष्मी के साथ सि पूरे अभियान पर नजर रख रहे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य केंद्रों में तैनात चिकित्सकों से लेकर एएनएम, आशा व आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं तक, सभी को सक्रिय करने की बात कही गयी है। माताओं को बच्चे के जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत कराने के लाभ बताए जाएंगे। उन्हें प्रेरित किया जाएगा कि छह माह तक घुट्टी, शहद आदि तो दूर, पानी भी न पिलाएं। बच्चे के छह माह का होने के बाद ऊपरी पूरक आहार की शुरुआत तो कर दें किन्तु कम से कम दो वर्ष तक स्तनपान कराएं। कामकाजी माताएं भी अपने बच्चे को स्तनपान कराने के प्रति विशेष ध्यान रखें। शहरी मलिन बस्तियों तथा ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चों को स्तनपान कराये जाने के लाभ के साथ ही माताओं को स्वयं की साफ-सफाई पर भी ध्यान देने के लिए जागरूक किया जाएगा।
नहीं पनपने देता रोग
नवजात शिशु में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति नहीं होती। मां के दूध में मौजूद लेक्टोफोर्मिन बच्चे की आंत में लौह तत्वों को समाप्त कर देता है, जिससे शिशु की आंत में रोगाणु पनप नहीं पाते। मां के दूध से आए साधारण जीवाणु बच्चे की आंत में पनपते हैं और रोगाणुओं से प्रतिस्पर्धा कर उन्हें पनपने नहीं देते। इस तरह बच्चा मां का दूध पीकर सदा स्वस्थ रहता है।
मां को भी होता है लाभ
स्तनपान मां के लिए गर्भावस्था के दौरान बढ़े वजऩ को घटाने में सहायक होता है। ब्रेस्ट कैंसर या ओवेरियन कैंसर से बचाने और डिप्रेशन से राहत दिलाने में भी स्तनपान की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इससे तनाव कम होता है और प्रसव के बाद होने वाले रक्तस्राव से मुक्ति मिलती है। स्तनपान एक प्राकृतिक गर्भनिरोधक भी है।
बच्चे की बौद्धिक क्षमता में वृद्धि
-स्तनपान से मजबूत हुए भावनात्मक रिश्ते के परिणामस्वरूप ऐसे शिशु की बौद्धिक क्षमता भी बढ़ती है।
-मां का दूध सुपाच्य होता है। स्तनपान करने वाले बच्चों में पेट की गड़बडिय़ों की आशंका नहीं होती।
-मां का दूध नाक और गले में प्रतिरोधी त्वचा बना देता है, जिससे दमा व नाक की बीमारियां नहीं होतीं।
-बच्चे बाद में मोटे नहीं होते, क्योंकि उन्हें शुरू से जरूरत से ज्यादा खाने की आदत नहीं पड़तीं।
-स्तनपान से जीवन के बाद के चरणों में रक्त कैंसर, मधुमेह और उच्च रक्तचाप का खतरा कम हो जाता है।
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