Saturday 22 August 2015

टीकाकरण में फिसड्डी उत्तर प्रदेश

-कम उपलब्धि वाले देश के 201 जनपदों में से 44 सूबे के
-स्वास्थ्य विभाग ने शुरू किया टीका लगाने का विशेष अभियान
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
जच्चा-बच्चा की सुरक्षा को लेकर तमाम बड़ी-बड़ी घोषणाओं के बावजूद टीकाकरण के मामले में उत्तर प्रदेश फिसड्डी साबित हो रहा है। हालात ये हैं कि इस मसले पर सबसे कम उपलब्धि वाले देश के 201 जनपदों में 44 सूबे के हैं। एक सर्वे में यह खुलासा होने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने मिशन इन्द्र धनुष के तहत इन जिलों में टीका लगाने का विशेष अभियान शुरू किया है।
बच्चों को डिप्थीरिया, टिटनेस, खसरा, पोलियो, बच्चों की टीबी सहित गंभीर बीमारियों से बचाने के लिए पूरे देश में टीकाकरण अभियान चलाया जाता है। सभी प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में ये टीके लगाने के इंतजाम होने का दावा भी किया जाता है। इसके बावजूद हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देश भर में सर्वेक्षण कराया तो चौंकाने वाले आंकड़े प्रकाश में आए। जानकारी के मुताबिक आजादी के 68 साल बाद भी देश के सभी बच्चों को टीके लगना संभव नहीं हो पा रहा है। देश भर में औसतन 65 फीसदी बच्चों को ही जरूरी टीके लग पा रहे हैं। इनमें भी देश के 201 जिले ऐसे थे, जहां टीकाकरण औसत से काफी कम पाया गया। इन सभी जिलों में विशेष रूप से बच्चों का टीकाकरण सुनिश्चित करने के लिए मिशन इन्द्रधनुष शुरू करने का फैसला हुआ है।
ये आंकड़े देश की तुलना में उत्तर प्रदेश के लिए अधिक चौंकाने वाले थे। पता चला कि देश के 201 जिलों में से बीस फीसदी से अधिक 44 जिले उत्तर प्रदेश के थे। ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार ने इन जिलों के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। इसके तहत विशेष अभियान चलाकर वर्ष 2020 तक टीकाकरण से वंचित सभी बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित किया जाएगा। इसके लिए सात जून से अभियान का तीसरा चरण शुरू किया गया है। अप्रैल में हुए पहले चरण में 272683 गर्भवती महिलाओं व 897054 बच्चों का टीकाकरण किया गया। इसी तरह मई के दूसरे चरण में 272607 महिलाओं व 772139 बच्चों को टीके लगाए गए।
अमल में भी पीछे
लखनऊ: उत्तर प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा केंद्रीय कार्यक्रम के अमल में भी पीछे साबित हो रहा है। केंद्र सरकार की योजना के अनुसार टीकाकरण से वंचित बच्चों व गर्भवती महिलाओं को टीके लगाने के लिए जनवरी से जून तक चार चरण पूरे होने थे, किन्तु प्रदेश में अब तीसरा चरण शुरू हो सका है। यहां पहले चरण की शुरुआत ही अप्रैल में हो सकी थी।
लगने हैं ये टीके
-गलघोंटू (डिप्थीरिया)
-काली खांसी (परट्यूसिस)
-बच्चों को होने वाली टीबी
-टिटनेस
-पोलियो
-हिपेटाइटिस-बी
-खसरा

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