Friday 28 August 2015

चिकित्सा पर्यटन की राह, डॉलर कमाने की चाह


-दुनिया में सबसे सस्ते व अच्छे इलाज ने बढ़ायीं उम्मीदें
-संतुष्ट होकर जाते हैं आसपास के देशों से आए मरीज
डॉ.संजीव, लखनऊ
घुटना खराब होने के कारण चलने से मोहताज वसीम दुबई से घुटना प्रत्यारोपण करवाने कानपुर आया। घुटना बदलवाकर वह लौटा तो खासा प्रफुल्लित था। वह तुलनात्मक रूप से काफी कम पैसे खर्च कर अपनी चाल दुरुस्त कर चुका था। प्रदेश में अब चिकित्सा पर्यटन की इसी राह को और मजबूत करने की तैयारी है। इसके पीछे यहां की मेधा को अवसर देने के साथ डॉलर कमाने की चाह भी बड़ा कारण है।
उत्तर प्रदेश में दो दर्जन से अधिक सरकारी व निजी मेडिकल कालेजों के अलावा उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं वाले अस्पताल खुल चुके हैं। ऐसे में अब स्वास्थ्य महकमे की नजर इन अस्पतालों व चिकित्सकों का अधिकाधिक प्रयोग कर सूबे को चिकित्सा पर्यटन का हब बनाने पर है। पहले से ही यहां दुनिया के कई देशों से मरीज आ रहे हैं। सस्ते व अच्छे इलाज के कारण भारतीय चिकित्सा व्यवस्था लोकप्रिय हो रही है। आसपास के देशों में यहां से इलाज कराकर गए लोग प्रसन्न दिखते हैं तो और भी लोग यहां आते हैं। शासन स्तर पर इसे नियोजित चिकित्सा पर्यटन के रूप में विकसित करने की तैयारी है।
चिकित्सकों के मुताबिक हृदय की बाईपास सर्जरी या वाल्व प्रत्यारोपण पर अमेरिका में 1 लाख 30 हजार से 1 लाख 60 हजार डॉलर तक खर्च होते हैं, वहीं यूपी मइस पर छह हजार डॉलर खर्च आता है। इसी तरह एंजियोप्लास्टी पर अमेरिका में 57 हजार डॉलर के आसपास खर्च आता है, जबकि यूपी में चार हजार डॉलर में उत्कृष्ट सुविधाओं के साथ एंजियोप्लास्टी हो जाती है। घुटना व कूल्हा प्रत्यारोपण पर अमेरिका में 40 से 43 हजार डॉलर खर्च आता है, जबकि यूपी में इसका खर्च चार से पांच हजार डॉलर के बीच में है। अमेरिका की तुलना में सिंगापुर व थाइलैंड में इलाज सस्ता है, किन्तु भारत से फिर भी अत्यधिक महंगा है।
वरिष्ठ अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉ.एएस प्रसाद के मुताबिक उनके पास बांग्लादेश, नेपाल व दुबई तक से मरीज प्रत्यारोपण कराने आते हैं। उन्हें यहां अपने देशों की तुलना में काफी कम धन खर्च करना पड़ता है, जबकि प्रत्यारोपण अंतर्राष्ट्रीय स्तर का होता है। यदि हम मरीजों का भरोसा जीत लें, तो इनकी संख्या और बढ़ सकती है। वरिष्ठ चिकित्सक डॉ.सौरभ शुक्ला के मुताबिक यहां सऊदी अरब, ओमान, अमेरिका व इंग्लैण्ड तक से मरीज इलाज के लिए आते हैं। इनकी संख्या बढ़ सकती है, बशर्ते अस्पतालों की देखरेख के लिए नियमों का सख्ती से पालन हो और भारतीय चिकित्सा परिषद जैसी संस्थाओं को ईमानदारी से स्वायत्तता दी जाए।
मजबूत करेंगे आधारभूत ढांचा
उत्तर प्रदेश में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी नहीं है। दुनिया भर में यहां के चिकित्सकों ने अपना डंका बजाया है। अब हमारा जोर विशेषज्ञता वाले अस्पतालों आधारभूत ढांचा मजबूत कर गुणवत्ता वाली चिकित्सा प्रक्रिया उपलब्ध कराने पर है। इसके बाद निश्चित रूप से लोग दुनिया भर से यहां इलाज कराने आएंगे। जिससे न सिर्फ उत्तर प्रदेश का नाम रोशन होगा, बल्कि रोजगार सृजन के साथ आर्थिक समृद्धि बढ़ेगी। -अरविन्द कुमार, प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य)
मेडिकल कालेजों में बढ़ाएंगे सुविधाएं
चिकित्सा पर्यटन के लिए सबसे जरूरी गुणवत्ता व संख्या का नियोजन है। प्रदेश के मेडिकल कालेजों व उच्चस्तरीय संस्थानों में विश्वस्तरीय शिक्षक व चिकित्सक हैं। अब हमारी कोशिश है कि किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी व संजय गांधी आयुविज्ञान संस्थान की तर्ज पर प्रदेश के हर मेडिकल कालेज में सुविधाएं बढ़ाकर कम से कम दो-दो अतिविशिष्टताओं वाले विभागों को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित किया जाए। -डॉ.वीएन त्रिपाठी, चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक

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