Saturday 22 August 2015

दुबारा परीक्षा को एकजुट हो रहे पूरे प्रदेश के छात्र

--यूपीसीपीएमटी में धांधली--
-कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद व बनारस में अभियान
-सार्वजनिक किये जाएं चारो सीरीज के सभी प्रश्नपत्र
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए आयोजित संयुक्त प्रवेश परीक्षा (यूपीसीपीएमटी) दुबारा कराने के लिए पूरे प्रदेश के छात्र एकजुट हो रहे हैं। इन छात्रों ने कानपुर, लखनऊ, इलाहाबाद व बनारस में अभियान शुरू करने के साथ पूरी परीक्षा प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं।
अखिल भारतीय मेडिकल प्रवेश परीक्षा एआईपीएमटी रद होने और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा उसे दुबारा कराए जाने के आदेश से यूपीसीपीएमटी दुबारा कराने को लेकर अभियान चला रहे छात्र-छात्राएं खासे उत्साहित हैं। इस अभियान से जुड़े बलरामपुर के नवनीत त्रिपाठी, अंबेडकर नगर के गौरव पाण्डेय व हरदोई के विवेक सिंह मंगलवार को तमाम अन्य छात्र-छात्राओं के साथ लखनऊ आए और प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा व चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक को ज्ञापन भेजकर दुबारा परीक्षा कराने की मांग की। इन छात्रों का कहना था कि यूपीसीपीएमटी का पर्चा आउट कर उनके साथ अन्याय हुआ है और गोरखपुर विश्वविद्यालय प्रबंधन मनमानी पर उतारू है। इसके लिए पूरे प्रदेश के छात्र एकजुट हैं और उच्च न्यायालय में तो मामला चल ही रहा है, वे लोग सर्वोच्च न्यायालय भी जा रहे हैं।
सीपीएमटी अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि पूरी परीक्षा की शुचिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सर्वोच्च न्यायालय ने जिन परिस्थितियों में एआईपीएमटी रद करने के आदेश दिये हैं, सीपीएमटी की परिस्थितियां तो उससे भी गंभीर हैं। यहां पर्चा तो आउट हुआ ही था, दागी अभ्यर्थियों को नकल कराने की भी पूरी तैयारी थी। यही कारण है कि परीक्षा से ऐन पहले लखनऊ के कैरियर कान्वेन्ट स्कूल परीक्षा केंद्र को बदल दिया गया। परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों से प्रश्नपत्र वापस जमा करा लिये गए जबकि एआईपीएमटी व आईआईटी जेईई जैसी परीक्षाओं में भी अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र अपने साथ ले जाने की छूट होती है। चारो सीरीज के उत्तरों में भी एक पैटर्न साफ दिखता है। एक सेट में तो अधिकांश उत्तरों का विकल्प एक ही है। इनके अलावा प्रश्न पत्र में लगभग बीस फीसदी सवालों में त्रुटियां थीं, जिन पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। छात्रों ने सीपीएमटी रद कर दुबारा कराने और आय-व्यय की जंच सीएजी या अन्य किसी विश्वसनीय संस्था से कराने की मांग की।
अभ्यर्थी मांग रहे जवाब
-प्रश्नपत्रों को परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों से वापस क्यों जमा कराया गया?
-चारो सीरीज के प्रश्नपत्र व उनके उत्तर सार्वजनिक क्यों नहीं किये गए?
-परीक्षा में हुए आय व्यय क्यों नहीं सार्वजनिक किये गए?
-ऐन परीक्षा के दिन क्यों बदला गया लखनऊ का एक परीक्षा केंद्र?
-प्रश्नपत्र में 20 फीसदी से अधिक त्रुटियों को संज्ञान में क्यों नहीं लिया गया?
-प्रश्नपत्र का पैटर्न व ज्यादातर उत्तरों का विकल्प एक ही क्यों था?

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