Saturday 22 August 2015

आरएसएस की छांव में एनजीओ का नेटवर्क

-29 राज्यों में 950 संगठनों को जोड़ दिया जा रहा प्रशिक्षण
-संघ के प्रचारकों की नजर, वित्तीय प्रबंधन तक की पूरी चिंता
डॉ.संजीव, लखनऊ
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छांव में पूरे देश में गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का व्यापक नेटवर्क बन रहा है। अब तक देश के 29 राज्यों में 950 संगठनों को जोड़ा जा चुका है। इस पूरी मशक्कत पर संघ के प्रचारकों की सीधी नजर है और वे इन संगठनों के सामान्य से वित्तीय प्रबंधन तक की पूरी चिंता भी करते हैं।
दो दिन पहले केंद्र सरकार ने देश के चार हजार से अधिक गैर सरकारी संगठनों (एनजीओ) का पंजीकरण निरस्त किया है। ऐसे में आरएसएस की एनजीओ के साथ सक्रियता चौंकाने वाली लगती है किन्तु जमीनी स्तर पर बेहद सक्रियता के साथ इस दिशा में काम हो रहा है। इसका जिम्मा संभाला है संघ के आनुसांगिक संगठन राष्ट्रीय सेवा भारती ने। संघ ने इस संगठन के नेतृत्व की जिम्मेदारी वरिष्ठ प्रचारक सुंदर लक्ष्मण को संगठन मंत्री के रूप में सौंपी है। हर प्रांत में एक प्रचारक को सेवा प्रमुख के रूप में नियुक्त किया गया है। इस प्रकल्प को लेकर संघ की गंभीरता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि आरएसएस की आधिकारिक वेबसाइट पर जिस एकमात्र आनुसांगिक संगठन का लिंक सबसे ऊपर 'सेवाÓ शीर्षक से मौजूद दिखता है, वह राष्ट्रीय सेवा भारती ही है।
इस अभियान के अंतर्गत वैचारिक स्तर पर देशभक्ति का भाव लिये एनजीओ को मदद करने की पहल होती है। संगठन की टीम तो एनजीओ को ढूंढ़ती ही है, एनजीओ सीधे आवेदन कर भी संबद्ध हो सकते हैं। इन एनजीओ को प्रोजेक्ट बनाने से लेकर ऑफिस मैनेजमेंट, वित्तीय प्रबंधन तक का पूरा प्रशिक्षण दिया जाता है। इसका एक विस्तृत मॉड्यूल बना हुआ है।
चार सूत्रों से सेवा का संगम
राष्ट्रीय सेवा भारती के अधिकारी बताते हैं कि हम मूल रूप से चार सूत्रों जागरण, सहयोग, प्रशिक्षण व अध्ययन को मूल मानकर एनजीओ सेक्टर के बीच काम करते हैं। प्रांत स्तर तक मौजूद संघ के प्रचारक इसकी नियमित समीक्षा करते हैं। हर राज्य में 'सेवा संगमÓ के रूप में नियमित अंतराल में वृहद आयोजन होता है। संबद्ध एनजीओ को वित्तीय संसाधन जुटाने में मदद करने के साथ उन्हें पुरस्कार के लिए भी नामित किया जाता है।
देशभर में 60 हजार प्रकल्प
बड़े एनजीओ तो सारे इंतजाम कर लेते हैं और देश के भीतर से बाहर तक वित्तीय सहायता भी सुनिश्चित कर लेते हैं किन्तु मझोले व छोटे एनजीओ को दिक्कत होती है। राष्ट्रीय सेवा भारती इसी दिशा में काम कर रही है। संगठन से संबद्ध एनजीओ इस समय देशभर में 60 हजार प्रकल्पों का संचालन कर रहे हैं। हम प्रशिक्षण देने के अलावा विभिन्न पुरस्कारों के लिए भी नाम की संस्तुति करते हैं, ताकि उनका मनोबल बढ़े। -के लक्ष्मण माल्या, अखिल भारतीय कोषाध्यक्ष, राष्ट्रीय सेवा भारती

No comments:

Post a Comment