Monday 31 August 2015

एक सर्वर के साथ महालेखाकार से जुड़ेंगे सूबे के 78 कोषागार

-52 कोषागारों को जोडऩे का काम पूरा
-आसान होगी आर्थिक आवाजाही पर नजर
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
राज्य के कोषागारों को अब एक सर्वर के साथ महालेखाकार कार्यालय से जोड़ा जाएगा। इस व्यवस्था के तहत अब तक 52 कोषागार जोड़े जा चुके हैं। इसके बाद आर्थिक आवाजाही पर नजर रखना आसान हो जाएगा।
राज्य के 75 जिलों के अलावा इलाहाबाद उच्च न्यायालय, लखनऊ के जवाहर भवन व दिल्ली के यूपी भवन में कोषागार संचालित हैं। इन कोषागारों के माध्यम से राज्य की समूची आर्थिक आवाजाही होती है। इन कोषागारों का कम्प्यूटरीकरण तो हो चुका है किन्तु अभी आपस में पूरी तरह से ये कोषागार नहीं जुड़ सके हैं। इसलिए इन कोषागारों की सतत मॉनीटरिंग नहीं हो पाती है। दिन में होने वाली आर्थिक आवाजाही राज्य के कोषागार मुख्यालय तक आती तो है, किन्तु कई बार छोटी चूक भी निस्तारित होने में खासा समय लग जाता है। कोषागारों में भुगतान के लिए आने वाले बिलों के बारे में महालेखाकार कार्यालय से भी तमाम जानकारियां तलब की जाती हैं। ऐसे में वहां भी विवरण भेजना पड़ता है।
प्रदेश के कोषागार निदेशक लोरिक यादव के मुताबिक अब राज्य के सभी 78 कोषागारों को आपस में जोडऩे की पहल की गयी है। इसके लिए लखनऊ में कोषागार निदेशालय ने एनआइसी परिसर में एक बड़ा सर्वर लगाया गया है। इस सर्वर पर एक-एक कर जिला कोषागारों का लोड डालकर उन्हें आपस में जोड़ा जा रहा है। अब तक 52 जिलों के कोषागार इस सर्वर से जुड़ चुके हैं। शुरू में जिस क्षमता का सर्वर लगाया गया था, जैसे-जैसे जिले जुड़ते गए, लोड का आंकलन होता गया। अब पुन: आंकलन कर सर्वर की क्षमता बढ़ाई गयी है। जल्द ही सभी जिलों के कोषागारों को इस सर्वर के माध्यम से आपस में जोड़ दिया जाएगा। सभी कोषागार जोडऩे के बाद राज्य के महालेखाकार कार्यालय को भी इसी सर्वर से जोड़ दिया जाएगा। इससे सभी 78 कोषागार महालेखाकार कार्यालय से भी जुड़ जाएंगे। इसके बाद दिन में किसी भी समय सूबे के किसी भी जिले में होने वाली आर्थिक आवाजाही न सिर्फ सीधे लखनऊ स्थित कोषागार निदेशालय की जानकारी में होगी, महालेखाकार कार्यालय भी उसे जान सकेगा।
आएगी पारदर्शिता, सुधरेगा कामकाज
राज्य के सभी 78 कोषागारों को महालेखाकार कार्यालय के साथ सर्वर से जोडऩे की प्रक्रिया तेजी से चल रही है। इससे राज्य के कोष संचालन की समूची प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी। साथ ही कामकाज में भी व्यापक रूप से सुधार आएगा। सबकुछ ऑनलाइन हो जाने के बाद काम की रफ्तार भी निश्चित बढ़ेगी। -लोरिक यादव, निदेशक कोषागार

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