Friday 28 August 2015

यूपी तो अब भी बसता है गांवों में

-ग्र्रामीण इलाकों में रहते हैं 80 प्रतिशत से ज्यादा
-राष्ट्रीय स्तर पर हर चौथा परिवार हुआ शहरवासी
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
लगातार शहरीकरण की आपाधापी और 'स्मार्ट सिटीÓ की दौड़ के बीच अपना उत्तर प्रदेश तो आज भी गांवों में ही बसता है। वर्ष 2011 की जनगणना के सामाजिक-आर्थिक आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर जहां हर चौथा परिवार शहरवासी हो गया है, वहीं उत्तर प्रदेश में अब भी 80 प्रतिशत से अधिक लोग गांवों में ही रहते हैं।
देश के कुल 24 करोड़ 39 लाख 45 हजार 297 परिवारों में से 26.56 प्रतिशत परिवार शहरी इलाकों में रहने लगे हैं। राष्ट्रीय औसत के अनुसार ग्र्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों की हिस्सेदारी 73.44 प्रतिशत है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में शहरों में रहने वाले परिवार की संख्या आज भी बीस प्रतिशत से कम यानी 19.81 प्रतिशत है। प्रदेश में ग्र्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले परिवारों की संख्या 80.19 प्रतिशत है। शहरीकरण के मामले में उत्तर प्रदेश चंडीगढ़, दिल्ली ही नहीं, पंजाब, हरियाणा, मिजोरम, गुजरात, महाराष्ट्र, पुडुचेरी व तमिलनाडु से पीछे है। चंडीगढ़ के सर्वाधिक 92.69 प्रतिशत परिवार शहरों में रहते हैं तो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली 69.01 प्रतिशत परिवारों के साथ इस मामले में दूसरे स्थान पर है। पुडुचेरी में 58.84 प्रतिशत परिवार शहरों में रहने लगे हैं तो मिजोरम में 50.64 प्रतिशत परिवारों का शहरीकरण हो चुका है। तमिलनाडु के 42,47, गुजरात के 40.48, महाराष्ट्र के 40.16, हरियाणा के 35.88 व पंजाब के 35.04 प्रतिशत परिवार शहरों में रहते हैं। 

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