Friday 28 August 2015

कैसे हो खेती : 45 प्रतिशत गांव वालों के पास नहीं जमीन

-राष्ट्रीय औसत की तुलना में यूपी बेहतर
-देश भर में 56 प्रतिशत ग्र्रामीण भूमिहीन
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
उत्तर प्रदेश में खेती करने के लिए जमीन का संकट लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2011 की जनगणना के सामाजिक-आर्थिक विश्लेषण से स्पष्ट है कि राज्य के 45 प्रतिशत ग्र्रामीणों के पास जमीन का एक टुकड़ा भी नहीं है।
ग्र्रामीणों के पास जमीन उपलब्धता के मामले में उत्तर प्रदेश की स्थिति राष्ट्रीय औसत की तुलना में बेहतर है। राष्ट्रीय स्तर पर 56 प्रतिशत ग्र्रामीण भूमिहीन हैं। ऐसे दस करोड़ सात लाख 77 हजार 240 परिवारों के पास बिल्कुल जमीन नहीं है। इसके विपरीत उत्तर प्रदेश में भूमिहीन परिवारों की संख्या 45 प्रतिशत है। यहां के कुल दो करोड़ 59 लाख 75 हजार 460 ग्र्रामीण परिवारों में से एक करोड़ 15 लाख 83 हजार 569 परिवारों के पास बिल्कुल जमीन नहीं है। प्रदेश के 55 प्रतिशत ग्र्रामीणों के पास जमीन है, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर महज 44 प्रतिशत परिवारों के पास जमीन है।
सिंचाई की सुविधा का संकट
उत्तर प्रदेश के गांव सिंचाई के संकट से जूझ रहे हैं। राष्ट्रीय स्तर की तुलना में यहां असिंचित क्षेत्र काफी कम है, जिससे समस्या हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक राष्ट्रीय स्तर पर जहां कुल असिंचित भूमि 40 प्रतिशत है, वहीं उत्तर प्रदेश की 55 प्रतिशत जमीन पर आज भी सिंचाई की सुविधा उपलब्ध नहीं है। प्रदेश में महज 31 प्रतिशत जमीन ऐसी है, जहां दो फसलों के लिए सिंचाई की पर्याप्त व सुनिश्चित सुविधा उपलब्ध है।
कृषि उपकरणों में आगे
उत्तर प्रदेश के किसान कृषि उपकरण रखने के मामले में राष्ट्रीय औसत को मात दे रहे हैं। देश भर में जहां 4.12 प्रतिशत घरों के बाद ही तीन या चार पहियों वाले कृषि उपकरण हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में यह संख्या 6.37 प्रतिशत है। सिंचाई उपकरणों के मामले में भी यही स्थिति है। यहां 16.60 प्रतिशत किसान परिवारों के पास सिंचाई के उन्नत उपकरण हैं, वहीं राष्ट्रीय स्तर पर यह औसत 9.87 प्रतिशत है। इन सबके पीछे किसान क्रेडिट कार्ड की उपलब्धता भी बड़ा कारण हो सकती है। यहां 7.48 प्रतिशत किसानों के पास 50 हजार या उससे अधिक उधारी सीमा वाले किसान क्रेडिट कार्ड हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर यह संख्या महज 3.62 प्रतिशत है। 

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