Monday 31 August 2015

स्वयंसेवकों संग गूंजतीं 'अल्लाह हो अकबर की सदाएं


-राज्य के सौ स्थानों पर आरएसएस का रोजा इफ्तार
-'मुहिब्बे वतन मुस्लिम तहरीक ने संभाली कमान
डॉ.संजीव, लखनऊ
शाम के सात बजने वाले हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवक शाखा लगाने या विकिर करने की जल्दबाजी में न होकर रोजेदारों के लिए तैयारी में व्यस्त हैं। अचानक अजान होती है और सभी स्वयंसेवक चुप से हो जाते हैं। 'अल्लाह हो अकबर की सदाओं के बाद रोजा खोलकर मगरिब की नमाज पढ़ी जाती है और फिर सब मिलकर राष्ट्रनिर्माण की दुआ करते हैं।
बीते कुछ दिनों से यह दृश्य प्रदेश के अलग-अलग जिलों में आम सा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ अपने अनुषंगिक संगठन 'मुहिब्बे वतन मुस्लिम तहरीक (मुस्लिम राष्ट्रीय मंच) के जरिये देश के मुसलमानों से संवाद की प्रक्रिया बढ़ा रहा है। इस बार उत्तर प्रदेश पर पूरा जोर है। पाक रमजान में पूरे प्रदेश में सौ स्थानों पर यह तहरीक रोजा इफ्तार का आयोजन कर रही है। इस दौरान संबंधित शहर, जिले, महानगर या कस्बे के प्रमुख मुस्लिमों को रोजा इफ्तार का न्योता दिया जाता है। वे वहां आते हैं तो संघ के स्वयंसेवक उनके लिए खजूर, पकौडिय़ों व अन्य खाद्य सामग्र्री का प्रबंध करके रखते हैं। ऐसे में नमाज और रोजा खोलते समय का दृश्य विशिष्टता लिए ही होता है। इस दौरान संघ की आम छवि के विपरीत स्वयंसेवक व रोजेदार एक दूसरे के साथ न सिर्फ रोजा खोलते हैं, बल्कि देश-दुनिया की चर्चा भी करते हैं।
तहरीक के उत्तरप्रदेश-उत्तराखंड प्रभारी महिरध्वज सिंह के मुताबिक इफ्तार के बाद राष्ट्र निर्माण व सुरक्षा की दुआ भी रोजेदार करते हैं। उन्होंने बताया कि प्रदेश के सभी जिलों के साथ तहसील व ब्लाक स्तर तक रोजा इफ्तार के आयोजन रमजान के पवित्र महीने में किये जा रहे हैं। प्रदेश भर में सौ से अधिक आयोजनों के साथ राष्ट्रवादी मुस्लिमों को जोड़ा जा रहा है। इन कार्यक्रमों में तहरीक के संयोजक मो.अफजल, सह संयोजक शहजाद अली, इमरान चौधरी के अलावा संघ के वरिष्ठ प्रचारक इन्द्रेश कुमार आदि भाग ले रहे हैं। मंगलवार को लखनऊ में भी रोजा इफ्तार हुआ। इसके बाद ईद मिलन के समारोह भी होंगे। महिरध्वज के मुताबिक स्वयंसेवकों व मुस्लिमों के बीच संवाद की यह प्रक्रिया निश्चित रूप से राष्ट्र के लिए लाभकारी साबित होगी। आयोजनों में वर्तमान भारतीय परिवेश में मुस्लिमों की भूमिका बढ़ाने पर संवाद होता है। चर्चा होती है कि इस्लाम के मायने अमन, भाईचारा, खुशहाली व सलामती है और आम मुसलमान यही चाहता है।

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