Monday 31 August 2015

पांच सौ करोड़ से चमकेंगे पुराने मेडिकल कालेज


-मुख्यमंत्री की सहमति के बाद मांगे गए प्रस्ताव
-जर्जर इमारतों को गिराने व विस्तार की तैयारी
डॉ.संजीव, लखनऊ
राज्य में नए खुल रहे मेडिकल कालेजों के साथ पुराने मेडिकल कालेजों को भी चमकाने की पहल हो रही है। मुख्यमंत्री की सहमति के बाद इन कालेजों के प्राचार्यों से इस बाबत प्रस्ताव मांगा गया है। सभी छह मेडिकल कालेजों पर पांच सौ करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
प्रदेश में वर्ष 2006 में इटावा के सैफई में आयुर्विज्ञान संस्थान खुलने के बाद बीते पांच वर्षों में अम्बेडकर नगर, कन्नौज, आजमगढ़, जालौन व सहारनपुर में मेडिकल कालेज शुरू हुए हैं। नए मेडिकल कालेजों की स्थापना के बीच पुराने मेडिकल कालेजों की उपेक्षा और वहां से शिक्षकों के स्थानांतरण के कारण मान्यता पर संकट पैदा किये जाने जैसा आरोप भी लगने लगे थे। अब मुख्यमंत्री के साथ चिकित्सा शिक्षा महकमे की हुई चर्चा में सभी पुराने मेडिकल कालेजों को भी चमकाने पर सहमति बनी है। इसके लिए आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, गोरखपुर, मेरठ व झांसी मेडिकल कालेजों के प्राचार्यों से विस्तृत प्रस्ताव मांगा गया है। 1947 में स्थापित आगरा व 1956 में स्थापित कानपुर मेडिकल कालेजों में तो भवन तक खासे जर्जर हो चुके हैं। यही स्थिति अन्य कालेजों की भी है। ऐसे में इन कालेजों व उनसे संबद्ध अस्पतालों के जीर्णोद्धार के साथ उपचार के विस्तार के प्रस्ताव भी मांगे गए हैं। इस पूरी प्रक्रिया में पांच सौ करोड़ रुपये के आसपास खर्च आने की उम्मीद जताई गयी है। इसे चरणबद्ध ढंग से खर्च किया जाएगा। इस दौरान बहुमंजिले चिकित्सकीय ब्लाक बनाने से लेकर मौजूदा संसाधनों का विस्तार करने तक की बात प्रस्ताव में शामिल करने को कहा गया है।
संविदा पर भर्ती करें कर्मचारी
लखनऊ: प्रदेश के सभी मेडिकल कालेजों में पैरामेडिकल व नर्सिंग स्टॉफ की कमी को लेकर सरकार गंभीर है। सभी कालेजों से इस बाबत अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को अधियाचन भेजने को कहा गया है। वहां से भर्ती होने तक इन पदों पर संविदा के आधार पर भर्ती करने को कहा गया है। प्राचार्यों से यह कार्य समयबद्ध ढंग से करने को कहा गया है, ताकि उपचार में दिक्कत न हो।
अगले साल बांदा में भी एमबीबीएस
लखनऊ: अगले साल सरकारी क्षेत्र का एक और मेडिकल कालेज सक्रिय हो जाएगा। मुख्यमंत्री ने बांदा मेडिकल कालेज में एमबीबीएस की कक्षा जुलाई 2016 से हर हाल में शुरू कराने को कहा है। अभी वहां प्राचार्य सहित कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति हो चुकी है और बाह्यï रोगी विभाग (ओपीडी) में मरीज देखे जा रहे हैं।
दवाओं व सुविधाओं पर जोर
सभी मेडिकल कालेजों में दवाओं की उपलब्धता व अनुरक्षण में कोई कमी न रखने पर जोर दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री स्वयं इसे लेकर गंभीर हैं। इसके अलावा सभी छह पुराने मेडिकल कालेजों से जीर्णोद्धार व विकास के लिए विस्तृत प्रस्ताव मांगे गए हैं, जिन पर समयबद्ध ढंग से अनुपालन होगा।  -डॉ.वीएन त्रिपाठी, चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक

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