-लक्ष्य प्राप्ति में असफल रही वर्ष 2000 की जनसंख्या नीति
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
वर्ष 2000 में बनी जनसंख्या नीति उत्तर प्रदेश में प्रभावी साबित नहीं हो सकी है। उस समय यहां स्वास्थ्य महकमे में तैनात रहे अफसरों ने अब नई नीति बनाने के लिए जुटे अफसरों को जब खामियां गिनाईं, तो सबने कहा कि पुरानी गलतियों से सीखकर नई जनसंख्या नीति बनाई जाएगी।
राज्य के लिए नई जनसंख्या नीति बनाने का लक्ष्य लेकर राजधानी के एक पांच सितारा होटल में चल रही दो दिवसीय कार्यशाला शनिवार को समाप्त हो गयी। समापन सत्र में वर्ष 2000 में बनी जनसंख्या नीति के क्रियान्वयन में हिस्सेदार रहे अफसरों को बुलाया गया था। इस सत्र में केंद्रीय विनिवेश सचिव आराधना जौहरी व वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव जेएस दीपक ने कहा कि वर्ष 2000 की जनसंख्या नीति उत्साह के साथ लागू की गयी थी, किन्तु हम उसके लक्ष्य प्राप्ति में असफल रहे। इस बार हमें इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्र्रवाल ने कहा कि सही जनसंख्या नीति बनाकर ही विकास का पथ प्रशस्त किया जा सकता है। नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्टिंग समूह के अध्यक्ष केशव देसीराजू ने कहा कि नई नीति सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी।
मांग व आपूर्ति में न हो अंतर
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य का आंकलन ठीक से किया जाना चाहिए। इसी से मांग का पता चलता है, तभी नीतिगत फैसले सही आधार पर हो सकते हैं। विशेषज्ञ डॉ.बीएम रमेश ने कहा कि झारखंड में पिछड़ा राज्य होने के बावजूद जनसंख्या नीति पर ठोस काम हुआ है। हमें यहां आपूर्ति व मांग में अंतर को समाप्त करने पर जोर देना चाहिए।
व्यावहारिक बदलाव को समझें
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की संयुक्त निदेशक मोना शर्मा ने कहा कि नीति बनाते समय हमें लोगों के व्यावहारिक बदलाव को समझना होगा। जनता के बीच जाकर उन्हें जनसंख्या वृद्धि से लेकर समन्वय तक के प्रति जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए उपयुक्त माध्यमों का चयन किया जाना चाहिए। विशेषज्ञ डॉ.सोनाली कोच्चर ने गर्भनिरोधकों के प्रबंधन को जरूरी करार दिया।
सामाजिक भागीदारी बढ़ाना जरूरी
विशेषज्ञ रवि प्रसाद लाल ने कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रमों में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। पॉपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल के वरिष्ठ निदेशक शिव शंकर नारायण ने कहा कि ऐसे सामाजिक नियोजनों से साझेदारी की जानी चाहिए, जो बहुत महंगे न हों। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा पर भी जोर दिया जाना चाहिए। प्रदेश न्यूट्रीशन मिशन के महानिदेशक कामरान रिजवी ने विभागों के समन्वय पर जोर दिया। इसमें सर्व शिक्षा अभियान, पंचायती राज आदि को शामिल किये जाने की जरूरत है।
राज्य ब्यूरो, लखनऊ
वर्ष 2000 में बनी जनसंख्या नीति उत्तर प्रदेश में प्रभावी साबित नहीं हो सकी है। उस समय यहां स्वास्थ्य महकमे में तैनात रहे अफसरों ने अब नई नीति बनाने के लिए जुटे अफसरों को जब खामियां गिनाईं, तो सबने कहा कि पुरानी गलतियों से सीखकर नई जनसंख्या नीति बनाई जाएगी।
राज्य के लिए नई जनसंख्या नीति बनाने का लक्ष्य लेकर राजधानी के एक पांच सितारा होटल में चल रही दो दिवसीय कार्यशाला शनिवार को समाप्त हो गयी। समापन सत्र में वर्ष 2000 में बनी जनसंख्या नीति के क्रियान्वयन में हिस्सेदार रहे अफसरों को बुलाया गया था। इस सत्र में केंद्रीय विनिवेश सचिव आराधना जौहरी व वाणिज्य मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव जेएस दीपक ने कहा कि वर्ष 2000 की जनसंख्या नीति उत्साह के साथ लागू की गयी थी, किन्तु हम उसके लक्ष्य प्राप्ति में असफल रहे। इस बार हमें इस ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। प्रमुख सचिव ऊर्जा संजय अग्र्रवाल ने कहा कि सही जनसंख्या नीति बनाकर ही विकास का पथ प्रशस्त किया जा सकता है। नई जनसंख्या नीति के ड्राफ्टिंग समूह के अध्यक्ष केशव देसीराजू ने कहा कि नई नीति सभी पहलुओं को ध्यान में रखकर बनाई जाएगी।
मांग व आपूर्ति में न हो अंतर
स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव अरविंद कुमार ने कहा कि सामुदायिक स्वास्थ्य का आंकलन ठीक से किया जाना चाहिए। इसी से मांग का पता चलता है, तभी नीतिगत फैसले सही आधार पर हो सकते हैं। विशेषज्ञ डॉ.बीएम रमेश ने कहा कि झारखंड में पिछड़ा राज्य होने के बावजूद जनसंख्या नीति पर ठोस काम हुआ है। हमें यहां आपूर्ति व मांग में अंतर को समाप्त करने पर जोर देना चाहिए।
व्यावहारिक बदलाव को समझें
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की संयुक्त निदेशक मोना शर्मा ने कहा कि नीति बनाते समय हमें लोगों के व्यावहारिक बदलाव को समझना होगा। जनता के बीच जाकर उन्हें जनसंख्या वृद्धि से लेकर समन्वय तक के प्रति जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए उपयुक्त माध्यमों का चयन किया जाना चाहिए। विशेषज्ञ डॉ.सोनाली कोच्चर ने गर्भनिरोधकों के प्रबंधन को जरूरी करार दिया।
सामाजिक भागीदारी बढ़ाना जरूरी
विशेषज्ञ रवि प्रसाद लाल ने कहा कि परिवार कल्याण कार्यक्रमों में पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप का सही उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए। पॉपुलेशन सर्विसेज इंटरनेशनल के वरिष्ठ निदेशक शिव शंकर नारायण ने कहा कि ऐसे सामाजिक नियोजनों से साझेदारी की जानी चाहिए, जो बहुत महंगे न हों। इसके अलावा स्वास्थ्य बीमा पर भी जोर दिया जाना चाहिए। प्रदेश न्यूट्रीशन मिशन के महानिदेशक कामरान रिजवी ने विभागों के समन्वय पर जोर दिया। इसमें सर्व शिक्षा अभियान, पंचायती राज आदि को शामिल किये जाने की जरूरत है।
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