Friday 19 February 2016

आयुर्वेद भर्ती घोटाले में मुकदमा नहीं लिख रही पुलिस


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-निदेशालय की दो तहरीरों के बाद थाना प्रभारी ने किया इनकार
-कहा, घटना स्थल हमीरपुर और उरई में जाकर लिखाओ मुकदमा
-चल रही विभागीय जांच, छुïट्टा घूम रहे फर्जीवाड़ा करने वाले लोग
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ
मुख्यमंत्री से लेकर पुलिस महानिदेशक तक भले ही तुरंत मुकदमा कायम करने की बात कहें किन्तु उनके अधीनस्थ पुलिसकर्मी उनकी सुनने को तैयार नहीं हैं। आम आदमी की तो छोडिय़े, सरकारी धोखाधड़ी व फर्जीवाड़े के मुकदमे भी नहीं दर्ज किये जा रहे हैं। इसकी ताजा मिसाल आयुर्वेद भर्ती घोटाले में सामने आयी है। आयुर्वेद महानिदेशालय द्वारा एक सप्ताह के भीतर दो तहरीरें देने के बाद भी पुलिस ने मुकदमा नहीं लिखा है।
आयुर्वेद विभाग में पिछले दिनों फर्जी नियुक्तियों के बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ था। पहले चार फरवरी को सात लोगों का एक फर्जी नियुक्ति आदेश सामने आया था, जिसमें एक युवक फतेहपुर के अमौली का रहने वाला आशीष कुमार तो बाकायदा क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी हमीरपुर के कार्यालय में ज्वाइन करने भी पहुंच गया था। इस पर आयुर्वेद निदेशक ने हजरतगंज थाने में तहरीर देकर उन सातों युवकों के खिलाफ मुकदमा कराने के साथ मामले की जांच कर अन्य दोषियों की पड़ताल भी करने को कहा था। इसी बीच विभागीय स्तर पर जांच शुरू हुई तो 11 फरवरी को एक ऐसा मामला सामने आया, जिसमें कानपुर के मूल निवासी अनूप सोनकर को जालौन के क्षेत्रीय आयुर्वेदिक अधिकारी ने ज्वाइन कराकर उसका वेतन भी निकाल दिया था। इस पर क्षेत्रीय आयुर्वेद अधिकारी व एक अन्य कर्मचारी को निलंबित करने के साथ इन सबके खिलाफ मुकदमे के लिए पुन: हजरतगंज थाने में तहरीर दी गयी थी।
एक सप्ताह के भीतर दो तहरीर दिये जाने के बाद भी हजरतगंज पुलिस ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। दोनों में से किसी मामले में मुकदमा दर्ज करने तक की जरूरत नहीं समझी गयी। यह स्थिति तब है जबकि मामला राजधानी का है जहां मुख्यमंत्री से लेकर डीजीपी तक सभी बैठते हैं। दूसरे ओर मामला एक सरकारी विभाग में फर्जीवाड़े का होने के कारण भी गंभीर हो जाता है किन्तु पुलिस ने इसे कतई गंभीरता से नहीं लिया। इस पर आयुर्वेद निदेशक ने हजरतगंज क्षेत्राधिकारी व लखनऊ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर मुकदमा कायम कराने को कहा फिर भी हजरतगंज थाने की पुलिस ने मुकदमा नहीं लिखा। ऊपर से आयुर्वेद निदेशालय को यह जवाब लिखकर भेज दिया कि दोनों घटनाएं हमीरपुर व जालौन में हुई हैं, इसलिए वहीं मुकदमा कायम कराया जाए। अब आयुर्वेद विभाग के अधिकारी परेशान हैं और फर्जीवाड़ा कर नौकरी बांटने का गिरोह चला रहे लोग छुïट्टा घूम रहे हैं।
मुकदमा तो लिखना चाहिए
पुलिस द्वारा मुकदमा न लिखने की बात बेहद गंभीर है। सामान्य परिस्थितियों में भी कहीं भी तहरीर दी जाए, तो मुकदमा तुरंत दर्ज किया जाना चाहिए। यहां तो सरकारी विभाग के साथ धोखाधड़ी व कूटरचना का मामला है, इसलिए मुकदमा लिखने में विलंब नहीं होना चाहिए। मैं इस मामले में पूछताछ कर मुकदमा लिखने को कहूंगा। -एम. सतीश गणेश, पुलिस महानिरीक्षक, लखनऊ जोन

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