Thursday 4 February 2016

साल भीतर 70 चमचमाते बस अड्डे, 36 नए रूट

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-परिवहन निगम की बसों के टाइम टेबल को दिया जा रहा अंतिम रूप
-रूट्स के हिसाब से बसों की जरूरत का आंकलन कर मांगी रिपोर्ट
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ
एक साल के भीतर प्रदेश में 70 बस अड्डे चमचमाते नजर आएंगे। प्रदेश में 36 नए रूट सृजित करने के साथ रूट्स के हिसाब से बसों की जरूरत का आंकलन कर अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गयी है।
उत्तर प्रदेश में रोडवेज का व्यापक नेटवर्क होने के बावजूद न सिर्फ धड़ल्ले से डग्गामारी हो रही है, बल्कि बाकायदा समानांतर बस अड्डे संचालित हो रहे हैं। इस बाबत हुई समीक्षा में माना गया कि रोडवेज की बसें समय से नहीं चलती हैं और बस अड्डों की स्थितियां भी अच्छी नहीं हैं। इस कारण उन रूटों पर भी निजी बस संचालक आसानी से सवारियां पा जाते हैं, जिन पर रोडवेज बसें चलती हैं। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक के. रविन्द्र नायक ने बताया कि अब टाइम टेबल को ठीक प्रकार से लागू करने पर जोर दिया जा रहा है। इसके लिए मौजूदा रूट्स के बीच समन्वय स्थापित करने के साथ सभी क्षेत्रीय प्रबंधकों से हर रूट पर बसों की जरूरत का आकलन करने को भी कहा गया है। इसके बाद जल्द ही नए सिरे से टाइम टेबल बनाकर लागू किया जाएगा। पुराने रूट्स के अलावा 36 नए रूट्स के लिए शासन में प्रस्ताव भेजा गया है। अनुमति मिलते ही उन्हें भी शामिल कर लिया जाएगा। प्रबंध निदेशक ने बताया कि साल भर के भीतर प्रदेश के 70 बस अड्डों को उत्कृष्ट स्वरूप देने की तैयारी है। इस समय 28 पर काम चल रहा है। अगले दो माह में 12 और बस अड्डों पर काम शुरू हो जाएगा। इसके बाद दूसरे चरण में 30 और बस अड्डों का चयन कर उन्हें अत्याधुनिक रूप दिया जाएगा।
अब नहीं चलेंगी मिनी बसें
रोडवेज के बस बेड़े में अब मिनी बसों को शामिल नहीं किया जाएगा। अभी तक बस बेड़े को सुदृढ़ करने के लिए निजी बसों को परिवहन निगम के अधीन अनुबंधित कर संचालित किया जाता है। इनमें 22 से 54 सीट क्षमता तक की बसें शामिल हैं। हाल ही में की गयी समीक्षा में यह तथ्य प्रकाश में आया कि कम सीट क्षमता वाली मिनी बसों की संचालन लागत बड़ी बसों की तुलना में अधिक आती है और कई बार यात्रियों को खड़े होकर यात्रा कराने के कारण असुविधा भी होती है। प्रबंध निदेशक के. रविन्द्र नायक ने बताया कि तमाम मिनी बसों में तो कंडक्टर का खर्चा तक नहीं निकल पाता है। इसलिए अब 40 से कम सीटों वाली बसों को अनुबंधित करने पर रोक लगा दी गयी है। अब 40 या उससे अधिक सीट क्षमता वाली बसें ही रोडवेज बेड़े का हिस्सा बनेंगी।

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