Tuesday 23 February 2016

...तो खत्म हो जाएगी आरटीओ दफ्तर जाने की जरूरत


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-राष्ट्रीय परिवहन रजिस्टर से जुड़ेंगे सूबे के परिवहन कार्यालय
-बाराबंकी, लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद व नोएडा से शुरुआत
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ
आपको अपनी गाड़ी के संबंध में संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालय से अनापत्ति प्रमाण लेना है, किन्तु वहां जाना नहीं चाहते तो चिंता की कोई बात नहीं है। जल्द ही प्रदेश के सभी परिवहन कार्यालय राष्ट्रीय परिवहन रजिस्टर से जुड़ जाएंगे। उसके बाद परिवहन संबंधित अधिकांश कार्यों के लिए दफ्तर जाने की जरूरत खत्म हो जाएगी।
परिवहन विभाग अपने पूरे तंत्र को ऑनलाइन करने के लिए लंबे समय से प्रयासरत है, किन्तु अब तक इसमें सफलता नहीं मिली है। संभागीय परिवहन कार्यालयों के कंप्यूटरीकरण का काम तो किया गया किन्तु ये दफ्तर आपस में देश की परिवहन प्रणाली से नहीं जुड़ सके। अभी देश का एक राष्ट्रीय परिवहन रजिस्टर है। इस ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से देश के तमाम राज्य जुड़े हैं। उत्तर प्रदेश के इस प्लेटफॉर्म का हिस्सा न होने से तमाम गड़बडिय़ां सामने आ रही थीं। कई बार फर्जी अनापत्ति प्रमाणपत्र से अलग-अलग जिलों में वाहनों का रजिस्ट्रेशन तक करा लिया जाता है। परिवहन आयुक्त के. रविन्द्र नायक के अनुसार अब प्रदेश के सभी परिवहन कार्यालयों को सीधे राष्ट्रीय परिवहन रजिस्टर से जोड़ दिया जाएगा। इसके बाद किसी भी तरह के फर्जीवाड़े की संभावना समाप्त हो जाएगी। इसका पायलट प्रोजेक्ट बाराबंकी में चल रहा है, वहीं लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद व नोएडा के परिवहन कार्यालयों को जल्द ही इससे जोड़ा जाएगा। इसके लिए वेबबेस्ड इंटीग्र्रेटेड सॉफ्टवेयर तैयार किया गया है। इन पांच जिलों के बाद समयबद्ध ढंग से पूरे प्रदेश को इस नेटवर्क से जोड़ा जाएगा।
बीएसएनएल से दोहरा नेटवर्क
परिवहन विभाग में तकनीकी कामकाज के प्रभारी अधिकारी एसएन झा के मुताबिक शुरुआत में इन पांच जिलों को बीएसएनएस के दोहरे नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इसके अंतर्गत 4 एमबीपीएस की ऑप्टिकल फाइबर लाइन के साथ बैकअप में 4 एमबीपीएस की रेडियो फ्रिक्वेंसी का नेटवर्क भी रहेगा, ताकि किसी कारणवश ऑप्टिकर फाइबर लाइन कट जाने पर नेटवर्क संकट न उत्पन्न हो। बीएसएनएल ने पूरे प्रदेश में इस नेटवर्क के लिए नौ करोड़ रुपये मांगे हैं। इसमें साढ़े तीन करोड़ रुपये तो शुरुआत में ही खर्च होंगे। इसके बाद हर साल साढ़े पांच करोड़ रुपये देने होंगे। फिलहाल पांच दफ्तरों के लिए 32 लाख रुपये का भुगतान बीएसएनएल को कर दिया गया है, ताकि प्रक्रिया में अवरोध न आए।
सीधे कारखानों से जुड़ेंगे दफ्तर
राष्ट्रीय परिवहन रजिस्टर से संबद्धता के साथ ही प्रदेश में परिवहन विभाग के सभी दफ्तर सीधे वाहन कारखानों से जुड़ जाएंगे। अभी कारखानों से वाहन बनकर निकलने के साथ ही उनका पूरा ब्योरा होमोलोगेशन पोर्टल पर डालना होता है। अब उससे सीधे पूरा ब्योरा परिवहन विभाग के पास आ जाएगा। इसके अनापत्ति प्रमाण पत्र से लेकर किसी ऋण के कारण दृष्टिबंधन (हाइपोथिकेशन) की जानकारी भी सुलभ होगी। इसी तरह अन्य सेवाएं भी ई-सर्विस के रूप में उपलब्ध हो जाएंगी। 

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