Wednesday 10 February 2016

नौवीं-दसवीं में ज्यादा को मिलेगी ज्यादा छात्रवृत्ति


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-पहली बार बनेगी पूर्वदशम छात्रवृत्ति की औपचारिक नियमावली
-आय सीमा दो लाख और छात्रवृत्ति तीन गुना करने का प्रस्ताव
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डॉ.संजीव, लखनऊ : प्रदेश में पूर्व दशम छात्रवृत्ति के नियम बदले जा रहे हैं। अब नौवीं-दसवीं में भी आय सीमा बढ़ाकर ज्यादा विद्यार्थियों को इसके दायरे में लाया जाएगा। साथ ही छात्रवृत्ति बढ़ाकर तीन गुना करने का प्रस्ताव है।
उत्तर प्रदेश में नौवीं व दसवीं के छात्र-छात्राओं को छात्रवृत्ति दिये जाने का प्रावधान है, ताकि धनाभाव में उनकी पढ़ाई न रुक सके। वर्ष 2015-16 में भी 28,204 शैक्षिक संस्थानों के 10,96,146 विद्यार्थियों ने इस छात्रवृत्ति के लिए पंजीकरण कराया था। इनमें से 6,81,666 ने फार्म पूरी तरह भरे और उनमें भी 4,63,975 के फार्म सभी औपचारिकताओं के बाद छात्रवृत्ति के लिए राज्य मुख्यालय भेजे गए। भारी संख्या में आवेदनों के बावजूद पूर्व दशम छात्रवृत्ति के लिए अब तक कोई औपचारिक नियमावली नहीं थी। पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग की निदेशक पुष्पा सिंह के मुताबिक पहली बार पूरी नियमावली को औपचारिक रूप से लिपिबद्ध किया जा रहा है। अभी छात्र-छात्राओं को महज 720 रुपये प्रति वर्ष की दर से छात्रवृत्ति मिलती थी। अब इसे तीन गुना से अधिक बढ़ाकर 2250 रुपये प्रति वर्ष करने का प्रस्ताव है। इसी तरह अभी तक तीस हजार रुपये वार्षिक आय वाले परिवारों के विद्यार्थियों को ही छात्रवृत्ति मिलती थी। अब आय सीमा बढ़ाकर दो लाख रुपये की जा रही है। समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक पीके त्रिपाठी के अनुसार सामान्य वर्ग के लिए भी अभी आय सीमा गरीबी रेखा ही थी, जिसे बढ़ाकर दो लाख किये जाने से लाभान्वितों की संख्या बढ़ेगी। इस तरह कुल मिलाकर नौवीं-दसवीं के अधिक विद्यार्थी आवेदन करेंगे और उन्हें छात्रवृत्ति भी अधिक मिल सकेगी।
निवास प्रमाण पत्र जरूरी नहीं
नियमावली में निवास प्रमाणपत्र की जरूरत नहीं रहेगी। अधिकारियों का मानना है कि आय प्रमाण पत्र में निवास का जिक्र होता ही है, ऐसे में अलग से निवास प्रमाण पत्र की मांग के कारण विद्यार्थियों व उनके परिजनों को अत्यधिक परेशान होना पड़ता है। आए दिन तहसील में उनके उत्पीडऩ की शिकायतें भी आती हैं। यह अनिवार्यता समाप्त होने से इन स्थितियों में भी सुधार होगा।
बतानी होगी नामांकन संख्या
नौवीं व दसवीं में छात्रवृत्ति के लिए आवेदन करने के साथ ही विद्यार्थियों को अपने बोर्ड की नामांकन संख्या बतानी होगी। किसी भी बोर्ड का विद्यार्थी भले ही क्यों न हो, बिना नामांकन संख्या के उसका आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा। नामांकन संख्या के माध्यम से ऑनलाइन निस्तारण के समय बोर्ड से उनका परीक्षण भी कराया जाएगा। इससे पूरी प्रक्रिया पारदर्शी होगी और फर्जीवाड़ा रुकेगा।
प्राप्तांक की बाध्यता समाप्त
अभी छात्रवृत्ति के लिए वरीयता सूची बनाते समय आठवीं व नौवीं के प्राप्तांक देखे जाते हैं। नियमावली में प्राप्तांक की शर्त समाप्त कर दी गयी है। अधिकारियों का मानना है कि आठवीं व नौवीं की परीक्षाओं के प्राप्तांकों को आधार बनाने से कई बार वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ नहीं मिलता है। नयी व्यवस्था से प्रतीक्षा सूची भी समाप्त होगी और अधिक लोग लाभान्वित हो सकेंगे। 

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