Friday 8 January 2016

उप्र में भी दस साल से मिलें मुफ्त सेनेटरी नैपकिन

-सीएफएआर ने की संस्तुति-
-अब नौ वर्ष की आयु में भी होने लगे बालिकाओं को पीरियड्स
-राजस्थान ने की शुरुआत, यहां भी उम्र आधारित हो वितरण
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राजस्थान की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी दस साल की उम्र में मुफ्त सेनेटरी नैपकिन बांटने की शुरुआत की जानी चाहिए। प्रदेश के 25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में स्वास्थ्य विभाग के साथ काम कर रही संस्था सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीएफएआर) ने इस आशय की संस्तुति की है।
उत्तर प्रदेश में कक्षा छह से बारह तक की छात्राओं को मुफ्त सेनेटरी नैपकिन बांटने की शुरुआत हाल ही में की गयी है। अब सीएफएआर ने इसे कक्षा की जगह उम्र आधारित बनाकर दस वर्ष से अधिक आयु की सभी छात्राओं को इस परिधि में लाने की मांग की है। सीएफएआर की अधिशासी निदेशक अखिला शिवदास के मुताबिक पूरे देश में छात्राओं को पीरियड्स की शुरुआती आयु में बदलाव आया है। पहले 13 वर्ष की आयु में बालिकाओं को पीरियड्स शुरू होते थे। इसके बाद 11 वर्ष की आयु में इसकी शुरुआत हुई और अब नौ वर्ष आयु तक में पीरियड्स की शुरुआत हो जाती है। राष्ट्रीय स्तर पर यह तथ्य स्वीकारा जा चुका है कि खानपान में बदलाव व हारमोंस की जटिलताओं के कारण यह स्थितियां उत्पन्न हुई हैं। इस बदलाव के बाद राजस्थान सहित कुछ राज्यों ने इस तथ्य को स्वीकार कर लिया है। राजस्थान ने मुफ्त सेनेटरी नैपकिन बांटने के लिए दस वर्ष की न्यूनतम आयु निर्धारित की है। उत्तर प्रदेश सरकार को भी इसी तर्ज पर उम्र आधारित नैपकिन वितरण सुनिश्चित कराना चाहिए। प्रदेश के जिन 25 उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में सीएफएआर काम कर रहा है, वहां से भी लगातार यही फीडबैक मिल रहा है कि इस समय सेनेटरी नैपकिन की उपलब्धता सबसे बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रही है। स्कूलों में वितरण तो शुरू हुआ है, फिर भी तमाम बालिकाएं स्कूल जाती ही नहीं हैं या फिर वे चौथी-पांचवीं में पढ़ रही होती हैं, तभी पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। आशा व एएनएम को सस्ते नैपकिन बांटने का जिम्मा दिया गया है किन्तु वह भी पर्याप्त साबित नहीं हो रहा है। इसीलिए वर्ष 2016 में सीएफएआर ने अपने लक्ष्य के रूप में सेनेटरी नैपकिन की उपलब्धता को फोकस किया है।

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