Friday 8 January 2016

ग्रामीण व सहकारी बैंक खाताधारकों की छात्रवृत्ति फंसी


-आइएफएससी कोड न होने के कारण खारिज हो रहे आवेदन
-नए सिरे से समाधान की कोशिश में समाज कल्याण विभाग
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: ग्रामीण व सहकारी बैंकों में खाता खोलने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के दो लाख विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति मिलने के रास्ते में संकट आ रहा है। यह समस्या उनका आइएफएससी कोड न होने के कारण पैदा हुई है। अब समाज कल्याण विभाग बैंकों से विचार विमर्श कर समाधान की कोशिश में है।
समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा वर्ग विभाग व अल्पसंख्यक कल्याण विभागों में इस समय भारी संख्या में वे छात्र-छात्राएं पहुंच रहे हैं, जिनकी छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। दरअसल सब कुछ ठीक होने के बावजूद लगभग दो लाख छात्र-छात्राएं ऐसे हैं, जिनकी छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के आवेदन महज बैंकों के आइएफएससी कोड न होने या सही न होने के कारण रिजेक्ट हो गए हैं। ध्यान रहे, ग्र्रामीण बैंकों व सहकारी बैंकों को अभी सीधे आइएफएससी कोड एलॉट नहीं होता है। ग्र्रामीण बैंकों के मामले में तो वे उस बैंक के पोषक बैंक के आइएफएससी कोड से काम चलाते हैं। सहकारी बैंकों में भी किसी अन्य राष्ट्रीयकृत बैंक के आइएफएससी कोड को दर्ज किया जाता है, जिसे छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का साफ्टवेयर स्वीकार नहीं कर रहा है।
ग्र्रामीण व सहकारी बैंकों में खाताधारक अधिकांश छात्र-छात्राएं ग्र्रामीण पृष्ठभूमि के हैं। हाल ही में जब भारी संख्या में छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति आवेदन निरस्त हुए तो अन्य कारणों के अलावा दो लाख फार्म गलत आइएफएससी कोड के कारण रद हो गए। छात्र-छात्राएं निदेशालय आए, तो उन्हें वापस जिला कार्यालय भेज दिया गया। वे जिला कार्यालय पहुंचे तो वहां से इसे इंटरनेट व एनआइसी का मसला बताकर टाल दिया गया। बीते एक सप्ताह से तीनों कार्यालयों में ऐसे छात्र-छात्राएं भारी संख्या में नजर आ रहे हैं। तब कहीं जाकर समाज कल्याण विभाग व पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग सक्रिय हुआ।
समस्या समाधान की कोशिश
पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के उपनिदेशक शैलेश श्रीवास्तव के मुताबिक आइएफएससी कोड्स बैंक के नाम से शुरू होते हैं, इसलिए बैंक और कोड अलग होने के कारण रिजेक्ट हो रहे हैं। इसमें विद्यार्थी की गलती नहीं है, इसलिए अब इसका समाधान खोजा जा रहा है। छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति का काम देख रहे समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक एसके त्रिपाठी के मुताबिक लगभग दो लाख छात्र-छात्राओं के आइएफएससी कोड सही कराए जा रहे हैं, ताकि उन सभी को छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति दिलाई जा सके। जिला स्तर पर भी ऐसी किसी समस्या पर तत्काल प्रतिवेदन लेकर कार्रवाई के निर्देश दिये गए हैं। 

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