Wednesday 20 January 2016

12 हजार संस्थानों को नहीं मिलेगी छात्रवृत्ति

-दशमोत्तर शुल्क प्रतिपूर्ति-
-गायब हो गए 18,309 शैक्षिक संस्थानों के 18,87,666 विद्यार्थी
-गुमशुदगी का कारण नहीं बता सकने वाले संस्थान कठघरे में
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश के 12 हजार शैक्षिक संस्थानों को इस बार दशमोत्तर छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति नहीं दी जाएगी। ये संस्थान बीते वर्ष की तुलना में इस बार अचानक छात्र-छात्राओं के गायब हो जाने का जवाब नहीं दाखिल कर सके हैं।
दसवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद आगे की सामान्य पढ़ाई के साथ प्रोफेशनल कोर्स करने के लिए शासन स्तर पर छात्रवृत्ति के साथ शुल्क प्रतिपूर्ति का प्रावधान है। दो लाख रुपये तक वार्षिक आय वाले  अभिभावकों के बच्चों को यह छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति देने का प्रावधान है। कुछ वर्षों में शुल्क प्रतिपूर्ति में तमाम गड़बडिय़ां सामने आने पर इस बार समाज कल्याण विभाग, पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने आवेदनों की जांच-पड़ताल के स्तर पर ही सख्ती शुरू की तो न सिर्फ छात्र संख्या कम हुई, बल्कि पिछले वर्ष आवेदन करने वालों की तुलना में इस वर्ष आवेदन करने वाले विद्यार्थी आधे से कम रह गए।
वर्ष 2014-15 में 36,45,258 छात्र-छात्राओं के फार्म शैक्षिक संस्थानों ने छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए अग्र्रसारित किये थे। इन्होंने वर्ष 2014-15 में 11वीं या स्नातक या किसी अन्य प्रोफेशनल पाठ्यक्रम के प्रथम वर्ष के विद्यार्थी के रूप में आवेदन किया था। ऐसे में इनमें से उत्तीर्ण होने वाले छात्र-छात्राओं को इस बार वर्ष 2015-16 में पुन: छात्रवृत्ति व शुल्क प्रतिपूर्ति के लिए आवेदन करना था। आंकड़ों के मुताबिक इनमें से इस वर्ष सिर्फ 17,57,592 विद्यार्थियों ने पुन: आवेदन किया है। इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में 18,87,666 विद्यार्थियों ने आवेदन ही नहीं किया। यह संख्या पिछले वर्ष आवेदन करने वालों में से 51.78 प्रतिशत है। अधिकारियों के मुताबिक सिर्फ अनुत्तीर्ण छात्र-छात्राओं को ही आवेदन नहीं करना था और 51.78 प्रतिशत छात्र-छात्राओं का अनुत्तीर्ण होना चौंकाता है। इसलिए ऐसे 18,309 शैक्षिक संस्थानों से इतनी बड़ी संख्या में विद्यार्थियों के पुन: आवेदन न करने के बारे में जवाब तलब किया गया। माना जा रहा है कि पिछले वर्ष आवेदन के समय बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा हुआ, जिसमें ये संस्थाएं भी शामिल रही हैं। समाज कल्याण विभाग के उपनिदेशक पीके त्रिपाठी के अनुसार इनमें से महज छह हजार ने ही जवाब दाखिल किया है। अब शेष बारह हजार संस्थानों को छात्रवृत्ति नहीं दी जाएगी। शासनादेश में भी स्पष्ट जिक्र कर दिया गया था कि गड़बड़ी पाए जाने पर संबंधित संस्थान के सभी विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति रोकी जा सकती है। अब उसी के अनुरूप कार्रवाई होगी।

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