Wednesday 20 January 2016

ड्राइवर 6954, 1090 को दिखता कम


-परिवहन निगम की जांच में 15 फीसद चालकों की आंखें खराब मिलीं
-1090 को घर बिठाया, पूरा इलाज कराए बिना नहीं बहाल होगी नौकरी
डॉ.संजीव, लखनऊ
आप यूपी रोडवेज की बस से यात्रा करने जा रहे हैं तो सावधान! हो सकता है कि आप जिस बस में सवार हुए हों, उसके ड्राइवर को कम दिखाई देता हो। रोडवेज की अपनी जांच-पड़ताल तो यही कहती है। हाल ही में अभियान चलाकर 6954 बस चालकों की आंखों की जांच की गयी तो उनमें से 1090 की रोशनी कम निकली। 15 फीसद से अधिक चालकों की आंखें कमजोर देखकर रोडवेज प्रबंधन ने इन सभी को घर बिठाने के साथ स्पष्ट कर दिया है कि पूरा इलाज कराए बिना नौकरी बहाल नहीं होगी।
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम प्रदेश व आसपास के राज्यों के लिए नौ हजार बसों का संचालन करता है। इनके लिए दस हजार चालक तैनात हैं। आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं के मद्देनजर बीते माह हर क्षेत्रीय कार्यालय में अभियान चलाकर चालकों का नेत्र परीक्षण कराया गया। इसमें देखा गया था कि छह मीटर दूर तक चालकों को स्पष्ट दिखना चाहिए। साथ ही गाड़ी चलाते हुए विजन का परीक्षण भी किया गया। अब परीक्षण के परिणाम चौंकाने वाले आए हैं। निगम के प्रबंध निदेशक के. रविन्द्र नायक के मुताबिक अभियान में कुल 6954 चालकों की आंखों का परीक्षण किया गया। इनमें से 1090 चालकों की आंखें अत्यधिक कमजोर मिलीं। ये किसी भी हाल में बस चलाने की स्थिति में नहीं हैं। इनमें से 1041 का तो उपचार संभव है, किन्तु 49 तो चिकित्सकों द्वारा पूरी तरह अक्षम करार दिये गए हैं। अब इन सभी चालकों को ड्यूटी से हटाकर घर बिठा दिया गया है। इनसे इलाज कराने को कहा गया है। स्पष्ट कर दिया गया है कि बिना पूरा इलाज कराए उन्हें ड्यूटी पर वापस नहीं लिया जाएगा। दरअसल 1041 चालक ऐसे हैं, जिन्हें इलाज के बाद चश्मा लगाकर दिखने की उम्मीद बनी हुई है। इसलिए इन्हें एक मौका दिया जा रहा है किन्तु ड्यूटी पर लेने से पहले दुबारा न सिर्फ इनका विजन टेस्ट होगा, बल्कि इनसे गाड़ी चलवाकर देखी भी जाएगी।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हाल खराब
इस जांच-पड़ताल में पता चला कि सबसे खराब स्थिति पश्चिमी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों की है। गाजियाबाद क्षेत्र में सर्वाधिक 226 चालकों की आंखें खराब थीं। आगरा में 132 व बरेली में 103 चालकों को नहीं दिख रहा था। मेरठ क्षेत्र में 72, इटावा में 66, सहारनपुर में 65, मुरादाबाद में 64 व अलीगढ़ में 62 चालकों को बस चलाने भर का नहीं दिखाई दे रहा था।
वाराणसी-नोएडा-देवीपाटन फिट
केवल वाराणसी, नोएडा व देवीपाटन क्षेत्रों में सभी चालक पूरी तरह फिट मिले। वाराणसी में 281, नोएडा में 230 व देवीपाटन में 102 चालकों का परीक्षण हुआ और सभी को पूरी तरह दिखाई दे रहा था। गोरखपुर में भी 335 में से महज दो और हरदोई में 354 में तीन चालकों की आंखें खराब मिलीं। इलाहाबाद क्षेत्र में 210 में से सिर्फ 25 चालकों की आंखों की रोशनी कम थी, वहीं बांदा क्षेत्र में 119 में से 13 की आंखें कमजोर थीं।
अक्षमता में कानपुर रहा अव्वल
पूरी तरह अक्षम होने के बावजूद बसें चलाने के सर्वाधिक 37 मामले कानपुर में मिले। इस तरह के कुल मिले 49 मामलों में से 70 फीसद से अधिक कानपुर क्षेत्र के ही थे। कानपुर में 292 चालकों का परीक्षण हुआ, जिनमें से 185 ही पूरी तरह फिट पाए गए। इसके लिए कानपुर क्षेत्र के अधिकारियों को भी चेतावनी दी गयी है। इसके अलावा मेरठ, मुरादाबाद, हरदोई व झांसी क्षेत्रों में तीन-तीन और इटावा में एक व अलीगढ़ में दो चालक इस श्रेणी के मिले। झांसी में कुल 271 में से 249 चालक फिट मिले।

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