Saturday 2 January 2016

उप्र में हर घंटे निमोनिया से मर रहे 11 बच्चे

-अस्पतालों में विशेष चौकसी, आशा के स्तर तक एलर्ट
-पेंटावैलेंट टीकाकरण के साथ राज्य भर में अभियान
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : उत्तर प्रदेश में हर घंटे निमोनिया से 11 बच्चे मर रहे हैं। इन स्थितियों से निपटने के लिए स्वास्थ्य महकमे ने आशा के स्तर तक एलर्ट करने के साथ अस्पतालों में विशेष चौकसी के निर्देश दिये हैं। इसके अलावा पेंटावैलेंट टीकाकरण के साथ निमोनिया से निपटने के लिए राज्य भर में विशेष अभियान शुरू किया गया है।
प्रदेश में तापमान गिरने व सर्दी बढऩे के साथ ही निमोनिया का खतरा बढ़ रहा है। प्रदेश में वैसे ही निमोनिया खासा खतरनाक स्थिति में है। यहां हर वर्ष पैदा होने वाले 50 लाख बच्चों में से पांच लाख की मृत्यु उनके पांच साल का होने से पहले हो जाती है। इनमें भी 17 प्रतिशत की मौत निमोनिया के कारण होती है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में हर साल कुल मिलाकर 53 लाख बच्चों को निमोनिया होता है, जिनमें से सही देखभाल के अभाव में लगभग छह लाख बच्चे गंभीर स्थिति में पहुंच जाते हैं। इनमें भी 89,196 की सांसें निमोनिया के कारण थम जाती है। इस तरह हर दिन 248 और हर घंटे 11 बच्चे निमोनिया से मर जाते हैं।
जाड़ा बढऩे के साथ ही निमोनिया के मामले तेजी से बढ़ते हैं, इसलिए स्वास्थ्य विभाग ने अपने पूरे महकमे को अलर्ट कर दिया है। इसके लिए राज्य स्तर पर निमोनिया व डायरिया की रोकथाम के लिए संयुक्त कार्यक्रम शुरू किया गया है। इसके अंतर्गत जिला अस्पतालों व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों को अतिरिक्त सतर्कता के निर्देश दिये गए हैं। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने बताया कि निमोनिया को लेकर पूरा विभाग चिंतित है। हाल ही में शुरू हुए पेंटावैलेंट टीके में निमोनिया से निपटने की क्षमता है। इसके प्रयोग से सुधार होने की उम्मीद है। इसके अलावा जरूरी दवाएं आशाओं तक पहुंचा दी गयी हैं, ताकि प्राथमिक इलाज में कोई कोताही न हो। स्वास्थ्य महानिदेशक योगेंद्र कुमार का कहना है कि निमोनिया में शुरुआती स्तर पर पहचान जरूरी है। इसके लिए प्रशिक्षण देकर आशा व एएनएम स्तर तक निमोनिया के मरीज को हर हाल में समय पर इलाज सुनिश्चित करने को कहा गया है। निमोनिया के लक्षण पता चलते ही तुरंत प्राथमिक या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजा जाए। गंभीर होने पर अविलंब मरीजों को जिला अस्पताल भेजा जाए।
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ये सावधानियां जरूरी
-एक ही कमरे में बहुत अधिक लोग लंबे समय तक न रहें
-कमरे में रूम हीटर व कॉयल आदि ज्यादा देर तक न जलाएं, इससे कमरे की हवा घुटन भरी व शुष्क हो जाती है
-टीकाकरण अवश्य कराएं व छह माह तक स्तनपान न बंद करें

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