-सलाखों के पीछे पहुंचते ही बंद हो जाता है एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट
-जेल डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर 352 संक्रमितों का करेंगे पूरा इलाज
----
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राज्य एड्स नियंत्रण संगठन एचआइवी संक्रमण से ग्रस्त लोगों के जेल पहुंचने की स्थिति में उनका इलाज बंद हो जाने की समस्या से जूझ रहा है। इससे निपटने के लिए अब जेल के चिकित्सकों को प्रशिक्षित कर संक्रमित कैदियों तक दवाएं पहुंचाने की तैयारी है।
प्रदेश में एचआइवी संक्रमण के शिकार लोगों को सभी मेडिकल कालेजों व चुनिंदा जिला अस्पतालों में एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट (एआरटी) दिया जाता है। यह ट्रीटमेंट नियमित लेने से उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और उन्हें लंबी जिंदगी जीने का मौका मिलता है। एचआइवी संक्रमण का पता लगते ही संबंधित व्यक्ति को एआरटी सेंटर रेफर कर दिया जाता है और वहां से नियमित दवाएं मिलने लगती हैं। यदि कोई एचआइवी संक्रमित किसी कारणवश जेल पहुंच जाता है तो उसका एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट बंद हो जाता है। उन्हें नियमित एआरटी सेंटर लाना खासा दुष्कर हो जाता है। इसके लिए विशेष अनुमति से लेकर पुलिसकर्मियों की तैनाती तक का मामला होता है और इस कारण एचआइवी संक्रमित कैदी का उपचार रुक जाता है।
उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण संगठन के परियोजना निदेशक आलोक कुमार इस तथ्य को स्वीकार करते हैं। उन्होंने बताया कि इस समय उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में 352 कैदी एचआइवी संक्रमित हैं। उनमें से अधिकांश का एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट चल रहा था, किन्तु जेल पहुंचने के कारण बंद हो गया है। अब इस समस्या से निदान के लिए एआरटी सेंटर्स से जेल अस्पतालों को जोडऩे का फैसला हुआ है। उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण संगठन जेल अस्पतालों के चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण देकर उनके माध्यम से एचआइवी संक्रमित कैदियों को एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट दिलाना सुनिश्चित करेगा।
----
-जेल डॉक्टरों को प्रशिक्षित कर 352 संक्रमितों का करेंगे पूरा इलाज
----
राज्य ब्यूरो, लखनऊ : राज्य एड्स नियंत्रण संगठन एचआइवी संक्रमण से ग्रस्त लोगों के जेल पहुंचने की स्थिति में उनका इलाज बंद हो जाने की समस्या से जूझ रहा है। इससे निपटने के लिए अब जेल के चिकित्सकों को प्रशिक्षित कर संक्रमित कैदियों तक दवाएं पहुंचाने की तैयारी है।
प्रदेश में एचआइवी संक्रमण के शिकार लोगों को सभी मेडिकल कालेजों व चुनिंदा जिला अस्पतालों में एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट (एआरटी) दिया जाता है। यह ट्रीटमेंट नियमित लेने से उनकी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और उन्हें लंबी जिंदगी जीने का मौका मिलता है। एचआइवी संक्रमण का पता लगते ही संबंधित व्यक्ति को एआरटी सेंटर रेफर कर दिया जाता है और वहां से नियमित दवाएं मिलने लगती हैं। यदि कोई एचआइवी संक्रमित किसी कारणवश जेल पहुंच जाता है तो उसका एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट बंद हो जाता है। उन्हें नियमित एआरटी सेंटर लाना खासा दुष्कर हो जाता है। इसके लिए विशेष अनुमति से लेकर पुलिसकर्मियों की तैनाती तक का मामला होता है और इस कारण एचआइवी संक्रमित कैदी का उपचार रुक जाता है।
उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण संगठन के परियोजना निदेशक आलोक कुमार इस तथ्य को स्वीकार करते हैं। उन्होंने बताया कि इस समय उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में 352 कैदी एचआइवी संक्रमित हैं। उनमें से अधिकांश का एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट चल रहा था, किन्तु जेल पहुंचने के कारण बंद हो गया है। अब इस समस्या से निदान के लिए एआरटी सेंटर्स से जेल अस्पतालों को जोडऩे का फैसला हुआ है। उत्तर प्रदेश एड्स नियंत्रण संगठन जेल अस्पतालों के चिकित्सकों को विशेष प्रशिक्षण देकर उनके माध्यम से एचआइवी संक्रमित कैदियों को एंटी रेट्रोवाइरल ट्रीटमेंट दिलाना सुनिश्चित करेगा।
----
No comments:
Post a Comment