Thursday 21 January 2016

स्वाइन फ्लू की दस्तक, हर जिले में आइसोलेशन वार्ड


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-पीएचसी-सीएचसी को लक्षण देखते ही मरीज रेफर करने के निर्देश
-मेडिकल कालेज में आइसीयू अलर्ट, मुफ्त जांच और दवाएं
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ
मौसम बदलने के साथ ही प्रदेश में स्वाइन फ्लू ने दस्तक दी है। कानपुर व लखनऊ में स्वाइन फ्लू के मरीजों की पुष्टि होने के साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने हर जिले में आइसोलेशन वार्ड स्थापित करा दिये हैं। मेडिकल कालेजों में भी अलग वार्ड के साथ आइसीयू अलर्ट कर दिये गए हैं।
अचानक मौसम के करवट बदलने के साथ ही अस्पतालों में सर्दी व बुखार के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है। एच1वी1 संक्रमण के साथ स्वाइन फ्लू का खतरा भी बढ़ा है। कानपुर व लखनऊ में स्वाइन फ्लू का एक-एक मरीज सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में इस बाबत सक्रियता बढ़ गयी है। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.योगेंद्र कुमार ने बताया कि हर जिले में एक आइसोलेशन वार्ड स्थापित किया गया है, जो स्वाइन फ्लू के मरीजों के लिए होगा। हर जिला अस्पताल में स्थापित होने वाले इस वार्ड के लिए अलग से डॉक्टर भी मुस्तैद रहेंगे, दवाइयां भी उपलब्ध कराई गयी हैं। जिला अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों से जरूरत के अनुरूप दवाइयां खरीद कर रख लेने को कह दिया गया है। प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में स्वाइन फ्लू के लक्षणों वाले मरीज पहुंचने पर उन्हें तुरंत जिला अस्पताल रिफर किया जाए। जरूरत पर एंबुलेंस मंगाकर उन्हें भेजा जाए।
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी ने बताया कि बांदा सहित सभी 14 सरकारी मेडिकल कालेजों में अलग वार्ड के साथ आइसीयू भी अलर्ट कर दिये गए हैं। इनमें वेंटिलेटर, मॉनीटर के साथ पल्स ऑक्सीमीटर की पड़ताल करने के साथ ऑक्सीजन व टेमीफ्लू जैसी दवाओं की सतत उपलब्धता सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी प्राचार्यों को सौंपी गयी है। सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों व मेडिकल कालेज प्राचार्यों से स्वाइन फ्लू के मरीज सामने आने पर तुरंत जानकारी प्रदेश मुख्यालय भेजने को कहा गया है।
मेडिकल कालेजों में होगी जांच
राजधानी लखनऊ के किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय व संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के अलावा कानपुर, गोरखपुर, सैफई, आगरा व मेरठ मेडिकल कालेजों में स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधाएं उपलब्ध हैं। कन्नौज व अम्बेडकर नगर में भी रियल टाइम पीसीआर मशीनें लग गयी हैं, जल्द ही वहां जांच की सुविधा उपलब्ध होगी। जिन कालेजों में जांच की सुविधा नहीं उपलब्ध है, वहां आने वाले मरीजों के रक्त के नमूने लेकर निकट के मेडिकल कालेज भेजकर उनकी जांच कराई जाएगी।
जच्चा-बच्चा व बुजुर्ग सावधान
चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.वीएन त्रिपाठी ने बताया कि स्वाइन फ्लू का सर्वाधिक खतरा गर्भवती महिलाओं, पांच साल से कम उम्र के बच्चों व बुजुर्गों में होता है। इसलिए उन्हें अतिरिक्त सावधान रहना चाहिए। तेज बुखार, जुकाम, सिर दर्द, आंखों में पानी आने, बदन में दर्द होने या तेज सांस चलने जैसी समस्या यदि पांच दिन से अधिक रहे तो तुरंत स्वाइन फ्लू की जांच कराई जानी चाहिए। 

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