Friday 8 January 2016

खींचतान की भेंट चढ़ा भाजपा का संगठन महापर्व

- 69 जिला इकाइयों में चुनाव प्रक्रिया के बाद भी अध्यक्ष अघोषित
-16 जिलों में दस से अधिक नामांकन, प्रदेश समिति करेगी फैसला
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी का संगठन महापर्व खींचतान की भेंट चढ़ रहा है। हालात ये हैं कि 69 जिला इकाइयों में चुनाव प्रक्रिया के बाद भी अध्यक्ष अघोषित हैं और प्रदेश चुनाव समिति से उनकी घोषणा की जाएगी। अध्यक्ष बनने की मारामारी इस कदर है कि कई जिलों में 50 से अधिक लोग अध्यक्ष बनना चाह रहे हैं। 16 जिलों में दस से अधिक नामांकन हुए हैं।
भाजपा संगठन चुनाव को महापर्व की संज्ञा देती है। इस बार भी इन चुनावों को विधानसभा चुनाव से पहले कार्यकर्ताओं की एकजुट करने का माध्यम करार दिया गया था। संगठन की सोच के विपरीत जमीन पर चुनाव की शुरुआत हुई तो स्थितियां बिल्कुल विपरीत हो गयीं। एटा में तो फायङ्क्षरग हो गयी, वहीं लखनऊ में 76 लोगों ने नामांकन करा दिया। आधा दर्जन जिलों में अध्यक्ष बनने की इच्छा रखने वाले स्थानीय नेताओं की संख्या 50 के ऊपर बतायी गयी है। इस मारामारी के चलते प्रदेश चुनाव समिति जिलों में मतदान कराने से बची और आम सहमति के नाम पर नामांकन कराकर सभी नाम लखनऊ मंगा लिये गए। तय हुआ है कि अब लखनऊ से ही जिलाध्यक्षों की घोषणा की जाएगी। पार्टी के ही नेता इसे आंतरिक लोकतंत्र की हत्या करार दे रहे हैं किन्तु औपचारिक रूप से कुछ बोलने का साहस नहीं कर पा रहे हैं। उनका कहना है कि जिलाध्यक्षों की घोषणा के बाद हर जिले में अंतर्विरोध मुखर होकर सामने आएगा।
बीते वर्ष पार्टी ने ऑनलाइन व मोबाइल तक से सदस्यता देने की मुहिम शुरू की तो प्रदेश में दो करोड़ से ऊपर सामान्य सदस्य बन गए। इसी तरह 70 हजार से ऊपर सक्रिय सदस्य बनाए गए। इन सदस्यों से 1,39,000 बूथ इकाइयों के चुनाव होने थे। वहीं सक्रिय सदस्य मंडल व जिला इकाइयों के लिए चुनाव लड़ सकते थे। प्रदेश के चुनाव प्रभारी सांसद महेंद्र नाथ पाण्डेय भी स्वीकार करते हैं कि भारी संख्या में कार्यकर्ता संगठन चुनाव में आगे आए हैं। 16 जिलों में अध्यक्ष बनने के लिए दस से अधिक नामांकन सामने आए हैं। गुरुवार तक 69 जिला इकाइयों की चुनाव प्रक्रिया पूरी हो गयी है। जिलों में ही परिणाम घोषित न किये जाने पर उनका कहना है कि चुनाव अधिकारियों व पर्यवेक्षकों ने निर्वाचन मंडल से बात कर अभिमत जाना है और तदनुसार अपनी रिपोर्ट दी है। 12 जनवरी तक सभी जिलों की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। उसके बाद प्रदेश समिति जिलाध्यक्षों की घोषणा कर देगी। उन्होंने दावा किया कि केवल भाजपा ही चुनाव आयोग की मंशा के अनुरूप आंतरिक लोकतंत्र के साथ चुनाव कराती है, फिर भी लोग अनावश्यक सवाल खड़े करते हैं।
प्रदेश अध्यक्ष चुनाव का इंतजार
उत्तर प्रदेश में कुल 90 जिला इकाइयां हैं। इनमें से आधी के चुनाव हो जाने के बाद प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो सकता है। प्रदेश चुनाव समिति ने इन मापदंडों के पूरा होने की जानकारी केंद्रीय चुनाव समिति को दे दी है। अब केंद्रीय चुनाव समिति प्रदेश अध्यक्ष चुनाव की तारीख घोषित करेगी।

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