Saturday 5 December 2015

देहरी तक जाकर इलाज व जांच करेंगे डॉक्टर


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-36 जिलों में चलेंगी 170 मोबाइल मेडिकल यूनिट
-हर यूनिट माह में 24 जगह देखेगी 60-60 मरीज
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश का स्वास्थ्य महकमा बीमारों के घर की देहरी तक जाकर जांच और इलाज सुनिश्चित करेगा। 36 जिलों में 170 मोबाइल मेडिकल यूनिट सक्रिय की जाएंगी। हर यूनिट महीने में कम से कम 24 जगह जाकर कम से कम 60-60 मरीज देखेगी।
शहरी व ग्र्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों के नेटवर्क के बावजूद तमाम इलाके ऐसे हैं, जहां तक स्वास्थ्य सेवाएं नहीं पहुंच पाती हैं। अब ऐसे इलाकों तक स्वयं स्वास्थ्य विभाग की टीम जाकर मरीजों का इलाज करेगी। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) अरविंद कुमार ने बताया कि कुल 170 मोबाइल यूनिटों में से तीस जिलों में पांच-पांच यूनिट का फोकस ग्र्रामीण इलाकों पर होगा, वहीं छह महानगरों की 20 यूनिटों का फोकस मलिन बस्तियों पर होगा। हर यूनिट में दो वाहन होंगे, जिनमें से एक में क्लीनिकल लैब व दूसरे में डॉक्टर आदि चलेंगे। यूनिट में लैब टेक्नीशियन, फार्मासिस्ट, ईसीजी, ऑटो एनालाइजर आदि के साथ मेडिकल ऑफीसर भी होंगे। मरीजों की प्राथमिक जांच कर उनका इलाज तुरंत कर दवाएं भी दी जाएंगी। गंभीर मरीजों को एंबुलेंस बुलाकर बड़े अस्पताल भेज दिया जाएगा। हर यूनिट को महीने में कम से कम 24 कैंप करने होंगे और हर कैंप में कम से कम 60 मरीज देखने होंगे।
इन जिलों में पांच-पांच यूनिट
सहारनपुर, रामपुर, बरेली, बदायूं, एटा, कासगंज, कन्नौज, कानपुर देहात, फर्रुखाबाद, हरदोई, पीलीभीत, शाहजहांपुर, लखीमपुर खीरी, बस्ती, आजमगढ़, सीतापुर, बहराइच, बाराबंकी, रायबरेली, कौशांबी, इलाहाबाद, श्रावस्ती, गोंडा, फैजाबाद, बलरामपुर, सिद्धार्थ नगर, संत कबीर नगर, गोरखपुर, महाराजगंज, अंबेडकर नगर
यहां मलिन बस्तियों पर जोर
शहरी क्षेत्रों में बीस मोबाइल मेडिकल यूनिट सक्रिय होंगी, जिनका जोर मलिन बस्तियों में इलाज की सुविधाएं पहुंचाने पर होगा। तय हुआ है कि गौतमबुद्ध नगर व वाराणसी में दो-दो, आगरा व गाजियाबाद में तीन-तीन, कानपुर नगर व लखनऊ में पांच-पांच मोबाइल मेडिकल यूनिट शुरू होंगी।
जच्चा-बच्चा अस्पतालों की शुरुआत पर काम बढ़ा
राब्यू, लखनऊ: प्रदेश में प्रस्तावित 49 जच्चा-बच्चा अस्पतालों की शुरुआत को लेकर काम तेज हुआ है। इन अस्पतालों को निजी क्षेत्र से संचालित कराया जाना है। एक हजार करोड़ रुपये के ऊपर की परियोजना होने के कारण मुख्य सचिव स्तर से इस पर टेंडर प्रक्रिया होनी है। शुक्रवार को मुख्य सचिव आलोक रंजन की अध्यक्षता में हुई बैठक में इन अस्पतालों के संचालन पर विचार विमर्श हुआ। नियोजन, वित्त, औद्योगिक विकास आदि विभागों से एक सप्ताह के भीतर उनकी राय मांगी गयी है। इन विभागों की राय व अनापत्ति आने के बाद टेंडर प्रक्रिया तेज की जाएगी। 

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