Friday 11 December 2015

हर कोने में मेडिकल कालेज, पांच हजार बनेंगे डॉक्टर


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-इसी माह मुख्यमंत्री चंदौली में करेंगे 17वें कालेज का शिलान्यास
-दो साल में छह और चिकित्सा संस्थान शुरू करने का लक्ष्य
-प्रदेश में बढ़ेंगी एमबीबीएस की 1700 से अधिक सीटें
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ
पुराने मेडिकल कालेजों को चलाने के लिए जूझ रहे चिकित्सा शिक्षा महकमे को अगले दो साल में छह और मेडिकल कालेज शुरू करने हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इसी माह चंदौली में राज्य के 17वें सरकारी मेडिकल कालेज का शिलान्यास करेंगे। केंद्र के पास लंबित पांच मेडिकल कालेजों को मंजूरी मिलते ही प्रदेश के हर कोने में मेडिकल कालेज होगा और हर साल औसतन पांच हजार डॉक्टर बनेंगे।
प्रदेश में इस समय सरकारी क्षेत्र में 13 व निजी क्षेत्र में 14 मेडिकल कालेज संचालित हो रहे हैं। वर्ष 1911 में खुला लखनऊ का किंग जार्ज  मेडिकल विश्वविद्यालय सरकारी क्षेत्र का पहला मेडिकल कालेज था तो 1947 में आगरा, 1956 में कानपुर, 1961 में इलाहाबाद, 1966 में मेरठ, 1968 में झांसी और 1972 में गोरखपुर के बाद 2006 में सैफई के ग्र्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान के रूप में मेडिकल कालेज की शुरुआत हुई थी। इसके बाद 2011 में अंबेडकर नगर, 2012 में कन्नौज, 2013 में जालौन व आजमगढ़ और इसी वर्ष 2015 में सहारनपुर मेडिकल कालेज की शुरुआत हुई। बांदा में 14वां व बदायूं में 15वां कालेज खोलने की तैयारी चल रही है। जौनपुर में 16वें कालेज का निर्माण चल रहा है और इसी माह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव चंदौली में 17वें मेडिकल कालेज का शिलान्यास करेंगे। 600 करोड़ रुपये खर्च कर बनने वाले इस कालेज के लिए 22 एकड़ जमीन चिकित्सा शिक्षा विभाग को मिल चुकी है।
सरकार ने अगले दो वर्षों में बांदा, बदायूं, जौनपुर व चंदौली के साथ नोएडा के बाल चिकित्सालय को मेडिकल कालेज में बदलने व राजधानी लखनऊ के राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान को पूर्ण मेडिकल कालेज के रूप में शुरू करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इनके अलावा फैजाबाद, बस्ती, शाहजहांपुर, फीरोजाबाद व बहराइच में मेडिकल कालेज शुरू करने का प्रस्ताव केंद्र में लंबित है। उनके लिए डीपीआर भेजी जा चुकी है और जल्द ही फैसले की उम्मीद है। निजी क्षेत्र में भी अगले दो वर्षों में करीब आधा दर्जन मेडिकल कालेज शुरू होंगे। इस समय सरकारी क्षेत्र में एमबीबीएस की 1722 व निजी क्षेत्र में 1550 एमबीबीएस सीटें हैं। नए कालेजों में 1700 से अधिक सीटें बढऩे से प्रदेश में एमबीबीएस सीटों की संख्या पांच हजार हो जाएगी।
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बनी रहेगी मान्यता की चुनौती
प्रदेश में नए मेडिकल कालेजों का शिलान्यास तो हो रहा है किन्तु शिक्षकों की कमी से पुरानों की मान्यता ही संकट में है। ऐसे में नए कालेजों के लिए मान्यता भी चुनौती बनी रहेगी। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी का मानना है कि नए कालेज खुलने से प्रदेश के हर कोने में न सिर्फ चिकित्सा शिक्षा बल्कि श्रेष्ठ इलाज की सुविधा मुहैया होगी। जहां तक शिक्षकों की कमी का सवाल है तो इस बाबत चिकित्सा शिक्षकों को उत्तराखंड की तर्ज पर अधिक वेतन व सुविधाएं देने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। इसके अलावा जैसे-जैसे कालेज पुराने होते जाएंगे, उनकी स्थायी संबद्धता के साथ वहां एमडी-एमएस के कोर्स शुरू होंगे। इससे शिक्षकों की कमी भी पूरी होगी।

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