Monday 21 December 2015

यूपी में नहीं रुकेगी डीजल वाहनों की बिक्री


साक्षात्कार परिवहन आयुक्त
प्रदूषण के मामले में दिल्ली की लगातार खराब होती हालत पर चिंतित सुप्रीम कोर्ट ने वहां तीन महीने के लिए हाई एंड डीजल वाहनों की बिक्री पर रोक लगा दी है। उत्तर प्रदेश के भी कई शहरों में प्रदूषण जानलेवा स्तर तक पहुंच चुका है। परिवहन विभाग इस दिशा में विशेष अभियान चलाकर प्रदूषण रोकने की पहल तो कर रहा है किन्तु दिल्ली जैसा कठोर कदम उठाने के पक्ष में नहीं है। परिवहन आयुक्त के रविन्द्र नायक ने दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता डॉ.संजीव से बातचीत में साफ कहा कि उत्तर प्रदेश में डीजल वाहनों की बिक्री रोकने का कोई इरादा नहीं है।
-उत्तर प्रदेश में प्रदूषण की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है, परिवहन विभाग इस दिशा में कठोर कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?
--पूरे प्रदेश में एक हजार प्रदूषण जांच केंद्र खोले जा रहे हैं। इन्हें परिवहन कार्यालयों से इतर निजी क्षेत्र को सौंपा गया है और उन्हें अत्याधुनिक फोटोयुक्त पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल प्रमाण पत्र देना होगा। एक जनवरी से प्रदेश भर में एक साथ प्रदूषण चेकिंग के लिए अभियान चलेगा और इसमें बिना प्रमाण पत्र चलते पाए गए वाहनों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा।
-सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में भारी डीजल वाहनों का पंजीकरण प्रतिबंधित कर दिया है, प्रदेश में इस तरह की पहल क्यों नहीं करते?
--वह अदालत का फैसला है। प्रदेश से कोई अदालत में याचिका कर ऐसा फैसला ले आएगा, तो हम भी अमल में लाएंगे। हम अपने स्तर से ऐसा कोई फैसला नहीं करेंगे। हां कानपुर, लखनऊ, आगरा जैसे शहरों में हम पहले ही डीजल चालित वाणिज्यिक वाहनों का प्रवेश प्रतिबंधित कर चुके हैं। इस पर सख्ती से अमल कराया जा रहा है। हाल ही में अकेले लखनऊ में 600 ऐसी गाडिय़ों का परमिट निरस्त किया गया है, जो शहर के भीतर अवैध ढंग से चलती मिली थीं।
-केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि संभागीय परिवहन अधिकारी (आरटीओ) अत्यधिक भ्रष्ट व चंबल के डकैतों की तरह हैं?
--यह उनकी राय है। मैं विभाग के मुखिया के रूप में अपने साथियों के मामले में ऐसी राय नहीं बना सकता। विभाग के स्तर पर पारदर्शिता बनाए रखने की कोशिश हो रही है, ताकि भ्रष्टाचार न हो। सभी आरटीओ का संपत्ति का नियमित ब्योरा लिया जाता है। जो नहीं जमा करते उनके खिलाफ कार्रवाई होती है। शिकायत होने पर विजिलेंस व अन्य जांचें भी कराई जाती हैं।
-फिर भी परिवहन विभाग की भ्रष्ट विभाग के रूप में बनी छवि तो चिंताजनक है ही?
--इसे सुधारने के लिए दफ्तरों से जनता का सीधा संवाद कम करने की कोशिश हो रही है। ऑनलाइन लर्निंग लाइसेंस के साथ अब टैक्स भी ऑनलाइन जमा हो जाएगा। उसके लिए आरटीओ दफ्तर जाने की जरूरत नहीं है। जब जनता के दफ्तर जाने की जरूरत ही नहीं रहेगी, तो भ्रष्टाचार स्वयमेव कम होगा। इसके अलावा 28 आरटीओ दफ्तरों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं, जो इंटरनेट के माध्यम से सीधे परिवहन आयुक्त कार्यालय, लखनऊ से जुड़े रहेंगे। इसकी शुरुआत हो गयी है। यहां बैठकर हम आकस्मिक पूछताछ भी करते हैं। इससे दलालों का आरटीओ दफ्तरों में प्रवेश कम हुआ है।
-परिवहन विभाग के अफसर पर्चियां देकर ओवरलोडिंग करा रहे हैं। ऐसी समानांतर व्यवस्था क्यों नहीं रुक पा रही?
--हम जनता से भी सबूत मांगते हैं और खुफिया विभाग की सक्रियता की अपेक्षा भी करते हैं। अपने स्तर पर इसे रोकने के लिए प्रदेश में राजमार्गों पर 40 स्थानों पर कम्प्यूटरीकृत धर्मकांटे लग रहे हैं। ये 'वे इन मोशनÓ धर्मकाटे सड़कों पर लगेंगे और चलते हुए वाहन का वजन तौल लेंगे। इससे हमें ऑनलाइन डेटा मिल जाएगा। इसके लिए एनएचएआइ से बात हो रही है और इस योजना की सफलता के बाद ओवरलोडिंग बंद हो जाएगी। ओवरलोडिंग करने वाले ड्राइवर का लाइसेंस निरस्त करने की कार्रवाई होती है और हर साल औसतन दो सौ करोड़ रुपये जुर्माना भी किया जा रहा है।
-जो नियम बने हैं, उनका पालन भी नहीं हो रहा है। उसमें क्या बाधा है?
--मोटर वेहिकिल एक्ट का उल्लंघन रोकने के लिए आरटीओ के साथ यातायात पुलिस का सहयोग भी जरूरी है। इसके बिना समस्या होती है। इसके अलावा लोकतांत्रिक प्रणाली में तमाम दबाव समूह भी काम करते हैं, जिनसे निपटना पड़ता है। यदि पुलिस-प्रशासन सहयोग करे तो काम बहुत आसान हो जाए, किन्तु ऐसा नहीं होता है।
-आप परिवहन निगम के भी प्रबंध निदेशक हैं। राज्य में बस अड्डों के बगल से डंके की चोट पर डग्गामारी हो रही है?
--यह सच है कि पूरे प्रदेश में कई स्थानों पर बस अड्डों के पास से निजी संचालक बसें चला रहे हैं। इन बसों का संचालन निहित स्वार्थों और कई विभागों द्वारा संरक्षण दिये जाने के कारण संभव होता है। इस पर अंकुश के लिए पुलिस व प्रशासन को मदद करनी होगी। हमारे अधिकारी थाने जाकर शिकायत करते हैं तो पुलिस मुकदमा तक नहीं करती। कहीं-कहीं तो उल्टा हमारे अफसरों पर मुकदमा हो जाता है। नगर निगम के लोगों को इन अवैध अड्डों पर अंकुश लगाना चाहिए, किन्तु ऐसा नहीं होता।
-रोडवेज बसों की हालत खराब है, समयबद्ध संचालन भी नहीं होता?
--रोडवेज बसों की हालत ठीक करने के लिए हम पूरे प्रदेश में औचक निरीक्षण करवा रहे हैं। बसों की फोटो तक खिंचवाकर मंगवा रहे हैं, ताकि उन्हें ठीक करवाया जा सके। अब सिर्फ चाक-चौबंद बसें ही सड़क पर उतरेंगी। एक जनवरी से पूरे प्रदेश में समय सारिणी लागू हो जाएगी। उसके बाद सामान्य बसों की भी ऑनलाइन बुकिंग होगी और यात्रा निश्चित रूप से सुगम होगी। 

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