Monday 21 December 2015

इंटर्नशिप में ज्यादा पैसा चाहते भावी डॉक्टर


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-प्रदेश के सभी चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में हस्ताक्षर अभियान
-केंद्रीय मेडिकल कालेजों के बराबर भत्ता देने की हो रही मांग
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ : प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में पढ़ाई कर रहे भावी डॉक्टर इंटर्नशिप में ज्यादा धन चाहते हैं। इसके लिए प्रदेश भर के छात्र-छात्राओं ने सभी मेडिकल, होम्योपैथी, आयुर्वेदिक व यूनानी कालेजों में हस्ताक्षर अभियान से आंदोलन की शुरुआत की है। मांग है कि इन्हें कम से कम केंद्रीय चिकित्सा शिक्षा संस्थानों के बराबर इंटर्नशिप भत्ता तो दिया ही जाए।
चिकित्सा शिक्षा संस्थानों में एमबीबीएस, बीएचएमएस, बीएएमएस व बीयूएमएस करने वाले विद्यार्थियों को साढ़े चार साल तक कक्षाओं में अध्ययन के बाद संस्थान से संबद्ध अस्पताल में एक साल की इंटर्नशिप करनी होती है। इस दौरान उन्हें 7500 रुपये प्रति माह भत्ता मिलता है। अब ये विद्यार्थी हस्ताक्षर अभियान चलाकर इंटर्नशिप भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि महंगाई के इस दौर में यह राशि बहुत कम है और उन्हें मिलने वाला 250 रुपये रोज तो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के दैनिक भत्ते से भी कम है। बीएचयू व एएमयू के मेडिकल कालेजों में 13,500 रुपये प्रतिमाह इंटर्नशिप भत्ता मिलता है। उन्हें कम से कम इन केंद्रीय संस्थानों के बराबर ही भत्ता दिया जाए। चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक डॉ.वीएन त्रिपाठी का कहना है कि इंटर्नशिप भत्ता कम नहीं है। फिर भी यदि उन्हें कोई प्रतिवेदन मिलता है तो प्रधानाचार्यों से बात कर शासन को संस्तुति करेंगे।
प्रदेश स्तरीय संघर्ष समिति बनी
भविष्य के डॉक्टर इस मसले पर आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। इसके लिए दुर्गेश चतुर्वेदी के नेतृत्व में राज्य स्तरीय संघर्ष समिति बनाई गयी है। इसमें केजीएमयू लखनऊ से अजीत यादव, मेडिकल कालेज, कानपुर से राज गुप्ता, इलाहाबाद से श्याम कुमार व जय राम, आगरा से राहुल सिंह, झांसी से आनंद यादव, सैफई से आलोक व व्युत्पन्न मिश्र, अंबेडकर नगर से अमित व धीरज, कन्नौज से सुरेंद्र को शामिल किया गया है। होम्योपैथी कालेजों से रान अभय सिंह, शिवप्रताप सिंह व संकल्प चावला, यूनानी कालेजों से फय्याज व आसिम को इस समिति से जोड़ा गया है।
निजी कालेज नहीं देते धेला
निजी कालेजों में लाखों रुपये खर्च कर एमबीबीएस करने वाले छात्र-छात्राओं को वहां के संबद्ध अस्पतालों में इंटर्नशिप करने पर धेला नहीं मिलता है। नियमानुसार इन कालेजों को भी इंटर्नशिप भत्ता देना चाहिए किन्तु ये छात्र-छात्राओं की ड्यूटी अस्पतालों में लगाते हैं, हस्ताक्षर भी कराते हैं किन्तु भत्ता नहीं देते।
पीजी की तैयारी को छोड़ते भत्ता
हर साल बड़ी संख्या में विद्यार्थी पीजी की तैयारी के लिए भत्ता त्याग भी देते हैं। दरअसल यदि कोई विद्यार्थी अपने कालेज से संबद्ध अस्पताल छोड़कर कहीं और इंटर्नशिप करता है, तो उसे भत्ता नहीं मिलता है। परास्नातक की तैयारी के लिए तमाम सरकारी जिला अस्पतालों में इंटर्नशिप करने की पहल करते हैं, क्योंकि सेटिंग हो जाती है और उन्हें बहुत कम जाना पड़ता है। इस दौरान वे पढ़ाई करते हैं, ताकि एमडी या एमएस जैसी कक्षाओं में प्रवेश मिल सके।

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