Thursday 10 December 2015

पीएमएस डॉक्टर बचाएंगे आयुर्वेद की लाज


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-सीसीआइएम ने दिया है दिसंबर तक सुधार का अल्टीमेटम
-सभी प्राचार्यों को जिम्मेदारी, प्रमुख सचिव करेंगे समीक्षा
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डॉ.संजीव, लखनऊ
प्रदेश के आठ में से छह आयुर्वेदिक मेडिकल कालेजों को मान्यता न मिलने से प्रदेश में आयुर्वेद शिक्षा का भविष्य खतरे में पड़ गया है। अब इसे बचाने के लिए समयबद्ध कार्ययोजना बनाने के साथ पीएमएस डॉक्टरों की मदद लेने का फैसला हुआ है। सीसीआइएम ने इन कालेजों को ढांचागत समस्याएं दूर करने के लिए दिसंबर तक का अल्टीमेटम दिया है। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने सभी प्राचार्यों की सीधी जिम्मेदारी सौंपते हुए स्वयं नियमित समीक्षा की बात कही है।
सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) ने प्रदेश के आठ में से छह आयुर्वेद कालेजों की मान्यता समाप्त कर दी है। साथ ही अगले सत्र में मान्यता पाने के लिए हर हाल में दिसंबर तक ढांचागत कमियां दूर करने के निर्देश दिये हैं। इस पर प्रमुख सचिव (चिकित्सा शिक्षा) डॉ.अनूप चंद्र पांडेय ने सभी प्राचार्यों को कालेजवार सीसीआइएम की आपत्तियों के अनुरूप ध्यान देने को कहा है। सभी कालेजों की मान्यता में आधुनिक (एलोपैथी) के विशेषज्ञ शिक्षकों की कमी भी बड़े कारण के रूप में सामने आयी थी। बताया गया कि कई बार विज्ञापन देने के बावजूद एलोपैथी के विशेषज्ञ नहीं मिल रहे हैं। इस पर तय हुआ कि इस कमी को प्रांतीय चिकित्सा सेवा संवर्ग के चिकित्सकों की नियुक्ति अतिथि प्रवक्ता के रूप में करके पूरी की जाए। इसके लिए प्रधानाचार्यों से कालेजों के आसपास की सीएचसी व पीएचसी का ब्योरा मांगा गया है, जिसके बाद स्वास्थ्य विभाग से बात कर चिकित्सकों की नियुक्ति कराई जाएगी।
नहीं मिल रहे संस्कृत प्रवक्ता
लखनऊ व वाराणसी के कालेजों को सशर्त मान्यता मिली है, इसलिए इन दोनों कालेजों से अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया है। दोनों कालेजों में संस्कृत प्रवक्ता नहीं है। इनकी नियुक्ति तत्काल की जाएगी। इसी तरह पंचकर्म, फिजियोथिरैपिस्ट व पैरामेडिकल की कमी भी अलग-अलग इकाइयों का सृजन कर पूरी की जाएंगी।
कंप्यूटरीकरण पर भी जोर
बरेली में अतिथि प्रवक्ता और बांदा में उच्च संकाय की कमी पाई गयी थी। पीलीभीत, झांसी, मुजफ्फर नगर में कम्प्यूटरीकृत वाह्यï व अंत: रोगी विभाग न होने को बड़ा कारण माना गया है। इलाहाबाद में यंत्र व उपकरण की कमी को मान्यता न देने का कारण बताया गया था। इस पर प्रमुख सचिव ने कंप्यूटरीकरण पर जोर देने के साथ प्राचार्यों को बिन्दुवार समस्याओं का समाधान करने को कहा है और वे भी नियमित समीक्षा करेंगे।

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