Tuesday 20 September 2016

सीएमओ आना नहीं चाहते, डॉक्टर आते नहीं


-सरकारी आदेशों की खिल्ली उड़ा रहे चिकित्सा विभाग के अफसर
-सरकारी अस्पतालों में इलाज का इंतजार करने को मजबूर मरीज
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डॉ.संजीव, लखनऊ
सुबह के दस बजे हैं। उन्नाव के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) कार्यालय में सन्नाटा है। कुछ मरीज वहां सीएमओ साहब को दिखाने के लिए आए हैं किन्तु सीएमओ साहब ही नहीं आए। यह पूछने पर कि अब तो सीएमओ को भी मरीज देखने हैं, बताया गया कि सीएमओ साहब तो मरीज नहीं देखते आप जिला अस्पताल जाइये। जिला अस्पताल पहुंचे तो वहां भी सीएमओ या कोई अन्य अफसर नहीं दिखा।
यह हाल सिर्फ उन्नाव के सीएमओ का नहीं है। किसी भी जिले में सीएमओ मरीज नहीं देख रहे हैं। सीएमओ के जिम्मे न सिर्फ जिले की सेहत का जिम्मा है, बल्कि सभी सरकारी अस्पतालों में मरीज ठीक से देखे जाएं, उन्हें दवाएं मिलें, यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है। पिछले दिनों स्वयं मुख्य सचिव ने निर्देश दिये थे कि सभी जिलों के सीएमओ स्वयं भी रोज मरीज देखेंगे, किन्तु ऐसा हो नहीं रहा है। सीएमओ की ढिलाई के कारण जिला अस्पतालों, सामुदायिक या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में अधिकांश डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचते। बाह्यï रोगी विभाग में मरीज देखने के लिए डॉक्टर को सुबह आठ बजे पहुंच जाना चाहिए। दूरस्थ इलाकों में तो कई बार सप्ताह में एक या दो दिन डॉक्टर जाते हैं, जिला अस्पतालों तक में डॉक्टर नहीं पहुंचते। एक जिला अस्पताल में हमने सुबह नौ बजकर दस मिनट पर हाजिरी रजिस्टर की फोटो खींची तो 33 में से 18 डॉक्टर गायब थे। जिला अस्पताल तो दूर राजधानी लखनऊ के सरोजनी नगर स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में सुबह सवा नौ बजे तक सभी डॉक्टर नहीं पहुंचे थे। इस दौरान मरीजों को सभी जगह इंतजार करना पड़ता है, किन्तु डॉक्टरों पर इसका कोई असर नहीं पड़ता। पूरे प्रदेश में डेंगू भयावह स्थिति में है किन्तु अस्पतालों में उसे लेकर चौकसी नहीं दिखती।
हमारे लिए नहीं आदेश
सीएमओ या डिप्टी सीएमओ इस आदेश का पालन तो कर ही नहीं रहे, बहाने भी गजब बनाते हैं। इस संबंध में उन्नाव के सीएमओ डॉ.बीएन श्रीवास्तव से पूछने पर उन्होंने कहा कि उनके लिए नहीं डिप्टी सीएमओ व एसीएमओ के लिए मरीज देखने का आदेश हुआ था। उनसे कहा गया है कि वे जिला अस्पताल में जाकर मरीज देखें। वैसे जिला अस्पताल में 11 बजे तक एक भी डिप्टी सीएमओ या एसीएमओ भी मरीज देखने नहीं पहुंचे थे।
वे आएं तो हो सुधार
जिला अस्पतालों में लगातार मरीजों की भीड़ बढ़ रही है। वहां के अधीक्षक चाहते हैं कि सीएमओ या अन्य अफसर यदि मरीज देखें तो स्थितियां सुधर सकती हैं। उन्नाव के जिला अस्पताल में एक ही नेत्र रोग विशेषज्ञ है, जबकि दो डिप्टी सीएमओ नेत्र विशेषज्ञ हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ.एसपी चौधरी कहते हैं कि यदि ये दोनों डिप्टी सीएमओ दो-दो दिन भी ओपीडी में बैठने लगें, तो स्थितियां सुधर जाएंगी।
सिफारिश से संबद्धता, फिर भी गायब
उन्नाव के सफीपुर स्थित स्वास्थ्य केंद्र में तैनात नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ ने एक विधायक से सिफारिश लगवाकर खुद को जिला अस्पताल से संबद्ध करवा लिया। इस कारण सफीपुर में डॉक्टर कम हो गए और वे स्वयं जिला अस्पताल समय पर नहीं पहुंचतीं। दरअसल महानगरों के आसपास जिलों में तैनात डॉक्टरों में से अधिकांश सपरिवार महानगरों में रहते हैं और इसका खामियाजा संबंधित जिलों के मरीजों को भुगतना पड़ता है।
बनाएंगे प्लान, होगी कार्रवाई
सभी सीएमओ, डिप्टी सीएमओ व अन्य अधिकारियों से नियमित रूप से मरीज देखने को कहा गया है। कुछ जिलों ने इसके प्लान भी भेजे हैं। इसके बावजूद जहां अधिकारी मरीज नहीं देख रहे हैं, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस पर सुनिश्चित अमल के लिए सभी जिलों से प्लान मांगा गया है, ताकि ओपीडी में उनकी ड्यूटी के बारे में शासन को भी पता रहे। -अरुण सिन्हा, प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य)

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