Saturday 3 September 2016

एचबीटीयू कुलपति की तैनाती में न्यूनतम योग्यता का पेंच

-नया प्राविधिक विश्वविद्यालय आज से, नेतृत्व पर फैसला अटका
-ख्यातिप्राप्त विद्वान व दस साल से प्रोफेसर होने की है अनिवार्यता
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: आइआइटी कानपुर सहित कई प्राविधिक शिक्षा संस्थानों के उद्गम का साक्षी प्रदेश का सबसे पुराना इंजीनियरिंग कालेज हरकोर्ट बटलर टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (एचबीटीआइ) गुरुवार से विश्वविद्यालय में तब्दील होकर एचबीटीयू हो जाएगा। यह नया प्राविधिक विश्वविद्यालय तो मूर्त रूप ले लेगा किन्तु इसके नेतृत्व पर अब तक फैसला नहीं हो सका है। दरअसल, एचबीटीयू के पहले कुलपति की तैनाती में न्यूनतम योग्यता का पेंच फंस गया है।
नए विश्वविद्यालय की स्थापना के बाद पहला कुलपति नियुक्त करने का अधिकार मुख्यमंत्री को होता है। प्राविधिक शिक्षा विभाग ने इसी के मद्देनजर आवेदन करने वाले सभी लोगों के ब्यौरे के साथ फाइल मुख्यमंत्री के पास भेज दी थी। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार दो दिन पहले मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के मौजूदा कुलपति ओंकार सिंह के नाम पर सहमति भी बन गयी थी, इस बीच न्यूनतम योग्यता का पेंच फंस गया। दरअसल विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए बने अधिनियम की धारा 12(1) में कुलपति के रूप में नियुक्ति के लिए किसी इंजीनियरिंग कालेज या तकनीकी डिग्र्री देने वाले विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कम से कम दस साल काम करने का अनुभव होना चाहिए। साथ ही संबंधित व्यक्ति को इंजीनियरिंग, टेक्नोलॉजी या एप्लाइड साइंसेज के क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त विद्वान (स्कॉलर ऑफ एमीनेंस) होना चाहिए। ओंकार सिंह इन मापदंडों पर खरे नहीं उतरते हैं। प्रोफेसर के रूप में उन्हें दस साल का अनुभव नहीं है। सूत्रों के मुताबिक प्राविधिक शिक्षा विभाग की ओर से उनकी फाइल पर यही आपत्ति लगायी गयी थी, जिसके बाद मामला फंस गया। अब एक सितंबर को एचबीटीयू के रूप में प्रदेश का तीसरा प्राविधिक विश्वविद्यालय पहले कुलपति के बिना ही स्थापित होगा। हालांकि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। गोरखपुर स्थिति मदन मोहन मालवीय तकनीकी विश्वविद्यालय में भी कुलपति की नियुक्ति स्थापना के 17 दिन बाद हुई थी।
तीन इंजीनियरिंग कालेजों को जल्द मिलेंगे निदेशक
प्रदेश के तीन सरकारी इंजीनियरिंग कालेजों में निदेशकों की नियुक्ति भी जल्द हो जाएगी। बुधवार को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कन्नौज, सोनभद्र व मैनपुरी के राजकीय इंजीनियरिंग कालेजों के निदेशकों के लिए आए आवेदनों पर विचार हुआ। तीनों कालेजों के लिए डेढ़ से दो दर्जन के बीच आवेदन आए थे। चयन समिति ने तीन-तीन नामों के पैनल मुख्यमंत्री के पास भेजे हैं। जल्द ही इन कालेजों में निदेशकों की नियुक्ति होने की उम्मीद है।

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