- निजी आयुर्वेदिक कालेजों में परास्नातक पढ़ाई को उत्साह नहीं
- 222 सीटों के लिए आए सिर्फ 198 आवेदन तो बढ़ाई परीक्षा तिथि
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: केंद्र से लेकर राज्य सरकारें भले ही आयुर्वेद को बढ़ावा देने की मशक्कत में जुटी हैं किन्तु प्रदेश में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। यहां निजी कालेजों में परास्नातक करने के लिए बीएएमएस किये हुए डॉक्टर ही नहीं मिल रहे हैं।
आयुर्वेद में एमडी उपाधि के लिए प्रदेश के लखनऊ व पीलीभीत स्थित सरकारी आयुर्वेदिक कालेजों में तीस सीटें हैं। इनके अलावा निजी कालेजों में एमडी की 222 सीटें हैं। इनमें प्रवेश के लिए परीक्षा कराने की जिम्मेदारी चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास है। शासन आयुर्वेद निदेशालय के माध्यम से सरकारी व निजी कालेजों के लिए अलग-अलग परीक्षाएं कराकर काउंसिलिंग के माध्यम से आयुर्वेदिक कालेजों को सीटें आवंटित करता है। सरकारी कालेजों में प्रवेश के लिए तो बीएएमएस उत्तीर्ण विद्यार्थियों में उत्साह देखा जाता है, किन्तु निजी कालेजों में तो सीटों के बराबर आवेदन ढूंढऩा भी मुश्किल हो रहा है।
इस वर्ष भी सरकारी कालेजों की 30 सीटों के लिए 500 से अधिक आवेदन आए थे। ये सीटें भर भी गयीं। इस बीच निजी कालेजों के लिए चार सितंबर को प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला हुआ था। इसके लिए आवेदन मांगे गए तो बीएएमएस विद्यार्थी पर्याप्त संख्या में सामने ही नहीं आए। 31 अगस्त तक महज 198 आवेदन आए तो अधिकारी परेशान हुआ। सीटों की संख्या के बराबर भी आवेदन न आने से परीक्षा तिथि आगे बढ़ानी पड़ी। अब परीक्षा 18 सितंबर को है और आवेदनों की संख्या बढ़कर 301 पहुंच गयी है। वैसे अधिकारी इसे भी पर्याप्त नहीं मान रहे हैं। पिछले साल भी 222 सीटों के लिए दो बार परीक्षा रद करने के बाद 274 आवेदन आए थे, जिनमें से महज 178 ने परीक्षा दी थी। इस बार भी सभी 298 आवेदक परीक्षा देंगे, इसमें संशय है। इसके बाद पचास फीसद अंक लाने की अनिवार्यता के कारण इसमें कितने सफल होंगे, इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पिछले साल कुल 15 विद्यार्थी ही सफल हो सके थे। इस संबंध में आयुर्वेद निदेशक कुमुदलता श्रीवास्तव का कहना है कि कम अभ्यर्थियों के कारण परीक्षा तिथि बढ़ाई गयी थी। रविवार को राजधानी लखनऊ स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कालेज में परीक्षा होगी। उसकी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं।
(17/9/16)
- 222 सीटों के लिए आए सिर्फ 198 आवेदन तो बढ़ाई परीक्षा तिथि
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राज्य ब्यूरो, लखनऊ: केंद्र से लेकर राज्य सरकारें भले ही आयुर्वेद को बढ़ावा देने की मशक्कत में जुटी हैं किन्तु प्रदेश में एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। यहां निजी कालेजों में परास्नातक करने के लिए बीएएमएस किये हुए डॉक्टर ही नहीं मिल रहे हैं।
आयुर्वेद में एमडी उपाधि के लिए प्रदेश के लखनऊ व पीलीभीत स्थित सरकारी आयुर्वेदिक कालेजों में तीस सीटें हैं। इनके अलावा निजी कालेजों में एमडी की 222 सीटें हैं। इनमें प्रवेश के लिए परीक्षा कराने की जिम्मेदारी चिकित्सा शिक्षा विभाग के पास है। शासन आयुर्वेद निदेशालय के माध्यम से सरकारी व निजी कालेजों के लिए अलग-अलग परीक्षाएं कराकर काउंसिलिंग के माध्यम से आयुर्वेदिक कालेजों को सीटें आवंटित करता है। सरकारी कालेजों में प्रवेश के लिए तो बीएएमएस उत्तीर्ण विद्यार्थियों में उत्साह देखा जाता है, किन्तु निजी कालेजों में तो सीटों के बराबर आवेदन ढूंढऩा भी मुश्किल हो रहा है।
इस वर्ष भी सरकारी कालेजों की 30 सीटों के लिए 500 से अधिक आवेदन आए थे। ये सीटें भर भी गयीं। इस बीच निजी कालेजों के लिए चार सितंबर को प्रवेश परीक्षा कराने का फैसला हुआ था। इसके लिए आवेदन मांगे गए तो बीएएमएस विद्यार्थी पर्याप्त संख्या में सामने ही नहीं आए। 31 अगस्त तक महज 198 आवेदन आए तो अधिकारी परेशान हुआ। सीटों की संख्या के बराबर भी आवेदन न आने से परीक्षा तिथि आगे बढ़ानी पड़ी। अब परीक्षा 18 सितंबर को है और आवेदनों की संख्या बढ़कर 301 पहुंच गयी है। वैसे अधिकारी इसे भी पर्याप्त नहीं मान रहे हैं। पिछले साल भी 222 सीटों के लिए दो बार परीक्षा रद करने के बाद 274 आवेदन आए थे, जिनमें से महज 178 ने परीक्षा दी थी। इस बार भी सभी 298 आवेदक परीक्षा देंगे, इसमें संशय है। इसके बाद पचास फीसद अंक लाने की अनिवार्यता के कारण इसमें कितने सफल होंगे, इस पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। पिछले साल कुल 15 विद्यार्थी ही सफल हो सके थे। इस संबंध में आयुर्वेद निदेशक कुमुदलता श्रीवास्तव का कहना है कि कम अभ्यर्थियों के कारण परीक्षा तिथि बढ़ाई गयी थी। रविवार को राजधानी लखनऊ स्थित राजकीय आयुर्वेदिक कालेज में परीक्षा होगी। उसकी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं।
(17/9/16)
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